सन् 1971 में जब भारत और पाकिस्तान के बीच जंग हुई तो इस देश का एक हिस्सा जिसे पूर्वी पाकिस्तान कहते थे, इससे अलग हो गया। यह पूर्वी पाकिस्तान, बांग्लादेश बना और उस समय शायद ही किसी ने सोचा हो कि यह छोटा सा देश अपने दुश्मन से कहीं आगे निकल जाएगा। रूस और यूक्रेन की जंग की वजह से बांग्लादेश भी आर्थिक मुश्किलों से गुजर रहा है। मगर संकट के बावजूद पाकिस्तान से इसकी स्थिति कहीं ज्यादा बेहतर है। इसकी जीडीपी, पाकिस्तान से कहीं आगे है और महंगाई भी काफी कम। आर्थिक संकट में होने के बाद भी बांग्लादेश का विदेशी मुद्रा भंडार पाकिस्तान के लिए सपने के जैसा है।
आगे निकलता गया बांग्लादेश – सन् 1990 के दशक में पाकिस्तान अपनी तुलना भारत से करता था। कई लोग मानने लगे थे कि इस मुल्क में कई संभावनाएं हैं जो उसे भारत के स्तर पर ला सकती हैं। कई लोग इस तरह की बातें भी करने लगे थे कि कैसे ये दो दक्षिण एशियाई देश आने वाले समय में आगे बढ़ेंगे। दोनों ही देशों की जीडीपी एक जैसी थी और दोनों के आर्थिक तरक्की के आंकड़ें भी कुछ आगे ही पीछे होंगे। भारतीय रुपया मजबूत था लेकिन पहुंच में था।
सिर्फ दो दशकों में ही तस्वीर बदल गई। अब भारत के साथ तो पाकिस्तान की तुलना की ही नहीं जा सकती थी मगर बांग्लादेश भी उससे आगे निकल गया था। जो हिस्सा पाकिस्तान से ही अलग होकर एक देश बना था, अब वही इसे अर्थव्यवस्था के मामले में टक्कर देने लगा था।
उड़ाया जाता था टके का मजाक – जिस दो टके को मजाक में लिया जाता था, उसी टके ने पाकिस्तान को घुटनों पर लाना शुरू कर दिया था। साल 2008 से ही बांग्लादेश का टका मजबूत हो रहा था और पाकिस्तान का रुपया कमजोर होता जा रहा था। बांग्लादेश निवेशकों की पसंद बन रहा था तो पाकिस्तान को आतंकवाद की वजह से बेइज्जती झेलनी पड़ रही थी। किसी भी देश की मुद्रा उसकी आर्थिक स्थिति को बयां करती है। उसका कमजोर होना साबित करता है कि वह देश अब अपना आकर्षण खो रहा है।
जर्मनी की सबसे बड़ी टेक्सटाइल कंपनी की तरफ से सलाह दी गई है कि पाकिस्तान की टेक्सटाइल कंपनियों को पाकिस्तान से सीखने की जरूरत है। उसे बांग्लादेश की तर्ज पर ही सुरक्षा के मानकों को बढ़ाना होगा। अगर पाकिस्तान ऐसा करता है तो शायद टेक्सटाइल निर्यात बढ़ सके।
Home / News / पाकिस्तान ने जो ख्वाब में नहीं सोचा, बांग्लादेश ने वो कर दिखाया, जानें कैसे अमीर हुआ ‘टके’ का देश