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भारतीय वैज्ञानिक निक्कू मधुसूदन कौन हैं, जिनकी एलियन ग्रह की खोज ने किया कमाल, दुनिया भर में हो रही चर्चा


कैंब्रिज यूनिवर्सिटी की लैब में बैठकर भारतीय मूल के वैज्ञानिक निक्कू मधुसूदन उस सवाल को हल करने के पास पहुंच गए हैं, जिसका जवाब इंसान सदियों से खोज रहा है। उन्होंने धरती से बहुत दूर मौजूद ग्रह पर जीवन के संकेत खोजे हैं। उनकी इस खोज की दुनिया भर में चर्चा हो रही है।
लंदन: वैज्ञानिकों ने पृथ्वी से 120 प्रकाश वर्ष दूर ग्रह पर जीवन को लेकर एक अभूतपूर्व खोज की है, जो आने वाले समय में एलियंस को लेकर हमारी सोच को बदल सकती है। दिलचस्प बात है कि इस अभूतपूर्व खोज को भारतीय मूल के कैम्ब्रिज प्रोफेसर डॉक्टर निक्कू मधुसूदन ने किया है। नासा के जेम्स वेब टेलीस्कोप (JWST) के डेटा का इस्तेमाल करते हुए डॉ. मधुसूदन और उनकी टीम ने सुदूर ग्रह K2-18b के वायुमंडल में मीथेन और कार्बन डाइऑक्साइड जैसे अणुओं का पता लगाया है, जो जीवन की खोज में बड़ा कदम है।
बीबीसी की रिपोर्ट के अनुसार, डॉक्टर मधुसूदन ने इसे पृथ्वी से बाहर जीवन का अब तक का सबसे मजबूत सबूत बताया है। उन्होंने कहा, ‘मैं वास्तविक रूप से कह सकता हूं कि हम एक से दो साल के भीतर इस संकेत की पुष्टि कर सकते हैं।’ वैज्ञानिकों का मानना है कि के2-18बी ग्रह एक हाइसीन वर्ल्ड हो सकता है। हाइसीन वर्ल्ड से मतलब एक ऐसी दुनिया से है, जहां हाइड्रोजन से समृद्ध वायुमंडल और महासागरों की मौजूदगी हो। एक ऐसा संयोजन, जो जीवन की संभावना के लिए अनुकूल है।
क्या है सुदूर ग्रह K2-18b? – के2-18बी एक एक्सोप्लैनेट है, जो लाल बौने तारे K2-18 की परिक्रमा करता है और इसके रहने योग्य क्षेत्र में स्थित है। यह ग्रह पृथ्वी से 2.6 गुना बड़ा और 8.6 गुना अधिक भारी है। जेम्स वेब टेलीस्कोप के नियर-इन्फ्रारेड इमेजर एंड स्लिटलेस स्पेक्ट्रोग्राफ और नियर-इन्फ्रारेड स्पेक्टोग्राफ ने इस ग्रह पर अणुओं का पता लगाया है। इसमें सबसे महत्वपूर्ण खोज डाइमिथाइल सल्फाइड (DMS) का संभावित निशान था। पृथ्वी पर यह अणु केवल जीवित जीवों, खास तौर पर समुद्री फाइटोप्लाकंटन से निर्मित होता है।