
शिशु के जन्म के बाद अधिक ब्लीडिंग हो सकती है लेकिन अगर ब्लीडिंग रुक नहीं रही है तो डॉक्टर को दिखाने की जरूरत है।
सी सेक्शन के बाद वैजाइनल डिस्चार्ज या ब्लीडिंग होना आम बात है। प्रेगनेंसी के बाद शरीर से एक तरह का डिस्चार्ज होता है जिसे लोचिआ कहते हैं। ऑपरेशन के बाद टांके वाली जगह से थोड़ी मात्रा में स्राव होना नॉर्मल बात है। हालांकि, अगर कुछ दिनों में स्राव रुक नहीं रहा है तो आप डॉक्टर को दिखाएं।
प्रेगनेंसी में शिशु के विकास में मदद करने वाले गर्भाशय में मौजूद अतिरिक्त रक्त और ऊतक लोचिया के रूप में शरीर से बाहर निकलते हैं।
सिजेरियन के बाद कब तक होती है ब्लीडिंग
ऑपरेशन के बाद रिकवर होने का ही एक हिस्सा है ब्लीडिंग। प्रेगनेंसी के बाद शरीर में बचे म्यूकस, खून और ऊतक योनि के जरिए बाहर है। इस डिस्चार्ज को लोचिया कहते हैं। आपका डिलीवरी के बाद छह सप्ताह तक लोचिया आ सकता है लेकिन इसका रंग और मात्रा समय के साथ हल्के होते चले जाते हैं। ऑपरेशन के टांके से आपको गुलाबी या पतला या स्राव होता हुआ भी दिख सकता है।
बॉलीवुड की सुपरहॉट मॉम शिल्पा शेट्टी कुंद्रा ने भी अपने बेटे विआन को सिजेरियन डिलीवरी से जन्म दिया था। शिल्पा की डिलीवरी साल 2012 में हुई थी।
वहीं इस साल शिल्पा ने सेरोगेसी के जरिए बेटी पैदा की है क्योंकि शिल्पा को APLA डिजीज थी जिसकी वजह से उन्हें दोबारा मां बनने में दिक्कत आ रही थी।
साल 2012 में लारा ने बेबी गर्ल को जन्म दिया था। मुंबई के लीलावती अस्पताल में लारा दत्ता की सी-सेक्शन डिलीवरी हुई थी। लारा ने साल 2011 में टेनिस स्टार महेश भूपति से शादी की थी।
डिलीवरी के बाद बहुत जल्द ही लारा ने अपनी फिट फिगर और बॉडी को वापस पा लिया था और आज उन्हें देखकर आप बिल्कुल नहीं कह सकते कि उनकी सिजेरियन डिलीवरी हुई थी।
एवग्रीन एक्ट्रेस काजोल ने भी अपने दूसरे बच्चे को सी-सेक्शन की मदद से जन्म दिया है। इससे पहले काजोल को मिसकैरेज का दर्द भी झेलना पड़ा था।
प्रेगनेंसी से लेकर डिलीवरी के बाद फिटनेस को करीना कपूर खूब सुर्खियों में रहीं। करीना के बेटे तैमूर अली खान को सोशल मीडिया पर खूब पसंद किया जाता है।
सी सेक्शन के बाद ब्लीडिंग के कारण
ऑपरेशन के बाद महिलाओं को निम्न कारणों से ब्लीडिंग हो सकती है :
ऑपरेशन के समय अंदरूनी चीरा शिशु को बाहर निकालने के लिए पर्याप्त न हो तो इस दौरान शिशु को बार निकालते समय आसपास की रक्त वाहिकाएं और ऊतक क्षतिग्रस्त हो सकते हैं। कभी कभी गर्भाशय के आसपास की धमनियों और नसों को नुकसान पहुंचने पर भी ब्लीडिंग हो सकती है।
प्लेसेंटा के कुछ टुकडे गर्भाशय के अंदर रह जाएं तो इस वजह से भी महिलाओं को अधिक ब्लीडिंग हो सकती है। कई बार सी सेक्शन करवा चुकी महिलाओं में ऐसा अधिक देखा जाता है।
जब प्लेसेंटा प्राकृतिक रूप से गर्भाशय से अलग न हो तो इस स्थिति में भी ब्लीडिंग होती है।
एंग्जायटी की वजह से हुई थी करीना कपूर खान की सिजेरियन डिलीवरी, जानिए इससे बचने के तरीके
गर्भावस्था में हार्मोनल बदलाव के कारण एंग्जायटी और पैनिक अटैक आने का खतरा बढ़ जाता है। प्रेगनेंसी हार्मोंस बहुत ज्यादा स्ट्रेस की स्थिति में दिमाग के कुछ हिस्सों को सक्रिय कर देते हैं जिससे एंग्जायटी होना शुरू हो जाता है।
