अमेरिका ने राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप के आदेश पर विदेशों को दी जाने वाली सैन्य सहायता को रोक दिया है। इनमें वो देश भी शामिल हैं, जो रक्षा के लिए अमेरिका पर पूरी तरह से निर्भर हैं। ऐसे में इनमें शामिल चीन का सबसे बड़ा दुश्मन अपने अस्तित्व पर खतरे का सामना कर रहा है।
डोनाल्ड ट्रंप ने राष्ट्रपति पद की शपथ लेते ही अमेरिकी विदेशी सहायता को रोक दिया है। इससे चीन के सबसे बड़े दुश्मन ताइवान को सुरक्षा की चिंता सताने लगी है। विश्लेषकों ने चेतावनी दी है कि बीजिंग से बढ़ते सैन्य दबाव के समय यह कदम द्वीप की रक्षा और सुरक्षा को व्यापक रूप से कमजोर कर सकता है। सैन्य निहितार्थों से परे, यह रोक ताइवान की डेमोक्रेटिक प्रोग्रेसिव पार्टी (DPP) सरकार को वाशिंगटन और बीजिंग दोनों के प्रति अपने दृष्टिकोण को फिर से निर्धारित करने के लिए मजबूर कर सकती है। विश्लेषकों को डर है कि अमेरिका के कम समर्थन से बीजिंग के लिए अपने प्रभाव का विस्तार करने का अवसर मिल सकता है।
ट्रंप ने ताइवान को भी रोकी है सैन्य मदद – 24 जनवरी को, अमेरिकी विदेश विभाग ने अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप की विदेश नीति के साथ इसकी समीक्षा करने के लिए 90 दिनों के लिए लगभग सभी विदेशी सहायता को रोकने के लिए “काम रोको” आदेश जारी किया। इसमें केवल आपातकालीन खाद्य सहायता और इज़रायल और मिस्र के लिए विदेशी सैन्य वित्तपोषण को छूट दी गई है, जिसमें यूक्रेन या ताइवान जैसे प्रमुख अमेरिकी सुरक्षा भागीदारों का उल्लेख नहीं किया गया है। हालांकि 1979 में अमेरिका द्वारा चीन को राजनयिक मान्यता दिए जाने के बाद से ताइवान को सीधे अमेरिकी विदेशी सहायता नहीं मिली है, लेकिन हाल के वर्षों में सैन्य सहायता में वृद्धि हुई है।
बाइडन ने ताइवान को भर-भरकर दिए हथियार – पूर्व राष्ट्रपति जो बाइडन के कार्यकाल में, अमेरिका ने 2023 में 345 मिलियन अमेरिकी डॉलर के एक ऐतिहासिक सैन्य सहायता पैकेज को मंजूरी दी थी। इसके बाद पिछले साल 571 मिलियन अमेरिकी डॉलर का एक और पैकेज दिया गया, जिससे ताइवान को मुफ्त हथियार, प्रशिक्षण और सेवाएं प्रदान की गईं। यूएस कांग्रेस ने 2027 तक ताइवान के लिए 10 बिलियन अमेरिकी डॉलर तक के ब्याज मुक्त ऋण को भी मंजूरी दी है।
ताइवान की सुरक्षा को खतरा बढ़ा – ताइवान को दी जाने वाली अमेरिकी सैन्य सहायता उसके कुछ सहयोगियों को दी जाने वाली सहायता से कम है। लेकिन, ट्रंप के प्रतिबंध ने ताइपे में चिंता बढ़ा दी है, खासकर तब जब उनके प्रशासन ने यूएस एजेंसी फॉर इंटरनेशनल डेवलपमेंट (यूएसएआईडी) के संचालन को रोकने का कदम उठाया। विपक्षी ताइवान पीपुल्स पार्टी के विधायक लिन यी-जून ने बुधवार को कहा, “सैन्य सहायता चीनी सैन्य खतरों का विरोध करने की हमारी क्षमता को मजबूत करती है और अमेरिकी रणनीतिक हितों की पूर्ति करती है।”
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