
राम सेतु ब्रिज के बारे में हम सभी जानते हैं। यह एक सेतु है, जो समुद्र के पार तमिलनाडु में पंबन आइलैंड को श्रीलंका के मन्नार आइलैंड से जाेड़ता है। रामसेतु का संबंध रामायण से है। श्रीराम और उनकी वानर सेना ने माता सीता को रावण से मुक्त कराने के लिए एक पुल बनाया था, जिसे रामसेतु नाम दिया गया। यह पुल मनुष्य द्वारा बनाया गया है या प्राकृतिक है इस बात पर पिछले कई वर्षों से बहस चल रही है। हालांकि राम सेतु आज भी एक रहस्य है। यही वजह है कि आज भी लोग इस सेतु के बारे में जानने में दिलचस्पी रखते हैं। तो आइए जानते हैं रामसेतु से जुड़ी वो बातें, जिन्हें जानना जरूरी है।
रामसेतु के ढेरों नाम – : रामसेतु को आज कई नामों से जाना जाता है। जैसे एडम ब्रिज, नाला सेतु और सेतु बांध। इसे नाला सेतू इसलिए कहा जाता है क्योंकि यह पुल बनाने का विचार वानर सेना के एक सदस्य नाला ने ही अन्य सदस्यों को दिया था। इसलिए नाला को रामसेतु का इंजीनियर भी कहते हैं। जबकि एडम्स ब्रिज का नाम कुछ प्राचीन इस्लामी ग्रंथों से आया है।
7000 साल पुराना है ब्रिज – : प्रोजेक्ट रामेश्वरम नाम के एक अध्ययन के जियोलॉजिकल सर्वे ऑफ इंडिया ने कहा है कि 7000 से 18000 साल पहले रामेश्वरम के आइलैंड और श्रीलंका के आइलैंड की खोज हुई थी। यानी ऐसा माना जाता है कि पुल 500-600 साल पुराना है। इस पुल की लंबाई 48 किमी है।
दिलचस्प हैं तैरते हुए पत्थर – : रामायण में इस बात का उल्लेख किया गया है कि पुल तैरते हुए पत्थरों से बनाया गया है। हैरानी की बात यह है कि ऐसे तैरते हुए पत्थर आज भी रामेश्वरम में देखे जाते हैं।
राम सेतु पुल का पौराणिक महत्व – : वाल्मीकि की रामायण में सबसे पहले प्रसिद्ध राम सेतु पुल का उल्लेख किया गया है। पौराणिक रूप से यह पुल भगवान राम की वानर सेना द्वारा निर्मित माना जाता है। सेना के एक वानर नाला ही थे, जिन्होंने सेना के अन्य सदस्यों को पुल बनाने का निर्देश दिया था। रावण से अपनी पत्नी सीता को बचाने के लिए भगवान राम को लंका पहुंचने में मदद करने के लिए पुल का निर्माण किया गया था।
पत्थरों पर भगवान राम का नाम – : दिलचस्प बात यह है कि सेतु बनाते समय सभी पत्थरों पर भगवान राम का नाम उकेरा गया था। इससे भी दिलचस्प बात ये है कि जब पत्थराें पर चलकर पुल पार किया गया, तो यह चमत्कार ही था कि पत्थर डूबे नहीं।
क्या राम-सेतु पुल मानव निर्मित है? : हिंदू पौराणिक कथाओं के अनुसार, इसे भगवान राम ने वानर सेना की मदद से बनवाया था। उन्हें श्रीलंका पहुंचने के लिए इस पुल का निर्माण करना पड़ा। दरअसल, रावण ने भगवान राम की पत्नी सीता का अपहरण कर उन्हें वहीं कैद कर लिया गया था। हैरानी की बात यह है कि रामायण (5000 ईसा पूर्व) का समय और पुल का कार्बन एनालिसिस का तालमेल एकदम सटीक बैठता है। हालांकि, आज भी ऐसा कोई वैज्ञानिक प्रमाण नहीं है जो यह बताता है कि पुल मानव निर्मित है। 15 वीं शताब्दी तक, पुल पर चलकर जा सकते थे। रिकॉर्ड बताते हैं कि, 1480 तक पुल पूरी तरह से समुद्र तल से ऊपर था। हालांकि, प्राकृतिक आपदाओं ने पुल को समुद्र में पूरी तरह से डुबो दिया। इस प्रकार, यह कहा जा सकता है कि रामसेतु प्राकृतिक चूना पत्थर के शोल से बना एक पुल है।
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