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ऑपरेशन सिंदूर से भारत को क्या फायदा हुआ? पाकिस्तानी सेना के दुश्मन ने 7 प्वाइंट में बता दिया, मुनीर को दी चेतावनी


भारत और पाकिस्तान में चार दिन की तनातनी के बाद डोनाल्ड ट्रंप ने शनिवार को सीजफायर का ऐलान किया। ट्रंप ने कहा कि दोनों देश पूर्ण और तत्काल संघर्ष विराम पर सहमत हुए हैं।
पहलगाम हमले के बाद बढ़ी तनातनी के बीच 6 मई की रात को भारत ने ऑपरेशन सिंदूर चलाते हुए पाकिस्तान में आतंकी ठिकानों पर मिसाइल हमले कर दिए। पाकिस्तान की ओर से भी हमलों की कोशिश हुई और दोनों देश युद्ध जैसी स्थिति में पहुंच गए। इसके बाद पाकिस्तान की ओर से शनिवार को ऑपरेशन बुनयान उल मरसूस का ऐलान कर दिया गया। हालांकि शनिवार शाम को दोनों पक्षों में सीजफायर की बात सामने आ गई। भारत का ऑपरेशन सिंदूर कितना कामयाब रहा और पाकिस्तान का बुनयान उल मरसूस कितना असरदार था। इस पर अफगानिस्तान के पूर्व उपराष्ट्रपति अमरुल्लाह सालेह ने सात प्वाइंट में अपनी बात रखी है।
पाक सेना पर आक्रामक रहने वाले अमलरुल्लाह सालेह ने ट्विटर पर लिखा, पहली बात संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद में गतिरोध की स्थिति को समझते हुए भारत ने 1945 के पांचों देशों से सहानुभूति मांगने की कोशिश नहीं की। ऑपरेशन सिंदूर ने स्पष्ट रूप से आत्मविश्वास और वास्तविक रणनीतिक स्वायत्तता और संप्रभुता की मजबूत भावना का प्रदर्शन किया।
दूसरा- पहली बार भारत ने इस धारणा को तोड़ दिया कि आतंकवाद और आतंकवादी समर्थक अलग होते हैं। उसने दोनों को निशाना बनाते हुए यह धारणा तोड़ दी कि पाकिस्तान के कुछ शक्तिशाली तत्व आतंकवादियों को समर्थन देते है। यह एक नया प्रतिमान है। इसे क्षेत्र में एक बड़ा बदलाव माना जाना चाहिए।
तीसरा- लड़ाई चल रही थी और युद्ध की योजना बन रही थी। लड़ाई के बीच में पाकिस्तान ने आईएमएफ से ऋण के लिए बातचीत की, जिसने आश्चर्यजनक रूप से इसे मंजूरी दे दी। पाकिस्तान युद्ध को वित्तपोषित करने के लिए पर्याप्त रूप से सक्षम नहीं है लेकिन आईएमएफ ऋण से युद्ध नहीं जीते जाते हैं।
चौथा- रणनीतिक धैर्य और सांस्कृतिक संयम की एक सीमा होती है। उस सीमा की परीक्षा 22 अप्रैल को आतंकवादियों ने ली। शायद वे वही चाहते थे जो हुआ। हालांकि उन्हें अपने काम से कोई लाभ नहीं हुआ। शायद वे भारत को सार्वजनिक रूप से अपमानित करना चाहते थे। वे मानसिक रूप से 2008 में फंस गए हैं।
पांचवां- किसी लड़ाई में देश का साइज भी मायने रखता है। पाकिस्तान का हर हिस्सा खतरे में था। नूर खान एयरबेस पाकिस्तान का सबसे सुरक्षित बेस है, ये भ्रम टूट गया। पाक सेना के गढ़ रावलपिंडी पर भी हमला किया गया। इसने पाक सेना की पोल खोल दी।
छठा- पाकिस्तान ने इस्लामी फतवे पर अपना एकाधिकार खो दिया। भारतीय उलेमा ने अपनी सरकार के सामने अपना खुद का फतवा पेश किया। इससे मुस्लिम उम्माह से सहानुभूति पाने का पाकिस्तान में इस्तेमाल होने वाला धार्मिक आयाम खत्म हो गया। वैसे भी देवबंद भारत में स्थित है।
सातवां- लोकतांत्रिक समाज में रहस्य रखना असंभव है लेकिन भारत से बहुत कम ही जानकारी लीक होती है। ये भारत की सीक्रेट बनाए रखने और सार्वजनिक एकता के सिद्धांतों का पालन करने में जबरदस्त कौशल दिखाता है।
पाकिस्तान के ऑपरेशन बुनयान उल मरसूस पर बात करते हुए सालेह ने कहा कि मैंने ऑपरेशन बुनयान उल मरसूस के बहुत कम दृश्य देखे, जिन पर कोई टिप्पणी की जा सके। ऐसा लगता है कि यह उस तरह से आगे नहीं बढ़ पाया जैसा प्रचारित किया गया था। युद्ध विराम ने एक तरह से पाकिस्तान को बचाया। पाकिस्तान के सैन्य नेतृत्व ने अपनी उपलब्धियों के बारे में बयान और दावे किए हैं,लेकिन मैंने दिल्ली या अमृतसर में मिसाइलों के गिरने के दृश्य नहीं देखे।