
पाकिस्तानी सेना प्रमुख जनरल कमर जावेद बाजवा इन दिनों अमेरिका के दौरे पर हैं। उनके स्वागत में अमेरिकी विदेश मंत्री एंटनी ब्लिंकन, रक्षा मंत्री लॉयड ऑस्टिन, राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार जेक सुलिवन ने पलक-पावड़ें बिछा दिए हैं। लॉयड ऑस्टिन ने तो पेंटागन के बाहर आकर किसी देश के रक्षा मंत्री की तरह जनरल बाजवा का स्वागत किया। अमेरिका में आम तौर पर किसी देश के सेना प्रमुख का ऐसा स्वागत बहुत कम ही देखा जाता है, वह भी तब जब उस सेना प्रमुख का कार्यकाल सिर्फ 1 महीने ही बचा हुआ है। यह वही अमेरिका है, जिसके राष्ट्रपति जो बाइडेन के एक फोन के लिए इमरान खान अपने प्रधानमंत्री कार्यकाल के दौरान तरसते रहें। लेकिन, पाकिस्तान में सत्ता बदलते ही ऐसा क्या हो गया, जिससे अमेरिका अचानक पाकिस्तान को इतना भाव देने लगा। हाल में ही बाइडेन प्रशासन ने पाकिस्तान के एफ-16 विमानों की मरम्मत और अपग्रेडेशन के लिए 45 करोड़ डॉलर की सैन्य सहायता की मंजूरी दी है। इस डील को लेकर भारत ने हर स्तर पर अमेरिका के सामने आपत्ति जताई, लेकिन बाइडेन प्रशासन अपने स्ट्रैटजिक पार्टनरशिप की परवाह न करते हुए पाकिस्तान के साथ डील पर अड़ा रहा।
जनरल कमर जावेद बाजवा ने मंगलवार को अमेरिकी रक्षा मंत्री लॉयड ऑस्टिन और राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार जेक सुलिवन के साथ बैठक की, जिसके दौरान उन्होंने पाकिस्तानी सेना के अनुसार क्षेत्रीय सुरक्षा स्थिति पर चर्चा की। इस मुलाकात के बाद पेंटागन ने कहा कि बातचीत के दौरान अमेरिका और पाकिस्तान के बीच पारस्परिक रक्षा हितों पर बातचीत की गई। पिछले एक दशक के दौरान, पाकिस्तान अपनी आर्थिक और रक्षा जरूरतों के लिए अपने मुख्य क्षेत्रीय सहयोगी चीन के काफी करीब पहुंचा है, जिसके कारण अमेरिका के साथ उसके संबंध धीरे-धीरे कमजोर होते गए। पिछले साल अगस्त में जब काबुल पर तालिबान का कब्जा हुआ तो पाकिस्तान-अमेरिका के संबंध लगभग खत्म हो गए। पाकिस्तान ने भी महसूस किया कि अमेरिका ने अफगानिस्तान को अधर में छोड़कर पूरे क्षेत्र की सुरक्षा को खतरे में डाल दिया है। वहीं, अमेरिका ने अफगानिस्तान से सैनिकों की वापसी के बाद पाकिस्तान की भूमिका को लेकर काफी निराशा जाहिर की थी। अमेरिका ने तो यहां तक बोल दिया था कि पाकिस्तान ने तालिबान को कंट्रोल करने में अपनी भूमिका नहीं निभाई।
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