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बेवकूफ बनने का नाटक करना क्यों जरूरी है? छुपाकर रखनी चाहिए अपनी समझदारी, जानिए क्या कहती है चाणक्य नीति


चाणक्य नीति का एक प्रसिद्ध सूत्र है, चतुर बनो, मूर्ख बनने का अभिनय करो और जरूरत पड़ने पर स्वार्थी भी हो जाओ। इसका मतलब यह नहीं है कि व्यक्ति गलत रास्ता अपनाए, बल्कि यह है कि हर समय अपनी बुद्धि और योजनाओं को सबके सामने उजागर करना समझदारी नहीं होती।
आचार्य चाणक्य भारतीय इतिहास के महान विद्वान, कुशल कूटनीतिज्ञ और दूरदर्शी अर्थशास्त्री थे। उन्होंने जीवन, समाज और सत्ता के हर पहलू को गहराई से समझकर नीतियों का निर्माण किया, जो आज के समय में भी उतने ही सार्थक हैं। चाणक्य नीति का एक प्रसिद्ध सूत्र है, चतुर बनो, मूर्ख बनने का अभिनय करो और जरूरत पड़ने पर स्वार्थी भी हो जाओ। इसका मतलब यह नहीं है कि व्यक्ति गलत रास्ता अपनाए, बल्कि यह है कि हर समय अपनी बुद्धि और योजनाओं को सबके सामने उजागर करना समझदारी नहीं होती।
आज की दुनिया में लोग दिखने में भले ही दोस्ताना हों, लेकिन उनके इरादे हमेशा साफ हों, यह भी जरूरी नहीं। अगर आप हर किसी पर आंख मूंदकर भरोसा करेंगे, तो वही लोग आपकी कमजोरी का फायदा उठा सकते हैं। इसलिए चाणक्य कहते हैं कि सच्चा बुद्धिमान वही है जो अपनी चतुराई को समय आने तक छिपाकर रखे और सही मौके पर उसका उपयोग करे।
क्यों जरूरी है मूर्ख बनने का नाटक? – अगर आप हर समय खुद को सबसे बड़ा ज्ञानी साबित करने की कोशिश करेंगे, तो लोग या तो आपसे दूरी बना लेंगे या आपको नुकसान पहुंचाने की सोचने लगेंगे। कई बार सामने वाले की चाल समझ लेने के बाद भी चुप रहना ही सबसे समझदारी भरा कदम होता है। मूर्ख बनने का नाटक करने से आप दूसरों की असली नीयत को आसानी से पहचान सकते हैं। जब आप कम बोलते हैं, तो लोग खुद ही अपनी सोच उजागर कर देते हैं। यह रणनीति बिना किसी टकराव के आपको अपने लक्ष्य तक पहुंचाने में मदद करती है।
कब बनना चाहिए मतलबी? – चाणक्य कभी यह नहीं कहते कि इंसान हर समय मतलबी बना रहे। उनका संदेश यह है कि जब हालात बिगड़ने लगें और लोग आपका फायदा उठाने लगें, तब अपने हित के बारे में सोचना जरूरी हो जाता है। दुनिया उसी व्यक्ति का सम्मान करती है जो अपने अधिकार और आत्मसम्मान के लिए खड़ा होता है। अगर आप हर वक्त सिर्फ दूसरों के लिए जीते रहेंगे, तो लोग आपको इस्तेमाल कर लेंगे। मतलबी बनने का अर्थ दूसरों को नुकसान पहुंचाना नहीं, बल्कि अपने हक की रक्षा करना है।
चालक बने यानी समझदारी से काम लें – चालाकी और चालाक होने में बड़ा अंतर होता है। चालाकी का अर्थ है हालात को समझदारी से संभालना और अपने शब्दों व फैसलों में संतुलन बनाए रखना। चाणक्य नीति सिखाती है कि जो व्यक्ति हर परिस्थिति में ठंडे दिमाग से सोचता है और सही समय पर अपनी बुद्धि का इस्तेमाल करता है, वही जीवन में सच्ची सफलता हासिल करता है।
जान लें ये जरूरी टिप्स – यह दुनिया बाहर से जितनी सरल और सीधी दिखती है, भीतर से उतनी ही जटिल और चालों से भरी हुई है। यहां कई बार रिश्ते भी स्वार्थ की नींव पर टिके होते हैं और मुस्कुराहटों के पीछे छिपी मंशाएं साफ दिखाई नहीं देतीं। ऐसे हालात में चाणक्य की यह नीति आज के दौर में बेहद उपयोगी साबित होती है।
जब आप जरूरत पड़ने पर मूर्ख बनने का नाटक करते हैं, तो आपको सामने वाले को समझने और परखने का पूरा मौका मिलता है। वहीं, चालाकी से काम लेने पर आप सही समय पर सही फैसला कर पाते हैं। असली समझदारी यह नहीं है कि आप सब कुछ जानते हों, बल्कि यह है कि आप क्या बोलें, कब बोलें और किसके सामने अपनी बात रखें।