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WHO ने 3 साल के बच्चों से लेकर 17 साल के किशोरों तक के लिए चीन की Sinovac को दी मंजूरी


विश्व स्वास्थ्य संगठन (WHO) ने 1 जून को चीन की Sinovac वैक्सीन को औपचारिक रूप से इमर्जेंसी में इस्तेमाल के लिए मान्यता दे दी। Sinovac कंपनी बोर्ड के अध्यक्ष यिन वेई तोंग ने कहा कि औपचारिक रूप से WHO के आपात प्रयोग के लिए मान्यता मिलने के पहले Sinovac वैक्सीन को चीन के अलावा दुनियाभर में 47 देशों में आपात इस्तेमाल की अनुमति मिल चुकी है।
इसका मतलब है कि चीनी वैक्सीन और ज्यादा देशों के उत्पादन गुणवत्ता मानक के अनुकूल है, जबकि चीन और ज्यादा देशों को वैक्सीन प्रदान कर पाएगा। उन्होंने कहा कि वैक्सीन की उत्पादन क्षमता की परियोजना बनाते समय Sinovac ने चीन और पूरी दुनिया की जरूरतों को ध्यान में रखा। वर्तमान में Sinovac कंपनी में वैक्सीन का नियोजित वार्षिक उत्पादन 200 करोड़ डोज है लेकिन इस वर्ष की पहली छमाही में Sinovac कंपनी में कुल उत्पादन नियोजित वार्षिक उत्पादन की तुलना में और ज्यादा है।
कोरोना वायरस से बचाव करने के लिए हर देश के पास लगभग 2 या उससे ज्यादा वैक्सीन का विकल्प है। जैसे भारत में कोवैक्सीन और कोविशील्ड। यह दोनों ही वैक्सीन अपने अपने स्तर पर कोरोना से बचाने का कार्य करती हैं। एक वैक्सीन अधिक प्रभावी है तो दूसरी थोड़ी कम। वहीं पूरी तरह इम्यून होने के लिए एक वैक्सीन के दो डोज लेना जरूरी है। लेकिन विशेषज्ञ अब वैक्सीन मिक्स करने की एक अलग संभावना तलाश रहे हैं, जिसके जरिए लोग अधिक इम्यून हो जाएं।
इसमें ऐसे लोग जो पहले कोविशील्ड की वैक्सीन ले चुके हैं, उन्हें दूसरा डोज कोवैक्सीन के देने पर विचार किया जा रहा है। ताकि पता लगाया जा सके कि क्या वैक्सीन को ऐसे मिक्स करने से शरीर अधिक इम्यून होगा या वैक्सीन का असर कम हो जाएगा। इसी तरह की जिज्ञासा आम लोगों में भी है, ऐसे बहुत से लोग हैं जो पहला डोज ले चुके हैं। लेकिन वह वैक्सीन अभी मौजूद नहीं है। ऐसे में वैक्सीन को मिक्स करना कितना फायदेमंद लोगों के लिए होगा और कितना देश हित में समझते हैं।
देश के ताजा हालातों को देखे तो वैक्सीन की किल्लत प्रशासन समेत लोगों को खासा परेशान कर रही है। लाखों करोड़ों लोग घंटों तक खुद के लिए और अपने परिवार के लोगों के लिए वैक्सीन स्लॉट ढूंढते दिखाई दे रहे हैं। वहीं वैक्सीन निर्माता कंपनियों के लिए भी वैक्सीन की मांग को पूरा कर पाना बेहद चुनौतीपूर्ण हो गया है। ऐसे में अगर वैक्सीन का कॉकटेल सफल होता है, तो इससे बहुत से फायदे होंगे।
पहला तो यह की कोविड वायरस अपने कई म्यूटेंट बना चुका है। इन म्यूटेंट पर अलग अलग वैक्सीन प्रभावी है। ऐसे में अगर दूसरा डोज किसी दूसरी वैक्सीन का लगाया जाता है तो यह व्यक्ति के लिए किसी बूस्टर की तरह काम करेगा और उसे अन्य म्यूटेंट से भी बचाकर रखेगा। वहीं अगर मिक्स वैक्सीन का दूसरा फायदा देखें, तो ऐसा करने से दुनियाभर के वैक्सीन निर्माताओं से बोझ भी आपस में विभाजित हो जाएगा। लेकिन क्या यह सुरक्षित होगा यह सवाल भी लोगों के जहन में है।
