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‘जब भी मैं गलती करता हूं, मेरी मां खुद को बेलन से मारने लगती हैं… समझ नहीं पा रहा, क्या करूं?


​कभी-कभी बच्चे अपने माता-पिता के गुस्से से परेशान हो जाते हैं। ऐसा ही हुआ एक बच्चे के साथ, जो अपनी गलती करने पर मां को खुद को चोट पहुंचाते देखकर बेहद परेशान हो गया।
वृंदावन के प्रसिद्ध संत प्रेमानंद महाराज के पास हर रोज कोई न कोई अपनी समस्या लेकर आता है और उनसे समाधान पाता है। इसी क्रम में हाल ही में एक बच्चा उनके पास आया और बताया ‘अगर मैं कोई गलती करता हूं, तो मेरी मां गुस्से में खुद को बेलन से मारने लगती हैं। महाराज जी, आप ही मुझे समझा दीजिए।’ इस सवाल के जवाब में प्रेमानंद महाराज ने बच्‍चे को क्‍या समझाया और साथ ही बच्‍चे की मां को भी क्‍या सीख दी, चल‍िए जानते हैं सब कुछ व‍िस्‍तार से।
बच्‍चे को प्‍यार से समझाएं – महाराज मां को समझाते हुए गुस्से में बच्चे को उचित वचनों और उचित दंड से सुधारा जा सकता है। प्यार से समझाना चाहिए। यह सुनने के बाद फौरन एक मह‍िला कहती है ‘हम तो बच्चों को प्यार से ही समझाते हैं, लेकिन आजकल के बच्चे सुनते ही नहीं। हम बार-बार कहते हैं कि बेटा, यह बातें फॉलो करो… लेकिन वो मानते ही नहीं।’
प्‍यार से भी नहीं सुनते बच्‍चे – महिला की यह बात सुनकर संत प्रेमानंद महाराज ने कहा इसका कारण यह है कि आपने बचपन से बच्चे को संस्कार नहीं दिए। अगर मां होकर आपने उन्हें छोटे से ही सिखाया होता कि बड़ों के पैर छूना है, ‘राधा-राधा’ नाम जपना है, तभी तुम्हें बाल भोग मिलेगा, तो आज यह समस्या खड़ी ही न होती। यह सुनकर वही महिला फिर बोलीं महाराज जी, हम तो बच्चों से कहते हैं, लेकिन वो सुनते ही नहीं।
बड़े होने के बाद समझाना मुश्‍क‍िल – महिला की बात सुनकर संत प्रेमानंद महाराज मुस्कुराए और बोले अब जब बच्चे बड़े हो गए हैं, तो उनका सुनना मुश्किल है। यह सुनकर महिला ने फिर हाथ जोड़कर कहा क‍ि महाराज जी, आप ही समझाइए। आज की जेनरेशन आपकी बातें सुनती है, तो आप ही उन्हें समझाइए।
बच्‍चों को मार नहीं सकते हैं बस इसील‍िए खुद को… – महाराज हंसते हुए कहते हैं, ‘बेटा हमारी इज्‍जत रख लो। अपने माता-पिता के रोज चरण छुओ। माता-पिता की आज्ञा का पालन करो। संत आगे कहते हैं क‍ि अगर आप इनकी मां हैं, तो फिर इस तरह का व्यवहार मत करो।’ यह सुनकर महिला कहती है, ‘अब तो बच्चों को मार भी नहीं सकते, तो फिर इसीलिए मैं खुद को ही मारने लगती हूं।’
बच्‍चे को भी होती है तकलीफ – मां आगे कहती है, ‘अगर मैं बच्चों को मारती हूं, तो मुझे बहुत दर्द होता है।’ यह सुनते ही महाराज समझाते हैं, ‘जब आप खुद को चोट पहुंचाती हैं, तब आपके बच्चे को भी दर्द महसूस होता है। इसलिए ऐसा काम कीजिए जिससे न आपको और न बच्चों को कोई दर्द हो।’
माता-प‍िता की बात मानो – अंत में संत प्रेमानंद महाराज बच्चे को समझाते हुए बोले, ‘आज तुम मां के चरण छूते हुए यह प्रण लो कि आज से मां के खिलाफ कभी गलत आचरण नहीं करोगे।’ हंसते हुए उन्होंने आगे कहा, ‘हमारी इज्‍जत रखना। क्योंकि तुम्हारी मां कहती हैं कि आज के बच्चे हमारी बात सुनते हैं। हमारी बात मानो और मां की बात को हमेशा सम्मान दो। हर मां अपने बच्चे का सिर्फ भला ही चाहती है। इसील‍िए उनकी बात सुनो।’