
चीन ने अपनी विस्तारवादी महत्वाकांक्षाओं का प्रदर्शन कर क्वाड देशों को 13 साल बाद एकजुट कर दिया। भारत, अमेरिका, जापान और ऑस्ट्रेलिया बंगाल की खाड़ी में मालाबार युद्धाभ्यास कर रहे हैं। समान सोच के एक और देश जर्मनी ने भी हिंद प्रशांत क्षेत्र में पेट्रोलिंग के लिए अगले साल से एक युद्धपोत तैनात करने का ऐलान कर दिया ताकि अंतरराष्ट्रीय नियमों पर आधारित समुद्री व्यवस्था सुनिश्चित की जा सके।
क्वाड देशों के युद्धपोत मंगलवार को 24वें मालाबार नौसैनिक युद्धाभ्यास के पहले चरण के तहत चार दिनों के लिए बंगाल की खाड़ी में उतर गए। इस चरण में जटिल पनडुब्बी रोधी युद्ध (Anti-Submarine Warfare) और अन्य युद्धाभ्यास जारी हैं। इसका दूसरा चरण 17 से 20 नवंबर तक अरब सागर में संपन्न होगा जिसमें उच्चतर युद्धाभ्यास का प्रदर्शन होगा। इस चरण में संभवतः अमेरिका परमाणु शक्ति संपन्न विमान वाहक पोत भी तैनात करेगा। भारत भी मिग-29 युद्धक विमानों से युक्त आईएनएस विक्रमादित्य अरब सागर में तैनात करेगा। इसके युद्धपोत, पनडुब्बियां और लंबी दूरी के पेट्रोल एयक्राफ्ट पी-8आई पहले चरण के युद्धाभ्यास में भाग ले ही रहे हैं।
एक वरिष्ठ अधिकारी ने कहा, ‘क्वाड चीन के प्रति अपने इरादे का स्पष्ट रणनीतिक इजहार कर रहा है।’ क्वाड के इस उच्चस्तरीय युद्धभ्यास का महत्व इसलिए भी बढ़ जाता है कि पूर्वी लद्दाख में भारत और चीन के सैनिक पिछले सात महीनों से आमने-सामने खड़े हैं। क्वाड के नए सदस्य के रूप में ऑस्ट्रेलिया 2007 में मालाबार युद्धाभ्यास का हिस्सा बना था। तब चीन ने इसकी आलोचना की थी। उसने इस युद्धाभ्यास को ‘लोकतांत्रिक देशों की एक धुरी’ की तरफ से हिंद-प्रशांत क्षेत्र में चीन का ‘मुकाबला करने और उसे रोकने’ की दृष्टि से की गई पहल बताया था। चीन की इस टिप्पणी के बाद ऑस्ट्रेलिया ने अपना कदम वापस ले लिया। तब से भारत भी कुछ वर्षों के लिए अमेरिका के साथ द्विपक्षीय स्वरूप के तहत ही मालबार युद्धाभ्यास को अंजाम देता रहा। हालांकि, 2015 से जापान इस युद्धाभ्यास का निरंतर भागीदार बनता रहा।
13 साल बाद जब चीन ने युद्धपोतों और तकनीक के मामले में अमेरिका को भी पीछे छोड़कर दुनिया की सबसे बड़ी नौसैनिक शक्ति बन गया है तो उसने दक्षिण चीन सागर से लेकर हिंद महासागर के इलाकों में अपनी ताकत का प्रदर्शन भी करने लगा। क्वाड के साथ-साथ जर्मनी और यूके जैसे देशों को भी क्षेत्र में चीन की दादागीरी से परेशानी हो रही है। वहीं, चीन ने मालाबार युद्धाभ्यास पर कड़ी प्रतिक्रिया देते हुए उम्मीद जताई है कि यह कार्यक्रम क्षेत्रीय शांति एवं स्थिरता के अनुकूल होगा ना कि इसके विपरीत। भारत ने 2016 से ही अमेरिका, ऑस्ट्रेलिया और जापान के साथ पारस्परिक सैन्यतंत्रों को लेकर समझौतों पर हस्ताक्षर किए हैं जिनसे हिंद महासागर में तीनों देशों के युद्धपोतों की तैनाती सुनिश्चि होगी।
मालाबार युद्धाभ्यास के पहले चरण में भारत ने आईएनएस रणविजय, स्टील्थ फ्रिगेट आईएनएस शिवालिक, ऑफशोर पेट्रोल वेसल आईएनएस सुकन्या, फ्लीट सपॉर्ट शिप आईएनएस शक्ति और सबमरीन आईएनएस सिंधुराज को तैनात कर रखा है। वहीं, अमेरिका, ऑस्ट्रेलिया और जापान ने क्रमशः गाइडेड-मिसाइल विध्वंसक यूएसएस जॉन एस. मैकेन, लॉन्ग-रेंज फ्रिगेट एचएमएएस बैलारैट और विध्वंसक जेएस ओनामी की तैनाती की है। एक अधिकारी ने कहा, ‘मालाबार 2020 में जटिल और उन्नत नौसैनिक युद्धाभ्यास होंगे जिसमें सतह, पनडुब्बी रोधी और ऐंटी-एयर वॉरफेयर ऑपरेशनों, क्रॉस-डेक फ्लाइंग, सीमैनशिप इवॉल्युशंस और वेपन फायरिंग एक्सरसाइज को अंजाम दिया जाएगा।’
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