
कजाकिस्तान के स्वास्थ्य मंत्रालय ने रविवार को कहा कि पिछले सप्ताह से देश में चल रहे प्रदर्शनों में 164 लोग मारे गए हैं। सरकारी समाचार चैनल ‘खबर-24’ ने मृतकों की जो संख्या बताई है,वह पहले बताई संख्या से काफी अधिक है। यह स्पष्ट नहीं हैं कि मृतकों में केवल आम नागरिक हैं या सुरक्षाकर्मी भी शामिल हैं। अधिकारियों ने दिन में कहा था कि 16 पुलिसकर्मी अथवा राष्ट्रीय गार्ड के जवान भी मारे गए हैं। अधिकारियों ने इससे पहले 26 आम नागरिकों के मारे जाने की जानकारी दी थी।
मंत्रालय के अनुसार, अधिकांश मौतें देश के सबसे बड़े शहर अल्माटी में हुईं, जहां 103 लोग मारे गए। वहां प्रदर्शनकारियों ने सरकारी इमारतों पर कब्जा कर लिया और कुछ में आग लगा दी। बाल अधिकारों के क्षेत्र में काम करने वाली एक महिला ने बताया कि तीन बच्चे भी मारे गए हैं और सभी नाबालिग थे। इनमें चार साल की एक बच्ची भी शामिल है। मंत्रालय ने पहले बताया था कि प्रदर्शन में 2,200 से अधिक लोग घायल हुए हैं और उन्हें उपचार की आवश्यकता है, वहीं गृह मंत्रालय ने कहा कि लगभग 1,300 सुरक्षा अधिकारी घायल हो गए हैं।
5,800 लोगों को हिरासत में लिया गया : कजाकिस्तान के राष्ट्रपति कार्यालय ने रविवार को कहा कि पिछले सप्ताह हिंसा में तब्दील हुए विरोध प्रदर्शनों के दौरान पुलिस ने करीब 5,800 लोगों को हिरासत में लिया। विरोध प्रदर्शन के हिंसक होने के बाद रूस के नेतृत्व वाले सैन्य गठबंधन को कजाकिस्तान में सैनिक भेजना पड़ा था। राष्ट्रपति कासिम-जोमार्ट तोकायेव के कार्यालय ने कहा कि देश में स्थिति नियंत्रण में है और अधिकारियों ने प्रशासनिक भवनों पर फिर से नियंत्रण हासिल कर लिया है। इन भवनों को प्रदर्शनकारियों ने कब्जे में ले लिया था और इनमें से कुछ में आग लगा दी गई थी।
रूसी टीवी स्टेशन मीर-24 ने कहा कि रविवार को देश के सबसे बड़े शहर अल्माटी में गोलियों की आवाज सुनी गई, लेकिन यह स्पष्ट नहीं है कि क्या ये कानून लागू करने वाली एजेंसियों की ओर से चेतावनी के तौर पर चलायी गयी गोलियां थीं। तोकायेव ने शुक्रवार को कहा था कि उन्होंने कानून-व्यवस्था बहाल करने के लिए पुलिस और सेना को गोली मारने के लिए अधिकृत किया है।
जल्द खोला जाएगा अल्माटी हवाई अड्डा : पिछले हफ्ते प्रदर्शनकारियों द्वारा कब्जे में ले लिया गया अल्माटी हवाईअड्डा बंद रहा, लेकिन सोमवार से इसके फिर से शुरू होने की उम्मीद है। एलपीजी ईंधन की कीमतों में तेज वृद्धि को लेकर देश के पश्चिम हिस्से में दो जनवरी को विरोध प्रदर्शन शुरू हुआ था और देखते ही देखते यह पूरे देश में फैल गया था।
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