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BRI हुआ फेल तो चीन ने फेंका नया पासा, सैटलाइट सर्विस का दिया ऑफर, बोला- लॉन्च भी करेंगे


चीन ने बेल्ट एंड रोड इनिशिएटिव के सदस्य देशों को सैटेलाइट सर्विस का ऑफर दिया है। एक चीनी सैटेलाइट निर्माता कंपनी ने कहा है कि वह बीआरआई के सदस्य देशों को कम कीमत पर सैटेलाइट सर्विस मुहैया कराने को तैयार है। अगर कोई देश खरीदता है, तो वह लॉन्चिंग में भी मदद करेगी।
चीन ने बेल्ट एंड रोड इनिशिएटिव (BRI) के सदस्य देशों को सैटेलाइट सर्विस का ऑफर दिया है। यह ऑफर तब आया है, जब दुनियाभर में चीन के बीआरआई को लेकर शंका बढ़ रही है। बेल्ट एंड रोड इनिशिएटिव को पहले वन बेल्ट वन रोड के नाम से जाना जाता था। यह चीन द्वारा एक वैश्विक बुनियादी ढांचा विकास रणनीति है जो 2013 में शुरू की गई थी। इसका मुख्य उद्देश्य दक्षिण पूर्व एशिया, मध्य एशिया, खाड़ी क्षेत्र, अफ्रीका और यूरोप को भूमि और समुद्री मार्गों के माध्यम से जोड़ना है।
चीनी उपग्रह निर्माता कंपनी ने दिया ऑफर – चीनी उपग्रह निर्माता चांग गुआंग सैटेलाइट टेक्नोलॉजी कंपनी ने ल्ट एंड रोड इनिशिएटिव में शामिल देशों को अपनी सर्विस का ऑफर दिया है। चांग गुआंग, उन चंद चीनी एयरोस्पेस कंपनियों में से एक है, जिनके पास लॉन्च के बाद के संचालन और डेटा प्रोसेसिंग तक की पूरी इंडस्ट्री चेन है। अमेरिका ने चांग गुआंग पर 2023 में प्रतिबंध का ऐलान किया था। तब आरोप लगा था कि यह चीनी कंपनी रूस को रिमोट सेंसिंग सैटेलाइटों तक पहुंच प्रदान कर रही है।
इन दो देशों का खास तौर पर किया जिक्र – चांग गुआंग ने अपने ऑफर में कहा है कि नया उपग्रह पाकिस्तान और मिस्र जैसे देशों को बिक्री के लिए उपलब्ध होगा, जो चीन की बेल्ट और रोड इंफ्रास्ट्रक्चर योजना में भागीदार हैं। नए उपग्रह भूमि और संसाधन निगरानी, पर्यावरण संरक्षण, कृषि, जल प्रबंधन और आपातकालीन प्रतिक्रिया जैसे काम को अंजाम दे सकते हैं। चांग गुआंग ने कहा है कि वह उससे उपग्रह खरीदने वाले ग्राहकों के लिए लॉन्च का समन्वय भी करेगा।
क्या फेल हो गया BRI? – चीन के बीआरआई प्रोजेक्ट पर पिछले कई वर्षों से सवाल उठ रहे हैं। 2013 में शुरू किए गए इस पहल के जरिए चीन को कोई खास लाभ नहीं हुआ है। चीन-पाकिस्तान आर्थिक गलियारा भी इसी पहल का हिस्सा है, लेकिन यह प्रोजेक्ट लंबे समय से अटका हुआ है। इसके अलावा चीन ने इस पहल को यूरोप से लेकर अफ्रीका और एशिया तक फैलाने की जिस स्तर पर कोशिश की, उसका लाभ नहीं हुआ। इटली पहले ही बीआरआई से किनारा कर चुका है। श्रीलंका को भी अहसास हो गया है कि वह बीआरआई के जरिए चीन के कर्ज के जाल में फंस चुका है।