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कौन हैं तरूण गुलाटी और श्याम बत्रा, जिन्होंने लंदन का मेयर बनने के लिए सादिक खान के सामने ठोकी ताल


भारतीय मूल के दो प्रत्याशी इस साल लंदन में मेयर पद के लिए होने वाले चुनाव की दौड़ में शामिल हो गए हैं। दो मई को होने वाले चुनाव के लिए भारतीय मूल के 63 साल के तरुण गुलाटी ने बीते साल ही अपनी उम्मीदवारी का ऐलान कर दिया था। अब इस चुनावी दौड़ में एक नया भारतवंशी चेहरा श्याम बत्रा के तौर पर शामिल हुआ है, उन्होंने भी चुनाव लड़ने का ऐलान किया है। दोनों ने ही स्वतंत्र उम्मीदवार के तौर पर इलेक्शन लड़ने का फैसला लिया है। लंदन के मेयर चुनाव में अब तक 11 उम्मीदवारों ने चुनाव लड़ने का ऐलान किया है।
तरुण गुलाटी दिल्ली से आते हैं और उनकी पढ़ाई लिखाई भारत से ही हुई है। वह करीब 20 साल से लंदन में रह रहे हैं। गुलाटी इन्वेस्ट बैंकर रहे हैं और कई देशों में काम कर चुके हैं। अब वह फाइनेंस एक्सपर्ट के पेशे से राजनीति की तरफ आए हैं। गुलाटी को 2009 में ब्रिटेन की नागरिकता मिली थी और अब लंदन को ही अपना घर कहते हैं।
गुलाटी ने भारत से शुरू किया था कैंपेन – तरुण गुलाटी ने अपने मेयर चुनाव को लेकर कैंपेन बीते साल भारत दौरे के दौरान शुरू किया था। दिल्ली में जन्मे गुलाटी का कहना है कि मौजूदा लंदन मेयर सादिक खान के ऊपर से मतदाताओं का विश्वास उठ चुका है।, इसलिए वो चुनाव मैदान में उतरे हैं। आजाद उम्मीदवार के तौर पर लड़ने के पीछे की वजह बताते हुए वह कहते हैं कि वह किसी पार्टी की विचारधारा में बंधना नहीं चाहते। उनका कहना है कि लोगों की ओर से जो आइडिया मिलते हैं, उसी हिसाब से काम करते हुए वह लंदन को सभी के लिए एक शानदार और सुरक्षित शहर बनाना चाहते हैं।
श्याम बत्रा ने दिया आशादूत का नारा – श्याम बत्रा ने भी लंदन चुनाव में उतरने का फैसला लिया है। भारतीय मूल के बत्रा फाइनेंस और प्रोपर्टी ब्रोकर हैं। बत्रा पश्चिम लंदन के उक्सब्रिज में रहते हैं। उन्होने बताया कि उनका जन्म ब्रिटेन में हुआ है। बत्रा का कहना है कि लंदन शहर की वर्तमान स्थिति से बहुत परेशान हैं इसलिए आजाद उम्मीदवार के तौर पर इस इलेक्शन में खड़े हो रहे हैं। उन्होंने अपने चुनाव कैंपेन के लिए ‘आशा के दूत’ का नारा दिया है। श्याम बत्रा का कहना है कि मेयर बनकर वह शहरवासियों की परेशानियों को दूर करेंगे। लंदन में 2मई में चुनाव होगा और मतदाता अपने नए मेयर का फैसला करेंगे।