यूक्रेन के विदेश मंत्री दिमित्रो कुलेबा इस महीने के अंत में भारत यात्रा पर आ रहे हैं। उनकी यह यात्रा राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार अजीत डोभाल के अपने यूक्रेन के शीर्ष अधिकारी एंड्री यरमक से फोन पर हुई बातचीत के कुछ दिनों बाद होने वाली है। यरमक यूक्रेन के राष्ट्रपति वलोडिमिर जेलेंस्की के कार्यालय के प्रमुख हैं। यरमक ने डोभाल के साथ बातचीत में एक स्थायी और न्यायपूर्ण शांति के लिए संयुक्त योजना पर चर्चा की थी। उन्होंने इसके लिए सभी राजनयिक अवसरों के उपयोग करने पर जोर दिया था। ऐसे में यह अंदेशा जताया जा रहा है कि यूक्रेन अब रूस के साथ दो साल से जारी लड़ाई से थक चुका है। ऐस मे वह इस संघर्ष का कूटनीतिक समाधान तलाश रहा है।
जेलेंस्की ने पीएम मोदी से की थी मुलाकात – कुलेबा की भारत यात्रा की खबर ने दो साल से जारी रूस-यूक्रेन युद्ध को लेकर अटकलें तेज कर दी हैं। दोनों देशों के बीच युद्ध तब शुरू हुआ था, जब 24 फरवरी 2022 को रूस ने यूक्रेन के खिलाफ एक कथित विशेष सैन्य अभियान शुरू किया था। इस कारण यूक्रेन में पढ़ाई करने वाले करीब 20 हजार भारतीय छात्रों का भविष्य अधर में लटक गया। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने पिछले साल G7 शिखर सम्मेलन के मौके पर हिरोशिमा में राष्ट्रपति वलोडिमिर जेलेंस्की के साथ मुलाकात की थी। तब पीएम मोदी ने दोनों देशों के बीच शांति के लिए संवाद और कूटनीति पर जोर दिया था। ऐसे में कुलेबा की भारत यात्रा पर विशेषज्ञों की उत्सुकता से नजर है।
रूस-यूक्रेन युद्ध से संकट में दुनिया – रूस-यूक्रेन युद्ध ने वैश्विक अर्थव्यवस्था के लिए भी मुश्किलें खड़ी कर दीं क्योंकि इससे वस्तुओं का संकट पैदा हो गया। यु्द्ध के कारण उर्वरकों, भोजन और अन्य वस्तुओं की आपूर्ति प्रभावित हुई है। इन सबी वस्तुओं के रूस और यूक्रेन प्रमुख वैश्विक आपूर्तिकर्ता थे। वैश्विक प्रभाव को ध्यान में रखते हुए भारत ने एक तटस्थ स्थिति बनाए रखी है जिसकी यूक्रेनी विदेश मंत्री कुलेबा ने अतीत में कड़ी आलोचना की थी। भारत ने रूस के खिलाफ पश्चिमी प्रतिबंधों की परवाह न करते हुए अपने नागरिकों को सस्ता तेल उपलब्ध कराने के लिए रूस के साथ ऊर्जा व्यापार बढ़ा दिया था।
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