बांग्लादेश में सरकारी नौकरियों में आरक्षण के खिलाफ भड़का विरोध प्रदर्शन और ज्यादा हिंसक हो गया है। इन प्रदर्शनों में अब तक 35 लोगों की मौत हो चुकी है और हजारों लोग घायल हैं। प्रदर्शनकारियों का कहना है कि जब तक सरकार इस आरक्षण को वापस नहीं लेती है, तब तक विरोध जारी रहेगा।
बांग्लादेश की प्रधानमंत्री शेख हसीना की सरकार ने शुक्रवार को बांग्लादेश में राष्ट्रव्यापी कर्फ्यू की घोषणा की है। उन्होंने सरकारी नौकरियों में आरक्षण प्रणाली में सुधार की मांग को लेकर कई दिनों से जारी विरोध प्रदर्शनों के दौरान हिंसा के बाद व्यवस्था बनाए रखने के लिए सैन्य बलों की तैनाती का आदेश दिया है। बांग्लादेश में सत्तारूढ़ अवामी लीग पार्टी के महासचिव ओबैदुल कादर ने पीएम हसीना के इन फैसलों की जानकारी दी है। यह घोषणा पुलिस और सुरक्षा अधिकारियों द्वारा प्रदर्शनकारियों पर गोलीबारी और राजधानी में सभी सभाओं पर प्रतिबंध लगाये जाने के बाद की गई। कादर ने कहा कि नागरिक प्रशासन को व्यवस्था बनाए रखने में मदद करने के लिए सेना को तैनात किया गया है।
ढाका और अन्य शहरों में विश्वविद्यालय के छात्र 1971 में पाकिस्तान से देश की आजादी के लिए लड़ने वाले युद्ध नायकों के रिश्तेदारों के लिए सार्वजनिक क्षेत्र की नौकरियों को आरक्षित करने की प्रणाली के खिलाफ कई दिनों से रैलियां कर रहे हैं। गुरुवार को आरक्षण प्रणाली में सुधार की मांग को लेकर छात्रों के विरोध प्रदर्शन के दौरान राजधानी ढाका तथा अन्य जगहों पर हिंसा भड़कने से करीब 35 लोगों की मौत हो चुकी है तथा 2,500 से अधिक लोग घायल हुए हैं।
बांग्लादेश हिंसा पर क्या बोला भारत – भारत ने बांग्लादेश में हिंसक विरोध-प्रदर्शन को शुक्रवार को उस देश का आंतरिक मामला करार दिया। विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता रणधीर जायसवाल ने कहा कि 8,000 छात्रों सहित लगभग 15,000 भारतीय वर्तमान में बांग्लादेश में रह रहे हैं और वे सुरक्षित हैं। जायसवाल ने कहा, “जैसा कि आप जानते हैं, बांग्लादेश में विरोध प्रदर्शन जारी हैं। हम इसे उस देश का आंतरिक मामला मानते हैं।” प्रवक्ता ने कहा, “हमने बांग्लादेश में रहने वाले भारतीय नागरिकों एवं हमारे छात्रों को उनकी सुरक्षा और आवश्यकता पड़ने पर सहायता के लिए एक परामर्श जारी किया है। हमसे संपर्क करने के लिए हेल्पलाइन नंबर चौबीसों घंटे सक्रिय हैं।” जायसवाल ने कहा कि विदेश मंत्री एस. जयशंकर खुद इस मामले पर करीब से नजर रख रहे हैं।
पुलिस ने प्रदर्शनकारियों पर चलाई गोलियां – बांग्लादेश में जारी प्रदर्शनों के बीच शुक्रवार को पुलिस और सुरक्षा अधिकारियों ने प्रदर्शनकारियों पर गोलियां चलाईं और आंसू गैस के गोले दागे। वहीं हिंसक प्रदर्शनों के बीच इंटरनेट और मोबाइल सेवाएं बंद कर दी गई हैं। राजधानी ढाका और कुछ स्थानों पर प्रदर्शन कुछ सप्ताह पहले शुरू हुए थे लेकिन सोमवार से इनमें तेजी आ गई। ये विरोध प्रदर्शन बांग्लादेश की प्रधानमंत्री शेख हसीना के लिए सबसे बड़ी चुनौती हैं। उन्होंने जनवरी में हुए चुनाव में लगातार चौथी बार जीत हासिल की थी। मुख्य विपक्षी समूहों ने चुनावों का बहिष्कार किया था।
बांग्लादेश के सभी विश्वविद्यालय बंद – इस अराजकता ने बांग्लादेश की शासन व्यवस्था और अर्थव्यवस्था में दरारों और अच्छी नौकरियों की कमी का सामना कर रहे युवा स्नातकों की हताशा को उजागर किया है। सरकार ने परिसरों को बंद करने और विरोध प्रदर्शनों को रोकने के लिए पूरी राजधानी में पुलिस और अर्धसैनिक बलों को तैनात किया है। बुधवार को देश के सबसे बड़े विश्वविद्यालय सहित विश्वविद्यालयों ने कक्षाएं निलंबित कर दीं और छात्रावास बंद कर दिए। शुक्रवार को ढाका पुलिस ने कहा कि वे राजधानी में सभी सभाओं और प्रदर्शनों पर प्रतिबंध लगा रहे हैं।
इंटरनेट और मोबाइल डेटा सेवा पर भी पाबंदी – राजधानी ढाका में गुरुवार रात को इंटरनेट सेवाएं और मोबाइल डेटा व्यापक रूप से बाधित रहे और शुक्रवार को भी बंद रहे। फेसबुक और व्हाट्सऐप जैसे सोशल मीडिया मंच भी काम नहीं कर रहे थे। शुक्रवार को इंटरनेट बाधित रहा जिसने दुनिया भर में उड़ानों, बैंक, मीडिया आउटलेट और कंपनियों को बाधित किया, लेकिन बांग्लादेश में व्यवधान अन्य जगहों की तुलना में काफी अधिक था।
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