
भारतीय त्योहारों का मतलब है मौज मस्ती, परिवार और परंपरा। लेकिन त्योहारों में उन माता-पिता की चिंता बढ़ जाती हें, जिनके बच्चे उत्सव में शामिल नहीं होना चाहते। अगर आप भी इस बात को लेकर परेशान रहती हैं, तो यहां बताए गए एक्सपर्ट टिप्स आपके बहुत काम आएंगे।
बचपन में त्योहारों का उत्साह अलग ही होता है। त्योहार से पहले परिवार के साथ समय बिताना, तैयारियों में जुट जाना, साफ सफाई करने जैसी यादें आज भी हमारे दिलों में बसी हैं। वास्तव में त्योहार हमें सिखाते हैं कि जीवन में उत्साह और खुशियां कितनी जरूरी हैं। लेकिन आजकल के बच्चों की आधी से ज्यादा लाइफ टेक्नोलॉजी पर निर्भर हो गई है।
कई पेरेंट्स की शिकायत रहती है कि उनके बच्चे खासतौर से टीनएजर लड़के त्योहारों में दिलचस्पी नहीं दिखाते और न ही इसमें शामिल होना चाहते हैं। पैरेंटिंग कोच डॉ. पल्लवी राव चतुर्वेदी ने इंस्टाग्राम पर एक वीडियो शेयर किया है। इसमें उन्होंने टीनएजर्स में फेस्टिवल का क्रेज बढ़ाने के तरीके बताए हैं, जो आपके बहुत काम आ सकते हैं।
बच्चे को त्योहारों में दिलचस्पी क्यों नहीं? – एक्सपर्ट के मुताबिक, बच्चों का त्योहारों से दूर होना एक कॉमन प्रॉब्लम है। ज्यादातर प्री टीन और टीनएजर बच्चों में यह देखा जाता है कि वे किसी से मिलना नहीं चाहते आर न उन्हें त्योहारों में किसी तरह की दिलचस्पी होती है। इसकी कई वजह हैं। जैसे-
टीनएजर बच्चे प्राइवेसी चाहते हैं। – उन्हें अपनी उम्र के बच्चों के साथ समय बिताना पसंद होता है।
पढाई के दबाव के कारण भी वह त्योहार और परंपराओं में ज्यादा रूचि नहीं दिखाते ।
बच्चों में आधुनिकता की ओर झुकाव होना भी त्योहार से दूर होने का मुख्य कारण है।
घर में ही त्योहार मनाएं – एक्सपर्ट ने सलाह दी है कि हर त्योहार घर में ही सेलिब्रेट करना चाहिए। इससे बच्चा आसानी से उत्सव में शामिल हो सकता है। पर ध्यान रखें कि उन पर किसी तरह का दबाव नहीं होना चाहिए। साथ ही ये उम्मीद न करें, जैसा आप चाहते हैं वो वैसा ही करें ।
हर त्योहार मनाना जरूरी है – कम उम्र से ही बच्चों को त्योहारों का महत्व सिखाना जरूरी होता है। यह तभी संभव है जब आप सभी त्योहार हर्ष और उल्लास के साथ मनाते हों। यह सोचकर कि बच्चों को दिलचस्पी नहीं है, त्योहार मनाना ना छोड़ें। जैसे मनाते आए हैं, उसी तरह त्योहार धूमधाम से मनाएं।
सच्चाई को स्वीकारें – आपको यह सच स्वीकार करना होगा कि जैसे-जैसे बच्चे बड़े होते हैं, वे त्योहारों और फैमिली से दूर होने लगते हैं। लेकिन ऐसे में आपको धैर्य नहीं खोना। बल्कि उस समय का इंतजार करना है, जब 10-15 साल बाद वह अपनी अगली जनरेशन के साथ इन त्योहारों को एन्जॉय करेंगे।
परंपराओं के बारे में बताएं – त्योहार लोगों को एकजुट करते हैं। इनसे ही समाज में अपनेपन की भावना विकसित होती है। इसलिए माता-पिता की जिम्मेदारी है कि बच्चाें को त्योहार और परंपरा का महत्व बताएं। अगर बच्चे पैरेंट्स की बात नहीं सुनते, तो आप उन्हें त्योहारों से जुड़ी रोचक कहानियां सुना सकते हैं।
टीनएजर्स में त्योहारों का क्रेज बढ़ाने के अन्य तरीके – टीनएजर्स में त्योहारों का क्रेज बढ़ाने के अन्य तरीके
आप बच्चों से त्योहारों के छोटे मोटे काम करा सकते हैं।
त्योहारों पर उनकी पसंदीदा चीज के बारे में कुछ लिखने के लिए कहें।
उन्हें उन एक्टिविटीज में शामिल करें, जिसमें उन्हें मजा आए और कुछ सीखने को भी मिले।
बच्चों को त्योहार के कारण, इतिहास और महत्व से जुड़ी कहानी सुना सकते हैं।
बच्चों को त्योहारों में होने वाली एक्टिविटीज में हिस्सा लेने के लिए मोटिवेट करें।
Home / Lifestyle / क्या करें, जब त्योहारों में दिलचस्पी न दिखाए बच्चा? एक्सपर्ट ने कहा- ‘कॉमन प्रॉब्लम है, बच्चों को परंपराओं का महत्व सिखाएं’
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