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कोरोना के खिलाफ प्रभावी विटामिन D! संक्रमण से मरने की संभावना 52 फीसदी तक कम


कोरोना वायरस से संक्रमित व्यक्तियों के मौत का आंकड़ा दिनोंदिन बढ़ता ही जा रहा है। इस घातक महामारी से दुनियाभर में अब तक 10 लाख के करीब लोगों की मौत हो चुकी है। वहीं, अमेरिका में हुए एक ताजा शोध में दावा किया गया है कि जिन लोगों के शरीर में पर्याप्त मात्रा में विटामिन डी है उनके इस महामारी से मरने की संभावना 52 फीसदी तक कम है। विटामिन डी का सबसे बड़ा स्रोत सूरज है इसलिए इस विटामिन को ‘सनशाइन विटामिन’ भी कहते हैं।

इम्यून सिस्टम को मजबूत करता है विटामिन डी
वैज्ञानिकों ने कहा कि विटामिन डी हमारे शरीर में इम्यून सिस्टम को मजबूत करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है। इससे शरीर में सूजन भी दूर होती है। ये विशेषताएं इसे कोरोना वायरस के खिलाफ लड़ाई में एक महत्वपूर्ण खिलाड़ी बनाती हैं। शोधकर्ताओं ने यह भी कहा कि जिन क्षेत्रों में पर्याप्त मात्रा में विटामिन डी या सूरज की रोशनी नहीं पहुंचती इस वायरस ने उसी इलाके में लोगों को सबसे ज्यादा प्रभावित किया है।

विटामिन डी वाले क्षेत्रों में कम सक्रिय है कोरोना
हाल में ही विश्व स्वास्थ्य संगठन ने भी कहा है कि इस वायरस का सबसे कम असर अफ्रीका महाद्वीप में देखा गया है। जबकि, सबसे ज्यादा प्रभाव यूरोप, एशिया और अमेरिका महाद्वीप में देखा गया है। माना जा रहा है कि अफ्रीकी लोगों के शरीर में विटामिन डी की पर्याप्त उपलब्धता के कारण कोरोना वायरस का ज्यादा असर नहीं हुआ है।

दो रिसर्च से विटामिन डी की उपयोगिता की साबित
बोस्टन यूनिवर्सिटी के डॉ माइकल होलिक ने अपने पुराने रिसर्च के जरिए पता लगाया था कि जिन लोगों में विटामिन डी पर्याप्त मात्रा में होता है, उन्हें कोरोनो वायरस से संक्रमित होने की संभावना भी बाकी लोगों के मुकाबले 54 प्रतिशत कम होती है। अब उनकी टीम ने एक नई रिसर्च में दावा किया है कि विटामिन डी से न केवल संक्रमित होने की संभावना कम होती है बल्कि इससे संक्रमितों के मरने की दर भी 52 फीसदी तक कम हो सकती है।

अमेरिका में विटामिन डी की कमी से हुई ज्यादा मौतें
रिपोर्ट में बताया गया है कि अमेरिका की लगभग 42 प्रतिशत आबादी में विटामिन डी की कमी है। इसी कारण अमेरिका में कोरोना वायरस के कारण अबतक 208,652 लोगों की मौत हो चुकी है। वहीं, ब्रिटिश न्यूट्रिशन फाउंडेशन के अनुसार, ब्रिटेन में 20 प्रतिशत आबादी की कमी है। वहां अबतक 41,971 लोगों की कोरोना से मौत हुई है।

ऑक्‍सफर्ड टीके का मुंबई में ट्रायल शुरू, जॉनसन ऐंड जॉनसन की कोरोना वैक्‍सीन ने दी गुड न्‍यूज

केईएम अस्‍पताल के डीन डॉ हेमंत देशमुख ने कहा, “हमने अबतक 13 लोगों को स्‍क्रीन किया है। उनमें से तीन को शनिवार को ऑक्‍सफर्ड यूनिवर्सिटी-अस्‍त्राजेनेका की बनाई कोविशील्‍ड वैक्‍सीन का पहला शॉट दिया जाएगा।” मानक प्रक्रिया के तहत, एक और व्‍यक्ति को प्‍लेसीबो दिया जाएगा मगर न तो तो वॉलंटियर्स, न ही टीका देने वाले को पता होगा कि किसे वैक्‍सीन दी जा रही है और किसे प्‍लेसीबो। केईएम मुंबई का पहला अस्‍पताल है जहां इस वैक्‍सीन का ट्रायल हो रहा है।

इंडियन काउंसिल ऑफ मेडिकल रिसर्च (ICMR) की गाइडलाइंस के अनुसार, हर वॉलंटियर का 1 करोड़ रुपये का बीमा किया गया है। अगर ट्रायल के दौरान किसी साइड इफेक्‍ट से मौत होती है तो परिवार को यह रकम मिलेगी। इसके अलावा वैक्‍सीन का कोई दुष्‍प्रभाव होने पर 50 लाख रुपये के मेडिकल इंश्‍योरेंस का भी प्रावधान है।

जॉनसन ऐंड जॉनसन की वैक्‍सीन की दोनों डोज देने पर वॉलंटियर्स में कोई निगेटिव असर देखने को नहीं मिला। रिसर्चर्स के अनुसार, वैक्‍सीन ने 98% पार्टिसिपेंट्स में ऐंटीबॉडीज डेवलप कीं। शुरुआती ट्रायल के शानदार नतीजों के बाद कंपनी ने 60 हजार लोगों पर फाइनल ट्रायल की शुरुआत कर दी है।

रूसी मीडिया के अनुसार, कोरोना वैक्‍सीन Sputnik V ‘सिविल सर्कुलेशन’ में आ गई है। वैक्‍सीन को पिछले महीने बड़े पैमाने पर उत्‍पादन की मंजूरी दी गई थी। यह वैक्‍सीन फिलहाज फेज 3 ट्रायल्‍स से गुजर रही है। वैक्‍सीन की सुरक्षा और असर को लेकर रिसर्चर्स अभी पूरी तरह संतुष्‍ट नहीं हैं, इसीलिए इस वैक्‍सीन में दुनिया ज्‍यादा दिलचस्‍पी नहीं दिखा रही।

इस विटामिन से बचाई जा सकती है जान
डॉ होलिक ने दावा किया कि इस रिसर्च ने प्रत्यक्ष प्रमाण प्रदान किया है कि विटामिन डी पर्याप्तता जटिलताओं को कम कर सकती है। इसके कारण साइटोकिन स्ट्रॉम और कोरोना वायरस से मौत की दर को कम किया जा सकता है। इसके लिए डॉ होलिक और उनकी टीम ने तेहरान में कोरोना संक्रमित 235 रोगियों के खून की जांच की थी। इनमें 67 प्रतिशत रोगियों में विटामिन डी की कमी पाई गई थी।