
अमेरिका को रूस के खिलाफ जंग लड़ रहे यूक्रेन की मदद करना अब भारी पड़ता नजर आ रहा है। कोरोना महामारी और रूस-यूक्रेन युद्ध के कारण अमेरिकी अर्थव्यवस्था पहले से ही भारी दबाव से गुजर रही है। इस बीच यूक्रेन को लगातार दी जा रही मदद ने अमेरिका के बजट के गणित को और ज्यादा बिगाड़ दिया है। राष्ट्रपति जो बाइडेन ने आज ही यूक्रेन को 40 अरब डॉलर की अतिरिक्त सहायता वाले बिल पर साइन किया है। इसी के साथ फरवरी से लेकर अभी तक अमेरिका ने यूक्रेन को 56.44 अरब डॉलर की कुल वित्तीय मदद दे दी है।
रूस के रक्षा बजट से ज्यादा की सहायता दी : अमेरिका की यूक्रेन को दी गई वित्तीय सहायता रूस के 2022 के कुल रक्षा बजट से भी ज्यादा है। रूस ने इस साल अपना रक्षा बजट 51.3 बिलियन डॉलर रखा था। हालांकि, यूक्रेन में जारी स्पेशल मिलिट्री ऑपरेशन को देखते हुए राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन ने आपातकालानी शक्तियों का इस्तेमाल करते हुए सैन्य सहायता को कई गुना बढ़ा दिया है। इसमें यूक्रेन में ऑपरेशन के दौरान शहीद हुए सैनिकों के परिजनों को आर्थिक सहायता भी शामिल है। इतना ही नहीं, सैनिकों के दूसरे देश में खान-पान और रसद सप्लाई में रूस को काफी ज्यादा खर्च करना पड़ रहा है।
अफगानिस्तान में अमेरिकी युद्ध बजट का दोगुना : यूक्रेन को दी गई 56.55 अरब डॉलर की मदद अफगानिस्तान में अमेरिकी युद्ध की औसत वार्षिक लागत का लगभग दोगुना है। तब अमेरिका नाटो के सैन्य अभियान का सबसे बड़ा भागीदार था। अमेरिका अफगानिस्तान में अपने सैनिकों के लिए खान-पान, रसद, गोला-बारूद की सप्लाई दुनिया के अलग-अलग इलाकों में मौजूद अपने मिलिट्री बेस से करता था। पिछले साल जुलाई में अमेरिकी सेना ने अफगानिस्तान से अपना बोरिया बिस्तर समेट लिया था। जिसके बाद तालिबान ने काबुल पर कब्जा कर अमेरिका के नेतृत्व वाली सरकार को गिरा दिया था।
बाइडेन ने शनिवार को 40 अरब डॉलर की सहायता दी : अमेरिकी राष्ट्रपति जो बाइडेन ने यूक्रेन की मदद के लिए शनिवार को 40 अरब डॉलर की नयी सहायता से जुड़े विधेयक पर हस्ताक्षर कर दिए। यह विधेयक अमेरिकी कांग्रेस में दोनों दलों के समर्थन से पारित हुआ था। विधेयक रूस के साथ जारी युद्ध के चलते अनिश्चित भविष्य का सामना कर रहे यूक्रेन के प्रति अमेरिका की प्रतिबद्धता को दर्शाता है। अमेरिका द्वारा यूक्रेन को दी जाने वाली इस सहायता में से 20 अरब डॉलर की सहायता यूक्रेन की सैन्य मदद के लिए है। बाइडेन ने असामान्य परिस्थितियों में विधेयक पर हस्ताक्षर किए।
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