
युवराज सिंह के करियर को लेकर टी20 विश्व विजेता साथी रॉबिन उथप्पा ने खोले चौंकाने वाले राज। उन्होंने बताया कि किस तरह से विराट कोहली की कप्तानी में युवराज सिंह को निपटाया गया। युवराज सिंह कैंसर को हराने के बाद टीम में कमबैक करना चाहते थे, उस समय कोहली कप्तान थे।
भारतीय क्रिकेट इतिहास को जब भी देखा जाए तो तो दो हिस्से में बांटा जाएगा, पहला एमएस धोनी की कप्तानी में आईसीसी ट्रॉफी जीतना और दूसरा उस टीम में शामिल एक से बढ़कर एक सूरमा खिलाड़ी। उस समय सबसे आकर्षक खिलाड़ी टीम में युवराज सिंह थे। वह गेंद और बल्ले दोनों से करिश्मा करते थे और 2007 टी20 विश्व कप और 2011 वनडे विश्व कप के हीरो थे। कैंसर से जूझते हुए 2011 में भारत को विश्व विजेता बनाया, लेकिन जब कैंसर को हराकर टीम इंडिया में लौटे तब तक उनके साथ ही उन्हें तवज्जो देना बंद कर चुके थे। मैनेजमेंट, पावर और सोच बदल चुकी थी और भारतीय इतिहास के सबसे महान ऑलराउंडर को दुखद अंदाज में अपने करियर को अलविदा कहना पड़ा।
इस बारे में युवराज सिंह के पिता एक बार इतना गुस्सा हुए कि उन्होंने एमएस धोनी और विराट कोहली को विलेन बताते हुए कहा कि इन्होंने मेरे बेटे का करियर खत्म कर दिया। अब इस पूरे मामले में 2007 में टी20 विश्व कप विजेता और चेन्नई सुपर किंग्स में महेंद्र सिंह धोनी की कप्तानी में खेल चुके रॉबिन उथप्पा ने कई राज खोले हैं। उन्होंने यहां तक बताया कि विराट कोहली की कप्तानी अलग तरह की थी। उनके अनुसार नहीं चलने वालों का हश्र बुरा रहा। उन्होंने बताया कि किस तरह कैंसर को हराने के बाद वापसी की कोशिश करने वाले युवराज सिंह के साथ बुरा बर्ताव हुआ।
विराट कोहली की कप्तानी अलग थी, फिटनेस से खाने तक के लिए सहमत होना होता था – विराट की कप्तानी के बारे में बात करते हुए उथप्पा ने कहा- विराट की कप्तानी की शैली इस हद तक अलग थी कि आपको उनके स्तर तक पहुंचने की जरूरत थी। चाहे वह फिटनेस हो, चाहे वह खाने की आदतें हों, चाहे वह सुनना हो, सहमत होना हो, यह सब उस मानक पर होना चाहिए था। युवराज को टीम से बाहर किए जाने से पहले विराट की कप्तानी के बारे में बात करते हुए उथप्पा ने कहा- दो अलग-अलग तरह के नेता होते हैं। एक नेता जो कहते हैं कि यह आवश्यक मानक है और दूसरे नेता जो कहते हैं मैं वहां आपसे मिलूंगा और आपको उस मानक तक ले जाऊंगा जिस पर मुझे आपकी जरूरत है। दोनों काम करते हैं और दोनों को परिणाम मिलते हैं, लेकिन कर्मियों पर प्रभाव अलग-अलग होगा। ऐसे में एक धड़ा बहुत निराश महसूस करेगा।
युवी पा को मौके नहीं दिए गए, बुरा बर्ताव किया गया – कोहली के नेतृत्व के दौर में चीजें कैसे बदल गईं यह समझाने के लिए उथप्पा ने कैंसर से ठीक होने के बाद युवराज की कहानी का हवाला दिया। उन्होंने लल्लनटॉप से कहा- युवी पा का उदाहरण लें। वह व्यक्ति कैंसर को हरा चुका है और अब वह अंतरराष्ट्रीय टीम में वापसी की कोशिश कर रहा है। वह वह व्यक्ति है जिसने हमें विश्व कप जिताया, अन्य खिलाड़ियों के साथ मिलकर दो विश्व कप जितवाए, लेकिन हमें जीत दिलाने में अहम भूमिका निभाई। फिर, ऐसे खिलाड़ी के लिए, जब आप कप्तान बनते हैं, तो आप कहते हैं कि उसके फेफड़ों की क्षमता कम हो गई है। जब आपने उसे संघर्ष करते देखा था, तब आप उसके साथ थे। उथप्पा ने भारत के लिए 46 वनडे और 13 टी20 मैच खेले हैं।
युवराज को इस तरह से टीम से निपटाया गया – 2007 टी20 विश्व कप जीतने वाली टीम में युवराज के साथी रहे उथप्पा ने कहा- आपने उन्हें संघर्ष करते देखा है। साथ ही उन्होंने खुलासा किया कि युवराज ने फिटनेस टेस्ट के स्तरों में कुछ रियायतें मांगी थीं, लेकिन उनके अनुरोध को अस्वीकार कर दिया गया था। उन्होंने बताया- इसलिए जब युवी ने फिटनेस टेस्ट के लेवल में रियायतें मांगी तो नहीं दिया। फिर उन्होंने टेस्ट दिया, क्योंकि वह टीम से बाहर थे और वे उन्हें लेने को तैयार नहीं थे। उन्होंने फिटनेस टेस्ट पास किया, टीम में आए, लेकिन एक खराब टूर्नामेंट खेला। इस पर उन्हें पूरी तरह से बाहर कर दिया। उन्हें तवज्जो नहीं दी गई। उथप्पा ने कहा- मैंने कप्तान के तौर पर विराट के नेतृत्व में बहुत ज्यादा नहीं खेला है। लेकिन एक कप्तान के तौर पर विराट, वह बहुत ‘मेरे हिसाब से या फिर मेरे हिसाब से नहीं’ कप्तान थे। ऐसा नहीं है कि ये लोग वैसे नहीं हैं, लेकिन आप अपनी टीम के साथ कैसा व्यवहार करते हैं, अपने खिलाड़ियों के साथ कैसा व्यवहार करते हैं, यह सिर्फ नतीजों के बारे में नहीं है।
Home / Sports / विराट कोहली ने युवराज सिंह को निपटाया, करियर खत्म किया? एमएस धोनी के पूर्व साथी ने खोले चौंकाने वाले राज
IndianZ Xpress NZ's first and only Hindi news website