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US-ताइवान डील से बौखलाए चीनी मीडिया की धमकी- ‘तबाह कर देंगे ताइवान का एयरफील्ड, उड़ान भी नहीं भर पाएगा F-16V’


ताइवान पर अपना दावा ठोकने वाला चीन अब अमेरिका के साथ उसकी F-16V फाइटर जेट डील देखकर बौखलाने लगा है। यहां तक कि चीन की सरकार के प्रॉपगैंडा अखबार ग्लोबल टाइम्स ने यहां तक चेतावनी दे डाली है कि पीपल्स लिबरेशन आर्मी (PLA) अपनी क्षमता को बढ़ा रही है और अगर जरूरत पड़ी तो वह मिलिट्री ऐक्शन लेगी। यही नहीं, अखबार ने एक्सपर्ट्स के हवाले से चेतावनी दी है कि उसके जंगीजहाज ताइवान के एयरस्पेस को तबाह कर सकते हैं और अमेरिका का F-16V उनके सामने उड़ान तक नहीं भर पाएगा।

‘उड़ान भी नहीं भर पाएंगे F-16V’
ग्लोबल टाइम्स ने चीन के एक्सपर्ट्स के हवाले से आक्रामक अंदाज में कहा है, ‘PLA के लिए F-16V फाइटर जेट खतरा हो सकते हैं लेकिन PLA के पास उसकी टक्कर में J-10B और J-10C फाइटर जेट हैं और और J-11 का तो वे सामना भी नहीं कर सकते, J-20 के बारे में तो क्या ही कहा जाए।’ एक्सपर्ट्स ने यह भी कहा कि अगर बलपूर्वक रीयूनिफेकिशन की कोशिश हुई तो PLA ताइवान की एयर फील्ड और कमांड सेंटर्स क तबाह कर देगी और F-16V को उड़ने का मौका भी नहीं मिलेगा और जो पहले से हवा में होंगे उन्हें लैंड करने के लिए जगह नहीं मिलेगी।

62 अरब डॉलर की डील
दरअसल, चीन से निपटने के लिए ताइवान ने सोमवार को अमेरिका की हथियार निर्माता कंपनी लॉकहीड के साथ 62 अरब डॉलर के F-16 फाइटर जेट खरीदने का सौदा किया है। यह सौदा करीब 10 साल में पूरा होगा। इस सौदे की संवेदनशीलता को देखते हुए अमेरिकी रक्षा मंत्रालय ने इस सौदे का तो ऐलान किया लेकिन खरीददार का नाम नहीं बताया है। उधर, इस सौदे से जुड़े लोगों ने पुष्टि की है कि 62 अरब डॉलर की भारी-भरकम डील ताइवान के साथ की गई है। नए सौदे के तहत ताइवान शुरू में 90 फाइटर जेट खरीदेगा जो अत्‍याधुनिक तकनीकों और हथियारों से लैस होंगे।

ताइवान पर हमले की तैयारी में चीन, अमेरिका ने भेजे फाइटर जेट, युद्धपोत

अमेरिकी सैन्‍य ताकत के प्रतीक यूएसएस रोनाल्‍ड रीगन के नेतृत्‍व में कैरियर स्‍ट्राइक ग्रुप ने विवादित दक्षिण चीन सागर में जोरदार अभ्‍यास किया है। अमेरिकी सेना ने एक बयान जारी करके कहा कि इस अभ्‍यास का मकसद अपने सहयोगियों के साथ संयुक्‍त भागीदारी करना है और अपनी मारक क्षमता को बढ़ाना है। साथ ही इंडो-पसफिक इलाके में स्‍वतंत्र और मुक्‍त आवागमन बनाए रखना है। अमेरिकी नौसेना ने यह अभ्‍यास ऐसे समय पर किया है जब चीन से इलाके में तनाव बढ़ता जा रहा है।

अमेरिका ने चीन के साउथ चाइना सी पर दावे का विरोध किया है। चीन के किसी भी दुस्‍साहस का जवाब देने के लिए अमेरिका लगातार साउथ चाइना सी में अपने एयरक्राफ्ट कैरियर भेज रहा है। अमेरिका ने कहा है कि चीन कोरोना वायरस महामारी का फायदा उठाने की कोशिश कर रहा है और अपने क्षेत्रीय दावे को आगे बढ़ाने में लगा है। चीन ने अमेरिका के इस अभ्‍यास का विरोध किया है। यही नहीं चीन अब तटीय इलाके में अपने सैन्‍य ठिकानों की संख्‍या को काफी ज्‍यादा बढ़ा रहा है।

