
फरवरी की शुरुआत में उपलब्ध कराए गए सरकारी आंकड़ों के अनुसार, विदेशी धरती पर मौत की सजा पाए भारतीयों की सबसे ज्यादा संख्या यूएई में है। विदेश राज्य मंत्री कीर्ति वर्धन सिंह ने 13 फरवरी को राज्यसभा को बताया कि यूएई में 29 भारतीय मौत की सजा का सामना कर रहे हैं।
संयुक्त अरब अमीरात (UAE) में अलग-अलग हत्या के मामलों में मौत की सजा पाए दो भारतीय नागरिकों को फांसी दे दी गई। विदेश मंत्रालय ने गुरुवार को यह जानकारी दी। दोनों व्यक्तियों की पहचान मुहम्मद रिनाश अरंगीलोट्टू और मुरलीधरन पेरुमथट्टा वलप्पिल के रूप में हुई। दोनों मूल रूप से केरल के रहने वाले थे। यूएई की सर्वोच्च अदालत कोर्ट ऑफ कैसेशन ने उनकी सजा बरकरार रखी थी। पिछले महीने उत्तर प्रदेश के बांदा जिले की 33 वर्षीय महिला शहजादी खान को 15 फरवरी को यूएई में फांसी दे दी गई थी। वह अपनी देखरेख में एक बच्चे की मौत के लिए मौत की सजा का सामना कर रही थी।
इन घटनाओं के कारण विदेशों में मौत की सजा पाए भारतीयों पर ध्यान गया है। हाल ही में भारत सरकार ने बताया कि 54 नागरिक मौत की सजा पाए हैं, जिनमें सबसे ज्यादा संख्या यूएई (29) और सऊदी अरब (12) से है। इसके अलावा, दुनियाभर की 86 अलग-अलग जेलों में 10,152 भारतीय बंद हैं।
यूएई ने कुछ हफ्तों के भीतर 3 भारतीयों को फांसी पर चढ़ाया – केरल के रहने वाले इन दोनों को क्रमशः एक अमीराती नागरिक और एक भारतीय नागरिक की हत्या के लिए मौत की सजा का सामना करना पड़ रहा था। अरब अमीरात की सर्वोच्च अदालत कोर्ट ऑफ कैसेशन ने उनकी मौत की सजा को बरकरार रखा और 28 फरवरी 2025 को फांसी दी गई।
कन्नूर का रहने वाला अरंगीलोट्टू यूएई के एक नागरिक की हत्या से संबंधित गिरफ्तारी से पहले अल ऐन में एक ट्रैवल एजेंसी में काम कर रहा था। साउथ फर्स्ट की एक रिपोर्ट में कहा गया है कि अरंगीलोट्टू की मां ने केरल के मुख्यमंत्री पिनाराई विजयन से मामले में हस्तक्षेप करने के लिए याचिका दायर की थी, जिसमें दावा किया गया था कि उनके बेटे ने मानसिक रूप से विकलांग यूएई नागरिक की यातना से बचने की कोशिश करते हुए गलती से हत्या कर दी। विदेश मंत्रालय ने बताया है कि दोनों को हर संभव कांसुलर और कानूनी सहायता प्रदान की गई थी, लेकिन अंत में यह सफल नहीं हुआ।
शहजादी खान को दी गई फांसी – शहजादी खान नामक महिला 2021 में अपने परिवार के साथ यूएई गई थी और आरोप लगाया था कि वह झूठे वादों और दावों में फंस गई। उसकी प्राथमिक जिम्मेदारी एक भारतीय दंपति – फैज और नादिया के शिशु की देखभाल करना था। फरवरी 2022 में त्रासदी तब हुई जब शहजादी की देखरेख में चार महीने के बच्चे की मौत हो गई। जिस दंपति के लिए वह काम करती थी, उन्होंने तुरंत उस पर अपने बच्चे की मौत के लिए जिम्मेदार होने का आरोप लगाया।
हालांकि, शहजादी खान के परिवार ने कहा कि वह निर्दोष है, उनका दावा है कि चार महीने के बच्चे की मौत उसकी मौत के दिन गलत टीकाकरण से हुई थी। उन्होंने कहा कि खान को उसके मुकदमे के दौरान ‘पर्याप्त प्रतिनिधित्व’ नहीं मिला। उसके पिता ने बाद में विदेश मंत्रालय से मामले में हस्तक्षेप करने का आग्रह किया, लेकिन सभी प्रयासों के बावजूद, उसे दोषी पाया गया और मौत की सजा सुनाई गई।
विदेश में मौत की सजा पाए भारतीयों की सबसे ज्यादा संख्या यूएई में – फरवरी की शुरुआत में उपलब्ध कराए गए सरकारी आंकड़ों के अनुसार, विदेशी धरती पर मौत की सजा पाए भारतीयों की सबसे ज्यादा संख्या यूएई में है। विदेश राज्य मंत्री कीर्ति वर्धन सिंह ने 13 फरवरी को राज्यसभा को बताया कि यूएई में 29 भारतीय मौत की सजा का सामना कर रहे हैं। उन्होंने कहा कि उपलब्ध आंकड़ों के अनुसार, विदेशी अदालतों की ओर से मौत की सजा पाने वाले भारतीय नागरिकों की संख्या 54 है। इसके अलावा यूएई में दूसरी सबसे बड़ी संख्या में 2,518 भारतीय कैदी हैं, जो सऊदी अरब के बाद दूसरे स्थान पर है, जहां 2,633 भारतीय कैदी हैं।
हालांकि यूएई में मौत की सजा पाने वाले भारतीयों की संख्या सबसे ज्यादा है, लेकिन यह अकेला देश नहीं है। सरकारी आंकड़ों से पता चलता है कि सऊदी अरब में 12 भारतीय, कुवैत में तीन, कतर में एक और यमन में एक भारतीय को फांसी की सजा दी जा रही है। आधिकारिक आंकड़ों के अनुसार, बहरीन, ओमान और इराक में कोई भी भारतीय मौत की सजा पाने वाला नहीं है।
विदेश में मौत की सजा का इंतजार कर रही किसी भारतीय का सबसे मशहूर मामला कोच्चि की नर्स निमिशा प्रिया का है, से 2017 में एक यमन नागरिक तलाल अब्दो महदी की कथित हत्या के लिए मौत की सजा सुनाई गई है।
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