वैक्सीन के मिक्स ट्रायल को अब तक कई देश अपना चुके हैं और इस पर कई अध्ययन भी किए जा चुके हैं। यूरोपीय देश जर्मनी, फ्रांस, स्वीडन, नॉर्वे और डेनमार्क जैसे देशों ने युवाओं से एस्ट्राजेनेका के पहले डोज के बाद किसी दूसरी वैक्सीन के डोज को लेने का आग्रह किया है। ऐसा इसलिए भी किया क्योंकि एक वैक्सीन के ही दो डोज लेने के बाद लोगों में कुछ मामूली और दुर्लभ साइड इफेक्ट देखे गए।
इसी के बाद यूरोप के बहुत से देशों ने वैक्सीन के मिक्स डोज को बढ़ावा देना शुरू कर दिया। इसके अलावा कनाडा के स्वास्थ्य अधिकारियों की ओर से भी इसकी घोषणा की गई है कि जल्दी ही वैक्सीन को मिक्स करके देना शुरू किया जाएगा।
इस बात पर एक बहस और रिसर्च हो सकती है कि वैक्सीन का मिक्स करना सही है या नहीं। लेकिन इनमें सबसे जरूरी है कि आप वैक्सीन जरूर लें। ऐसा इसलिए भी क्योंकि कोरोना की दूसरी लहर पहली लहर के मुकाबले बहुत ज्यादा खतरनाक थी। इसके कारण हजारों लोगों की जान चली गई। इस बात से फर्क नहीं पड़ता की आप कमजोर, है या तंदुरुस्त हर किसी को वैक्सीन लेनी चाहिए। ऐसे में जब भी आपको स्लॉट मिले तो वैक्सीन जरूर ले। भारत में वैक्सीन की मिश्रण किया जाएगा या नहीं। इस पर अभी विचार हो रहा है। तब तक आप अपनी पहली डोज तो जरूर लें।
वहीं यूके में हुए एक अध्ययन को लैंसेट में प्रकाशित किया गया है। इस अध्ययन में 50 वर्ष की आयु के 830 लोगों को फाइजर और एस्ट्राजेनेका के अलग अलग डोज दिए गए। जिसमें दूसरे डोज के बाद उन लोगों में कुछ साइड इफेक्ट दिखे जिन्होंने मिक्स टीके लिए थे। हालांकि यह बहुत ही कम समय के लिए दिखाई दिए थे और कम ही लोगों में यह साइड इफेक्ट दिखाई दिए थे।
ऐसा ही एक अध्ययन स्पेन में भी किया गया, जिसमें लोगों को अलग अलग वैक्सीनों की खुराक दी गई। इस अध्ययन में वैक्सीनेशन के 14 दिन बाद लोगों में अधिक प्रभावशाली एंटीबॉडी पाई गई। यही नहीं विशेषज्ञों ने देखा की यह एंटीबॉडी SARs -COV-2 पर भी असरदार पाया गया।
उन्होंने पूरी दुनिया में वैक्सीन की 60 करोड़ से अधिक खुराकें प्रदान की हैं। उन्होंने आगे कहा कि Sinovac छोटे समूह के लिए नैदानिक अनुसंधान कर रहा है। इस वर्ष की शुरुआत में इसका नैदानिक परीक्षण शुरू हुआ। अब तक संबंधित नैदानिक परीक्षण के पहले और दूसरे चरण पूरे हो चुके हैं। इन दोनों चरणों के परीक्षण में सैकड़ों वॉलंटिअर्स ने भाग लिया।
अनुसंधान आंकड़ों के अनुसार 3-17 वर्षीय लोगों में टीकाकरण के बाद सुरक्षादर 18 वर्षीय वयस्क समूह के जैसी है। उन्होंने कहा कि तीसरे चरण के नैदानिक परीक्षण में 60 वर्ष उम्र से अधिक स्वयंसेवकों ने भाग लिया। वहीं ब्राजील, चिली और तुर्की आदि देशों में टीकाकरण नीति के अनुसार, वरिष्ठ लोग प्राथमिकता टीकाकरण अधिकारों का आनंद लेते हैं।