
इस वर्ष दीपावली का पर्व 04 नवंबर दिन गुरुवार को पड़ रहा है। पूरे देश में ये त्यौहार बेहद धूम-धाम से मनाया जाता है। धार्मिक मान्यताओं के अनुसार इस शुभ अवसर पर देवी लक्ष्मी व सर्वप्रथम पूजनीय भगवान गणेश जी की विधि वत पूजा अर्चना की जाती है। सनातन धर्म के ग्रंथों व शास्त्रों में बताया गया है कि दीपावली शब्द की उत्पत्ति दो शब्दों से मिलकर हुई है दीप+आवली। इसमें दीप का मतलब दीये और आवली का मतलब श्रृंखला से होता है।
प्रत्येक वर्ष दीपावली का त्यौहार धनतेरस से शुरू होकर भाई-दूज तक रहता है। कहा जाता है कि इस दौरान आने वाले हर पर्व का अपना एक खास महत्व होता है। लोग अपने घरों में दिवाली की तैयारियां बहुत दिन पहले से शुरू हो जाती हैं। बात करें कि दीपावली के पहले दिन कि तो धनतेरस के दिन लोग सोने-चांदी या नए बर्तन की खरीददारी करते हैं तथा देवी लक्ष्मी के समक्ष दीप जलाते हैं और उनकी कृपा पाते हैं।
इसके अलावा धनतेरस से लेकर कुल पांच दिनों का क्या महत्व है, जानिए यहां- शास्त्रों के अनुसार नरक चतुर्दशी के दिन मृत्यु के देवता यमराज के लिए असमय मृत्यु के भय से बचने के लिए सारी रात दीपक जलाएं जाते हैं। कहा जाता है कि इस दिन भगवान कृष्ण ने नरकासुर राक्षस का वध किया था और तब से छोटी दीपावली को नरक चतुर्दशी के नाम से भी जाना जाता है।
बताया जाता है कि दिवाली के दिन भगवान राम चौदह बरस के वनवास को पूरा करके वापिस अयोध्या आए थे जिस कारण से उनके स्वागत में पूरी अयोध्या में दीये जलाए गए थे तब से दिवाली का त्योहार मनाया जाता है।
दीपावली के बाद आता है गोवर्धन पूजा का दिन, जिस अवसर पर इस दिन अलग-अलग प्रकार के व्यंजनों से गोवर्धन की आराधना की जाती है।
आखिर में आता है भैया दूज का पर्व, जिस दौरान बहनें अपने भाईयों का टीका करती है और एक दूसरे के जीवन के लिए मंगल कामना करती हैं। इस प्रकार दीपावली के पांचो त्योहारों का अपना महत्त्व है तो आइए जानते है कि इन दिनों पूजा के लिए क्या-क्या सामग्री चाहिए होती है।
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