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बच्चे मां की बात क्यों नहीं सुनते? पेरेंटिंग कोच ने बताई 1 ऐसी वजह, जो आपने सोची भी नहीं होगी


बतौर पेरेंट्स आपको यह आर्टिकल जरूर पढ़ना चाहिए, क्योंकि इस लेख में हमने उस अहम वजह पर विस्तार से बात की है, जिससे आप यह समझ पाएंगे कि आखिर बच्चे मां की बात क्यों नहीं सुनते हैं या फ‍िर उन्हें सम्मान क्यों नहीं देते।
आमतौर पर देखने को मिलता है कि बच्चे मां की बात नहीं सुनते या फिर हर बात पर उल्टा जवाब देने लगते हैं। कई बार स्थिति यहां तक पहुंच जाती है कि बच्चे मां से बदतमीजी करने लगते हैं। इस वजह से मां भीतर ही भीतर काफी दुखी हो जाती हैं और यह सोचने पर मजबूर हो जाती हैं कि आखिर बच्चा उनके साथ ही ऐसा व्यवहार क्यों करता है। इसी मुद्दे पर पेरेंटिंग कोच रेनू गिरधर ने एक बेहद अहम वजह बताई है, जो संभव है कि आपने पहले कभी सोची भी न हो। उन्‍होंने क्‍या कहा, चल‍िए जानते हैं व‍िस्‍तार से।
मां की बात नहीं सुनने के पीछे होती वजह – इंस्‍टाग्राम पर शेयर किए गए एक वीडियो में सर्टिफाइड पेरेंटिंग कोच रेनू गिरधर बताती हैं कि अक्‍सर लोग यह शिकायत करते हैं कि बच्‍चे मां की बात नहीं सुनते हैं। लेकिन इसके पीछे की असली वजह कुछ और ही होती है।
तब मां के ह‍िस्‍से में आता है डिसिप्लिन मेंटन करना – रेनू के मुताबिक, जब पापा ऑफ‍िर में होते हैं या फिर मोबाइल में बिजी रहते हैं, तब पूरे घर का रूटीन, डिसिप्लिन और ज‍िम्‍मेदार‍ियां मां के कंधों पर आ जाती हैं। ऐसे में मां को बार-बार नियम समझाने पड़ते हैं और ‘ना’ कहना पड़ता है, जिस वजह से बच्‍चों को लगता है कि मां सिर्फ रोकने-टोकने वाली है।
फ‍िर बच्‍चा करता है पुशबैक – वे आगे कहती हैं कि जब मां बार-बार किसी बात के लिए ‘ना’ कहती है, तो धीरे-धीरे बच्‍चा उसी पर पुशबैक करने लगता है। वह गुस्‍सा करने लगता है, चिल्लाता है और अपनी नाराजगी जाहिर करता है, क्‍योंकि उसे यह महसूस होने लगता है कि मां की बात को टाला जा सकता है।
जब प‍िता मदर की बातों को करें इग्‍नोर – एक्‍सपर्ट का कहना है कि इसके अलावा , अगर पापा घर में सबके सामने मां को इग्‍नोर करते हैं या उनकी बात काटते हैं, तो बच्‍चे भी वही व्यवहार सीख लेते हैं। दरअसल, बच्‍चे लेक्‍चर से नहीं बल्कि अपने माता-पिता के उदाहरण से सीखते हैं। जब पिता मां की बात को अहमियत देते हैं और उनका सम्मान करते हैं, तभी बच्‍चे भी मां को वही इज्‍जत देना सीखते हैं।
मां के न कहने पर प‍िता कहे हां – रेनू बताती हैं कि इस पूरे मामले में सबसे बड़ी गलती तब होती है, जब मां किसी बात के लिए ‘ना’ कहती है और पापा उसी बात पर ‘हां’ कह देते हैं। ऐसे में मां की अथॉरिटी वहीं खत्म हो जाती है। इसके बाद जब हम यह सवाल करते हैं कि बच्‍चा हमारी बात क्‍यों नहीं सुनता, तो असल में उसकी वजह हमें अपने व्यवहार में ही ढूंढनी चाहिए।
तब बच्‍चा भी सीखता है मां की इज्‍जत करना – पेरेंटिंग कोच का कहना है कि रेस्पेक्टफुल बच्चों की परवरिश की शुरुआत माता-पिता की यूनिटी से होती है। जब पिता, मां को सपोर्ट करते हैं, उनकी बात को समझते हैं और उसे महत्व देते हैं, तब बच्चे भी यह समझ पाते हैं कि मां की कही बात ही फाइनल अथॉरिटी होती है।
पेरेंट्स एक टीम की तरह करें काम – रेनू कहती हैं कि स्ट्रॉन्ग पेरेंटिंग का मतलब है माता-पिता का एक ही टीम की तरह काम करना। अगर आप चाहते हैं कि बच्‍चे मां की इज्‍जत करें, तो इसके लिए सबसे पहले पिता को उनका सम्मान करना होगा। जब बच्चे यह देखते हैं कि पापा मां को वैल्यू देते हैं, तब वे भी उनकी बात मानते हैं और उन्हें सम्मान देना सीखते हैं।