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कब पड़ती है कूल्‍हे बदलवाने की नौबत? 60 की उम्र के बाद कब चल फिर सकता है बुजुर्ग; डॉक्‍टर ने दिया जवाब


60 साल से ज्यादा उम्र के लोग कूल्हे की सर्जरी कराने पर काफी भयभीत हो सकते हैं। कई वरिष्ठ नागरिकों के मन में सवाल उठता है कि क्या इतनी ज्‍यादा उम्र में सर्जरी कराने के बाद यह सर्जरी कामियाब हो पाएगी। कूल्हे की सर्जरी और उसके बाद रिहैबिलिटेशन के बारे में सबसे अच्छी बात यह है कि इसमें उम्र से कोई फर्क नहीं पड़ता है।
पटियाला के मणिपाल अस्पताल के वरिष्ठ सलाहकार ऑर्थोपेडिक एवं ज्वाइंट रिप्‍लेसमेंट सर्जरी, डॉ. परमजीत सिंह चहल ने कूल्‍हे की सर्जरी से जुड़ी ऐसी तमाम बातों को हाईलाइट किया है, जो अक्‍सर लोगों के मन में उठती हैं। तो अगर आपके मन में भी हिप रिप्‍लेसमेंट सर्जरी से जुड़ी अधूरी जानकारी है, तो नीचे पढ़ना न भूलें।
​कूल्हे की सर्जरी क्या है? – ​कूल्हे की सर्जरी अनेक कारणों से करानी पड़ सकती है, जिनमें कूल्हे का टूटना और ऑस्टियोआर्थराइटिस, तथा अन्य उम्र संबंधी बीमारियां शामिल हैं।
कूल्हे की सर्जरी मुख्यतः दो प्रकार की होती हैः – पहली कूल्हे का रिप्लेसमेंट और दूसरी कूल्हे की रिसर्फेसिंग। कूल्हे के जोड़ में क्षतिग्रस्त हड्डी को बाहर निकालकर उसकी जगह मेटल के पार्ट लगाने को कूल्हे का रिप्लेसमेंट कहा जाता है, जबकि रिसर्फेसिंग में हड्डी का बड़ा हिस्सा बाहर निकालने की बजाय कूल्हे के जोड़ को कृत्रिम सामग्री से कवर कर दिया जाता है।
​उम्र से कोई फर्क नहीं पड़ता – यहां एक चीज ध्यान देने वाली है कि कूल्हे की सर्जरी में उम्र से कोई फर्क नहीं पड़ता। इस बात में कोई संदेह नहीं कि बूढ़े लोग स्वास्थ्य की कुछ विशेष समस्याओं के प्रति ज्यादा संवेदनशील होते हैं, और उन्हें ठीक होने में ज्यादा समय लग सकता है, लेकिन फिर भी उन्हें सर्जरी और फिज़िकल थेरेपी का लाभ मिलता है।
60 साल से ज्यादा उम्र के लोगों की कूल्हे की सर्जरी से उनके जीवन में काफी सुधार आ सकता है। इससे क्रोनिक दर्द को दूर करने में मदद मिलती है, गतिविधि में सुधार होता है, और वो फिर से आत्मनिर्भर बन जाते हैं। कूल्हे की सफल सर्जरी के बाद वृद्ध कई सारी गतिविधियों का आनंद ले सकते हैं, जिसके बारे में पहले वो कल्पना भी नहीं कर सकते थे।
रिहैबिलिटेशन की प्रक्रिया – कूल्हे की सर्जरी के बाद कई दिनों और हफ्तों की रिहैब प्रक्रिया इलाज का एक महत्वपूर्ण हिस्सा होती है। इसमें फिजियो थेरेपी, दर्द का निवारण, और शारीरिक गतिविधि को धीरे-धीरे बढ़ाना शामिल होता है। नीचे रिहैबिलिटेशन प्रक्रिया के कुछ महत्वपूर्ण पहलू दिए गए हैंः
शारीरिक थेरेपीः फिज़िकल थेरेपिस्ट मरीजों की पेशियों की शक्ति, गतिविधि का दायरा, और संतुलन बढ़ाने में मदद करते हैं। वो हर व्यायाम को व्यक्तिगत जरूरतों और क्षमताओं के आधार पर अनुकूलित करते हैं।
​सर्जरी के बाद दर्द का निवारण – दर्द का निवारणः सर्जरी के बाद दर्द का निवारण इलाज की प्रक्रिया का महत्वपूर्ण हिस्सा है। दर्द के निवारण के लिए फिज़िशियन विभिन्न प्रक्रियाओं का उपयोग करते हैं, जिनमें दवाईयों से लेकर नॉन-फार्मेकोलॉजिकल उपाय शामिल हैं, जो मरीजों को स्वास्थ्यलाभ के साथ आराम देते हैं।
मोबिलिटी का प्रशिक्षणः सर्जरी जितनी गंभीर होती है, उसके आधार पर मरीज को कुछ समय के लिए बैसाखी, वॉकर या कोई अन्य असिस्टिव डिवाईस दी जा सकती है, जिसकी मदद से मरीज तब तक धीरे-धीरे चलने का अभ्यास कर सकता है, जब तक वह स्वतंत्रतापूर्वक खुद न चलने लगे।
घर के व्यायामः फिज़िकल थेरेपी के सत्रों के बाद मरीजों को ऐसे व्यायामों का परामर्श दिया जाता है, जो वो घर पर कर सकते हैं। इससे उन्हें थेरेपी के सत्रों में प्राप्त की गई प्रगति को बनाए रखने में मदद मिलती है।
​चुनौतियां और ध्यान में रखने वाली बातें – स्वास्थ्यः जिन लोगों को स्वास्थ्य की कोई समस्या होती है, उन पर सावधानी से निगरानी और विशेष देखभाल करने की जरूरत होती है।
धैर्यः स्वास्थ्य लाभ एक लंबी चलने वाली प्रक्रिया है, जो वृद्धों में उम्र संबंधी समस्याओं के कारण और ज्यादा धीमी हो जाती है। इसलिए मरीज को जल्दबाजी नहीं करनी चाहिए।
सर्जरी-पूर्व तैयारीः – सर्जरी कराने से पहले ज्यादा से ज्यादा स्वस्थ व चुस्त रहें, जिससे सर्जरी सुगमता से पूरी होने में मदद मिलेगी। इसमें प्रिहैब व्यायाम और जीवनशैली में संशोधन शामिल हो सकता है।
रिहैब एक मुश्किल काम है, जिसके लिए काफी प्रोत्साहन देना पड़ता है। यह केवल 60 वर्ष से कम उम्र या उन लोगों के लिए ही जरूरी नहीं है जिनके कूल्हे का रिप्लेसमेंट हुआ है, बल्कि यह कूल्हे की सर्जरी कराने वाले हर उम्र के हर व्यक्ति के लिए जरूरी है। उचित मेडिकल सहायता और रिहैबिलिटेशन योजना के साथ वृद्ध फिर से आत्मनिर्भर जीवन जी सकते हैं, और अपने कूल्हे का ऑपरेशन कराके जीवन की गुणवत्ता में सुधार ला सकते हैं। अपनी सेहत और स्वास्थ्य में सुधार लाने के लिए कोई भी समय अनुपयुक्त नहीं होता।