
तेल अवीव/नई दिल्ली: भारत ने इजरायल और ईरान के बीच हालिया संघर्ष पर शांति की बात कही है। भारतीय विदेश मंत्रालय ने एक दिन पहले जारी बयान में कहा था कि दोनों देशों को ऐसा कुछ भी नहीं करना चाहिए, जिससे संघर्ष और बढ़े। इतना ही नहीं, भारत ने दोनों देशों को दोस्त बताया था। ईरान पर हमले के बाद दुनियाभर के मुस्लिम देशों ने इजरायल की आलोचना की है। बता दें कि पाकिस्तान के खिलाफ ऑपरेशन सिंदूर के दौरान इजरायल दुनिया का इकलौता ऐसा देश था, जिसने खुलकर भारत का समर्थन किया था।
नेतन्याहू ने पीएम मोदी से की बात – प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी और इजराइल के प्रधानमंत्री बेंजामिन नेतन्याहू के बीच टेलीफोन पर बातचीत के बाद भारत में इजराइल के राजदूत रूवेन अजार ने आशा व्यक्त करते हुए शनिवार को कहा कि भारत में इजराइल-ईरान के बीच बढ़ते तनाव को कम करने के लिए मध्यस्थता करने की क्षमता है। अजार ने कहा, ”भारत के पास दोनों पक्षों के साथ बातचीत के रास्ते हैं। यह वास्तव में भूमिका (मध्यस्थता में) निभा सकता है। हम भारत के साथ इस ईमानदार बातचीत से खुश हैं जो हमारा बहुत अच्छा मित्र है… हम आपकी चिंताओं को ध्यान से सुनते हैं। मुझे लगता है कि वे (चिंताएं) जायज हैं।”
ईरान के ‘परमाणु हथियारों’ से डरा इजरायल – इजराइल और ईरान द्वारा एक-दूसरे के खिलाफ हमले किए जाने से पश्चिम एशिया में बढ़े तनाव के बीच यह टिप्पणी आई है। नेतन्याहू ने शुक्रवार को प्रधानमंत्री मोदी को फोन करके इजराइल की कार्रवाई के बारे में जानकारी दी। राजदूत ने इस कार्रवाई को ईरान को परमाणु हथियार बनाने से रोकने के उद्देश्य से और बैलिस्टिक मिसाइल कार्यक्रम से उत्पन्न ”अस्तित्वगत खतरे” का जवाब देने के लिए रक्षात्मक उपाय बताया।
इजरायल बोला- हमारे पास कोई विकल्प नहीं – इस बात पर बल देते हुए कि इजराइल के पास निर्णायक कार्रवाई के अलावा ”कोई विकल्प नहीं” था, अजार ने कहा, ”दुनिया का कोई भी देश इस तरह के हालत पैदा करना नहीं चाहता है।” उन्होंने दावा किया कि ईरानी अधिकारियों का एक गुप्त समूह इजराइल को ”तबाह” करने के इरादे से परमाणु हथियार तैयार करने का प्रयास कर रहा था और ईरान के सर्वोच्च नेता अयातुल्ला खामनेई बार-बार यह बात कहते रहते हैं। आने वाले वर्षों में बैलिस्टिक मिसाइलों का विशाल शस्त्रागार बनाने की ईरान की ”योजनाओं” की तरफ गौर कराते हुए अजार ने कहा, ”हमें एक आसन्न खतरे को दूर करना था और उनके परमाणु प्रतिष्ठानों एवं बैलिस्टिक मिसाइलों के खिलाफ निर्णायक कार्रवाई करनी थी।”
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