अमरीका के राष्ट्रपति पद के लिए मैदान में मजबूत स्थिति बनाए हुए रिपाब्लिकन पार्टी के उम्मीदवार डोनाल्ड ट्रंप का कुछ ही दिन पहले पूर्व सेक्रेटरी आॅफ स्टेट और लंबे समय तक अमरीका की विदेश नीति के गुरु रहे हेनरी किसिंगर से मिलना चर्चा का विषय बन गया। किसिंगर अमरीका की विदेश नीति के निर्माताओं में विशेषज्ञ माने जाते हैं। इसका उन्हें अच्छा अनुभव भी है। उनसे मिलने का ट्रंप का मुख्य मकसद यह भी माना जा रहा है कि वे अपनी पार्टी को बताना चाहते हैं कि वह हिलेरी क्लिंटन की तरह किसिंगर को चला हुआ कारतूस नहीं मानते हैं। वे आज भी उन्हें पूरा महत्व देते हैं। ट्रंप उनसे क्या लाभ उठाना चाहते हैं, यह सवाल सबके दिमाग में कौंधता रहा।
अमरीका का अन्य देशों के साथ संबंध स्थापित करने के पीछे मुख्य मकसद यह है कि ट्रंप की अपनी विदेश नीति अमरीका सबसे आगे, को किसिंगर के यर्थाथवादी दृष्टिकोण से जोड़ना। इस मीटिंग से ट्रंप की खास पसंद से रियायत मिलने के संकेत भी मिले जिनके बारे में वह पिछले काफी समय से कह रहे हैं। अपनी विदेश नीति में वह अपनी एक खास प्रवृत्ति में विश्वास करते हैं। इससे पहले कि पार्टी का विदेश नीति विभाग उन पर कुछ विचार लाद दे उन्होंने किसिंगर से मुलाकात कर ली।
अपने बड़बोलेपन में डोनाल्ड ट्रंप ने मार्च के महीने में अजीब सा बयान दे दिया था। उन्होंने कहा था कि अन्य देशों से संबंध बनाने पर वह स्वयं से बात करते हैं, इसलिए कि उनके पास अच्छा दिमाग है। किसिंगर से उनकी मुलाकात नॉर्थ कोरिया के सुप्रीमो किम जोंग उन के बारे में यह घोषणा करने से बाद हुई थी कि वह उनसे खुली बातचीत करेंगे। अमरीका की नीतियों की वजह से नॉर्थ कोरिया से संबंघ बिल्कुल ठंडे हो गए हैं। डेमोक्रेटिक उम्मीदवार हिलेरी क्लिंटन ने इसके बाद ट्रंप पर आरोप लगाया था कि वह एक अजीब मोह में फंस गए हैं। क्लिंटन की अपनी पार्टी की विदेशी नीति के वरिष्ठ सलाहकार ने ट्रंप के बयान को उलझा हुआ कहा था। साथ ही, यह भविष्यवाणी भी कर दी कि ट्रंप का यही हाल रहा तो वह ब्रिटेन के प्रधानमंत्री डेविड कैमरन से जो मजबूत संबंध हैं, उन्हें बिगाड़ लेंगे।
सीधे तौर पर कहा जाए तो डोनाल्ड ने अमरीका के निकटतम सहयोगी का अपमान किया है। ऐसा माना गया कि ट्रंप में किम जोंग उन और पुतिन के प्रति अजीब सा आकर्षण है। ऐसे आसार हैं कि यदि वे राष्ट्रपति बने तो विदेश नीति तय करते समय वह किसी अन्य को कुछ समझेंगे ही नहीं। इसी साल के शुरुआती महीने में ट्रंप ने किम की तारीफ करते हुए कहा था कि यह शासक अपने शत्रुओं को पूरी तरह से समाप्त करना चाहता है। उसकी यह तत्परता असाधारण है। वह व्यर्थ का कोई खेल नहीं खेलता, जो कहना और करना है वह बता देता है।
ट्रंप ने रूस के राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन की प्रशंसा करके वाशिंगटन की विदेश नीति बनाने वालों को हत्तोसाहित कर दिया। फिर यह भी कह दिया कि पुतिन अपने मीठे शब्दों से उनसे अपना काम होशियारी से नहीं निकलवा सकते। यदि पुतिन ने उनके बारे में अच्छी बातें कहीं हैं तो इनसे उनका काम नहीं बनने वाला। यहां ट्रंप का संकेत अपनी सतर्कता दिखाने का था।