इसके अलावा डिलीवरी के आसपास अत्यधिक हार्मोनल बदलाव, लेबर पेन, नींद की कमी और आराम न करने, अस्पताल में रहने के डर से, मां बनने की जिम्मेदारियों के डर से और शिशु की सेहत को लेकर होने वाली चिंता की वजह से महिलाओं को एंग्जायटी हो जाती है।
ऐसा नहीं है कि डिलीवरी रूम में ही प्रेगनेंट महिलाओं को एंग्जायटी होती है, बल्कि इससे पहले ही उन्हें इसका एहसास होना शुरू हो जाता है। डिलीवरी को लेकर कुछ महीनों पहले ही महिलाओं को एंग्जायटी होने लगती है।
जब गर्भ में शिशु होने की एंग्जायटी के साथ-साथ लेबर पेन का डर भी सताने लगे तो फिर स्थिति को कंट्रोल करना मुश्किल हो जाता है।
बच्चे को जन्म देना काफी तनावपूर्ण होता है और अगर आप प्रेगनेंसी के दौरान ही एंग्जायटी को कंट्रोल कर लें तो फिर बाद में इसे होने से रोका जा सकता है।
आपको जानकर हैरानी होगी कि कुछ अध्ययनों में पाया गया है कि पैनिक अटैक डिलीवरी के दौरान नहीं बल्कि इससे पहले और बाद में आता है। डिलीवरी से पहले महिलाओं को अस्पताल जाने के डर से या लेबर पेन की वजह से एंग्जायटी हो सकती है।
अध्ययनों में साफ कहा गया है कि डिलीवरी के बाद पैनिक अटैक आना सामान्य बात है। डिलीवरी के बाद कुछ महिलाओं को बॉडी को दोबारा शेप में लाने को लेकर भी एंग्जायटी हो जाती है।
प्रेगनेंसी के दौरान डॉक्टर की सलाह जरूर मानें। प्रेगनेंसी और डिलीवरी को लेकर ऑनलाइन कोई भी डरावनी कहानी न सुनें। जितना हो सके डिलीवरी से पहले और गर्भावस्था के दौरान हल्के व्यायाम करें। मेडिटेशन की मदद से भी आप प्रेगनेंसी के दौरान और बाद में एंग्जायटी से बच सकती हैं।
वैजाइनल ब्लीडिंग होने पर क्या करें
अगर आपको ऑपरेशन के बाद ब्लीडिंग हो रही है जो सैनिटरी पैड्स का इस्तेमाल करें। पहले कुछ दिनों में आपको अधिक पैड इस्तेमाल करने की जरूरत पड़ सकती है। समय के साथ ब्लीडिंग हल्की होती चली जाएगी। सी सेक्शन या नॉर्मल डिलीवरी के बाद टैंपोन का इस्तेमाल न करें। जब तक डॉक्टर न कहें, तब तक टैंपोन का प्रयोग करने से बचें।
ऑपरेशन के बाद स्तनपान से ब्लीडिंग कम होने में मदद मिल सकती है। स्तनपान के दौरान गर्भाशय की मांसपेशियों और आसपास की रक्त वाहिकाओं के सिकुड़ने की वजह से ऐसा होता है।
रिकवरी के दौरान ज्यादा काम न करें और भारी सामान उठाने से भी बचें।
चीरे वाली जगह से ब्लीडिंग
सी सेक्शन के बाद शुरुआती दिनों में चीरे वाली जगह से स्राव हो सकता है लेकिन इसमें ब्लीडिंग नहीं होगी। इस जगह को साफ रखें।
डिलीवरी के बाद पहले कुछ दिनों तक डॉक्टर इस हिस्से को सूखा रखने और पानी से बचाने की सलाह देते हैं। इस पहली बार पानी डालने से पहले डॉक्टर से बात जरूर करें।
डॉक्टर को कब दिखाएं
अगर ऑपरेशन के बाद ब्लीडिंग कम होने की बजाय बढ़ रही है तो डॉक्टर से सलाह लें। एक घंटे में ही पैड बदलने की जरूरत पड़ रही हो या ब्लीडिंग ज्यादा और गहरे रंग की हो, खून के थक्के अधिक हों या डिस्चार्ज से बदबू आ रही हो तो डॉक्टर से परामर्श करना जरूरी है।
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