चीन ने ताइवान पर दबाव बनाने के लिए ताइवान स्‍ट्रेट के पास करीब 40 हजार सैनिक तैनात किए हैं। इसके लिए उसने दो मरीन ब्रिगेड बनाए हैं। चीन ने धमकी दी है कि अगर राजनीतिक तरीके से ताइवान चीन का हिस्‍सा नहीं बनेगा तो वह ताकत के बल पर ताइवान पर कब्‍जा कर लेंगे। पेइचिंग के सैन्‍य विशेषज्ञ झोउ चेनमिंग ने कहा कि हालिया युद्धाभ्‍यास ताइवान सरकार को राजनीतिक चेतावनी है। हॉन्‍ग कॉन्‍ग के सैन्‍य विशेषज्ञ सोंग झोंगपिंग का कहना है कि नवंबर में अमेरिकी चुनाव से पहले चीन और बड़े पैमाने पर युद्धाभ्‍यास कर सकता है।

इस बीच चीन से निपटने के लिए ताइवान ने सोमवार को अमेरिका की हथियार निर्माता कंपनी लॉकहीड के साथ 62 अरब डॉलर के F-16 फाइटर जेट खरीदने का सौदा किया है। यह सौदा करीब 10 साल में पूरा होगा। माना जा रहा है कि इस सौदे के बाद ताइवान को लेकर अमेरिका और चीन के बीच तनाव काफी बढ़ सकता है। इस सौदे की संवेदनशीलता को देखते हुए अमेरिकी रक्षा मंत्रालय ने इस सौदे का तो ऐलान किया लेकिन खरीददार का नाम नहीं बताया है। उधर, इस सौदे से जुड़े लोगों ने पुष्टि की है कि 62 अरब डॉलर की भारी-भरकम डील ताइवान के साथ की गई है।

नए सौदे के तहत ताइवान शुरू में 90 फाइटर जेट खरीदेगा जो अत्‍याधुनिक तकनीकों और हथियारों से लैस होंगे। इससे पहले पैट्रियट मिसाइल डिफेंस सिस्‍टम और स्ट्रिंगर मिसाइल भी अमेरिका ने ताइवान को द‍िए थे। अमेरिका ने भले ही वर्ष 1979 में चीन को मान्‍यता दी हो, फिर भी वह ताइवान का सबसे शक्तिशाली सहयोगी और हथियारों का सप्‍लायर है। यह सौदा ऐसे समय पर हुआ है जब हॉन्‍ग कॉन्‍ग के लिए चीन ने जबरन सुरक्षा कानून पारित किया है। इस कानून के बाद ताइवान की टेंशन और ज्‍यादा बढ़ गई है। उसे यह डर सता रहा है कि अगला नंबर उसका हो सकता है। इस सौदे से ठीक पहले अमेरिका के स्‍वास्‍थ्‍य मंत्री ताइवान की यात्रा पर गए थे। वर्ष 1979 के बाद पहली बार इतने शीर्ष स्‍तर का नेता ताइवान पहुंचा था।

‘अमेरिका ने रखा रेड लाइन पर कदम’
ग्लोबल टाइम्स ने चीन के सैन्य अभ्यास को अमेरिका के उकसावे और ताइवान के क्षेत्रवादी रवैया का जवाब बताया है। अखबार का कहना है कि अमेरिका ने ताइवान के सवाल पर ‘रेड लाइन’ पर कदम रख दिया है जिससे टकराव की स्थिति पैदा हो गई है। चीन के एक्सपर्ट्स ने कहा है कि PLA न सिर्फ इसे टालने की तैयारी कर रहा है बल्कि जरूरत पड़ने पर मिलिट्री ऐक्शन की क्षमता मजबूत करने की भी कोशिश कर रहा है।

जंगी जहाज जाएंगे एयरस्पेस में
चीनी एक्सपर्ट्स के हवाले से ग्लोबल टाइम्स ने दावा किया है कि PLA अडवांस्ड हथियार और उपकरण विकसित करना जारी रखेगी और ताइवान की सेना से सैन्य अंतर को और बढ़ाएगी। उन्होंने यह चेतावनी भी दी है कि भविष्य में मिलिट्री ड्रिल्स के दौरान जंगी जहाज भी ताइवान के एयरस्पेस में जाएंगे अगर जरूरत पड़ी तो।