अमेरिका और चीन के बीच व्यापार तनाव कम करने के लिए जिनेवा में बातचीत फिर शुरू हो गई है। डोनाल्ड ट्रंप ने कहा कि बहुत अच्छी प्रगति हो रही है। चीन ने कहा कि वह किसी भी ऐसे प्रस्ताव को खारिज करेगा जो मूल सिद्धांतों से समझौता करता है। इस बातचीत पर भारत की भी नजर है।
अमेरिका-चीन के बीच ट्रेड टेंशन कम करने के लिए रविवार को बातचीत फिर से शुरू हुई। इस बातचीत का असर भारत समेत दुनियाभर की अर्थव्यवस्थाओं पर पड़ने के आसार हैं। हालांकि, दोनों देशों के बीच बातचीत को लेकर अलग-अलग राय दिख रही है। अमेरिका के राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने सोशल मीडिया पर लिखा कि ‘बहुत अच्छी प्रगति’ हो रही है और ‘पूरी तरह से नए सिरे से शुरुआत’ भी हो सकती है। वहीं, चीन की सरकारी समाचार एजेंसी ने कहा कि चीन किसी भी ऐसे प्रस्ताव को दृढ़ता से खारिज करेगा जो मूल सिद्धांतों से समझौता करता है या वैश्विक समानता के व्यापक उद्देश्य को कमजोर करता है। जिनेवा में हुई इस बातचीत का मकसद अमेरिका और चीन के बीच बढ़ते व्यापार तनाव को कम करना है।
रविवार की सुबह बातचीत फिर से शुरू हुई। इससे पहले शनिवार को भी दोनों पक्षों ने मुलाकात की थी। बातचीत के बाद किसी भी पक्ष ने मीडिया से कोई बात नहीं की। यह बातचीत ऐसे समय में हो रही है जब अमेरिका-चीन के बीच व्यापार युद्ध चल रहा है। इस वजह से कई जहाज चीन से सामान लेकर बंदरगाहों पर खड़े हैं। लेकिन, उन पर से सामान नहीं उतारा जा रहा है। कारण है कि उन्हें टैरिफ पर अंतिम फैसले का इंतजार है।
ट्रंप और चीन के सुर अलग-अलग – ट्रंप ने सोशल मीडिया पर लिखा कि ‘बहुत अच्छी प्रगति’ हो रही है। हालांकि, उन्होंने इस बारे में कोई जानकारी नहीं दी। व्हाइट हाउस के अधिकारियों ने भी बातचीत के पहले दिन ज्यादा जानकारी नहीं दी। दो अधिकारियों ने नाम न छापने की शर्त पर बताया कि रविवार की सुबह बातचीत फिर से शुरू हुई।
चीन की समाचार एजेंसी शिन्हुआ ने एक संपादकीय में कहा, ‘बातचीत लगातार दबाव या जबरदस्ती का बहाना नहीं होनी चाहिए। चीन किसी भी ऐसे प्रस्ताव को दृढ़ता से खारिज करेगा जो मूल सिद्धांतों से समझौता करता है या वैश्विक समानता के व्यापक उद्देश्य को कमजोर करता है।’
जिनेवा में संयुक्त राष्ट्र के स्विस राजदूत के आवास पर कई काली गाड़ियां आते-जाते देखी गईं। यहीं पर दोनों देशों के बीच बातचीत हो रही है। इस बातचीत का मकसद दुनिया की दो सबसे बड़ी अर्थव्यवस्थाओं के बीच व्यापार तनाव को कम करना है।
पिछले महीने ट्रंप ने चीन पर टैरिफ बढ़ाकर 145% कर दिया था। जवाब में चीन ने भी अमेरिकी सामान पर 125% शुल्क लगा दिया। इतना ज्यादा टैरिफ लगाने का मतलब है कि दोनों देश एक-दूसरे के उत्पादों का बहिष्कार कर रहे हैं। इससे 660 अरब डॉलर से ज्यादा का व्यापार प्रभावित हो रहा है।
अमेरिका ने दिए टैरिफ कम करने के संकेत – बातचीत शुरू होने से पहले ही ट्रंप ने संकेत दिया था कि अमेरिका चीन पर टैरिफ कम कर सकता है। उन्होंने सोशल मीडिया पर लिखा, ‘80% टैरिफ सही लगता है! यह स्कॉट पर निर्भर करता है!’ उन्होंने यह बात अपने मुख्य वार्ताकार और ट्रेजरी सेक्रेटरी स्कॉट बेसेंट के बारे में कही।
यह पहली बार है जब दोनों पक्ष आमने-सामने बैठकर इन मुद्दों पर बात कर रहे हैं। हालांकि, किसी बड़े समझौते की उम्मीद कम है। लेकिन, टैरिफ में थोड़ी भी कमी आती है, खासकर अगर दोनों देश एक साथ ऐसा करते हैं तो इससे कुछ भरोसा बहाल हो सकता है।
क्विंसी इंस्टीट्यूट फॉर रिस्पॉन्सिबल स्टेटक्राफ्ट के ईस्ट एशिया प्रोग्राम के डायरेक्टर जेक वर्नर ने कहा कि अमेरिका और चीन के बीच बढ़ते व्यापार युद्ध को कम करने के लिए बातचीत बहुत जरूरी है। उन्होंने कहा कि यह एक अच्छा संकेत है कि दोनों पक्ष इस बात पर बहस करने से आगे बढ़ गए कि पहले किसे फोन करना चाहिए था।
चीन का रुख बेहद कड़ा – चीन के साथ टैरिफ को लेकर सबसे ज्यादा तनातनी है। ट्रंप ने चीन पर 20% शुल्क इसलिए लगाया है ताकि बीजिंग सिंथेटिक ओपिओइड फेंटेनल के प्रवाह को रोकने के लिए ज्यादा प्रयास करे। बाकी 125% शुल्क ट्रंप के पहले कार्यकाल से जुड़ा है। उन्होंने उस समय भी चीन पर टैरिफ लगाया था। इसका मतलब है कि कुछ चीनी सामानों पर कुल टैरिफ 145% से भी ज्यादा हो सकता है।
चीन का व्यापार घाटा, जो पिछले साल 263 अरब डॉलर था, ट्रंप की शिकायतों का एक बड़ा कारण रहा है। ट्रंप हमेशा से चीन पर आरोप लगाते रहे हैं कि वह अमेरिका से ज्यादा सामान खरीदता है और उसे कम बेचता है। अमेरिका और चीन के बीच व्यापार को लेकर लंबे समय से विवाद चल रहा है। दोनों देशों ने एक-दूसरे के सामान पर भारी शुल्क लगा रखे हैं। इससे दोनों देशों के व्यापारियों को नुकसान हो रहा है और दुनिया भर की अर्थव्यवस्था पर भी इसका असर पड़ रहा है। अब जब दोनों देश बातचीत की टेबल पर आए हैं तो उम्मीद है कि कोई समाधान निकलेगा और व्यापारिक रिश्ते सुधरेंगे।
Home / Business & Tech / ट्रंप ने कहा-बहुत अच्छा, चीन ने कर दी उलटी बात… चल क्या रहा है जिसका भारत पर पड़ेगा सीधा असर?