प्रेगनेंसी के दौरान महिलाओं को कई तरह के लक्षणों और समस्याओं को झेलना पड़ता है। इनमें से एक है पसलियों में दर्द होना। प्रेगनेंसी की हर तिमाही में अलग अलग कारणों से पसलियों में दर्द हो सकता है।
अधिकतर मामलों में पसली में दर्द होना कोई नुकसान नहीं पहुंचाता है। गर्भाशय में भ्रूण के बढ़ने के कारण अक्सर पसलियों के आसपास दर्द और ऐंठन महसूस होती है। बहुत कम ही ऐसा होता है जब किसी स्वास्थ्य समस्या के कारण पसली में दर्द होता हो इसलिए जरूरी है कि आप इसके संकेतों को नजरअंदाज न करें।
पसली में दर्द के कारण
प्रेगनेंसी की हर तिमाही में अलग कारणों से पसली में दर्द होता है। गर्भावस्था के आखिरी महीनों और प्रेगनेंसी की तीसरी तिमाही में गर्भाशय ऊपर की ओर फैलने लगता है ताकि शिशु को पर्याप्त जगह मिल सके। जैसे-जैसे भ्रूण का आकार बढ़ता है, वैसे वैसे पसलियों पर दबाव पड़ना शुरू हो सकता है।
शिशु के भार का प्रभाव पेट की आसपास की मांसपेशियों पर भी पड़ता है जिससे पसलियों की मांसपेशियों पर दबाव आता है और मांसपेशियों में दर्द शुरू होता है।
आप खाद्य पदार्थों और सप्लीमेंट से प्रो-बायोटिक्स ले सकती हैं। ये मां के साथ साथ शिशु की इम्यूनिटी को भी बढ़ाने का काम करते हैं। इससे आगे चलकर बच्चे को अस्थमा और एलर्जी जैसी गंभीर परेशानियों से बचाव मिल सकता है। प्रेगनेंट महिलाओं को नियमित प्रोबायोटिक्स लेने चाहिए।
प्रेगनेंट महिला को दिनभर में लगभग ढाई लीटर पानी पीने की जरूरत होती है ताकि इस समय उनका शरीर हाइड्रेट रहता है। अगर शरीर हाइड्रेट रहेगा तो कोशिकाओं को अपना कार्य करने के लिए पर्याप्त ऑक्सीजन मिल पाएगा।
पानी शरीर से विषाक्त पदार्थों को बाहर निकाल देता है और लिम्फ बनाने में मदद करता है जिससे पूरे शरीर में सफेद रक्त कोशिकाएं और पोषक तत्व संचारित होते हैं।
प्रेगनेंसी बढ़ने के साथ नींद आने में दिक्कत होने लगती हैं लेकिन आपको यह समझना चाहिए कि प्रेगनेंसी में थकान आसानी से हो जाती है इसलिए शरीर को आराम देने के लिए सोना बहुत जरूरी है। नींद की कमी का बुरा असर आपके इम्यून सिस्टम पर पड़ सकता है।
बेहतर नींद पाने के लिए करवट लेकर सो सकती हैं। सोने से पहले गर्म पानी से नहाने से भी रात को अच्छी नींद आती है।
हंसने से इम्यूनिटी बढ़ती है और इसका बच्चे पर भी अच्छा प्रभाव पड़ता है। कहते हैं कि प्रेगनेंट महिलाओं को खुश रहना चाहिए, क्योंकि इससे मां और बच्चा दोनों स्वस्थ रहते हैं। हंसने पर पल्स और ब्लड प्रेशर बढता है और सांस तेज चलती है जिससे शरीर के ऊतकों को ज्यादा ऑक्सीजन मिल पाता है।
इस सबका असर इम्यून सिस्टम पर पड़ताहै। विटामिन डी भी इम्यूनिटी को मजबूत करने में मदद करता है। इससे फर्टिलिटी पॉवर भी बढ़ती है। प्रेगनेंसी में गर्भवती महिलाओं को जिंक का सेवन भी करना चाहिए।
तनाव को दूर रखने और सकारात्मक रहने से इम्यून सिस्टम स्वस्थ रहता है। गर्भवती महिलाओं को तनाव से दूर रहना चाहिए, क्योंकि न केवल इससे इम्यूनिटी मजबूत होती है बल्कि शिशु के लिए भी यह फायदेमंद होता है। आप ध्यान, योग, संगीत और किताबें पढ़कर तनाव से दूर रह सकती हैं।
लहसुन में इम्यूनिटी को बढ़ाने और शरीर को निरोगी रखने के गुण होते हैं। लहसुन की एक कली में 100 से सल्फ्यूरिक एसिड होते हैं और कैल्शियम एवं पोटैशियम भी अधिक मात्रा में होते हैं।
ये शरीर से बैक्टीरिया को मार सकता है। अगर आप कच्चा लहसुन नहीं खा सकती हैं तो खाना पकाते समय इसका इस्तेमाल कर सकती हैं। भोजन में भी लहसुन को शामिल कर इसका लाभ उठा सकती हैं।
राउंड लिगामेंट पेन
गर्भवती महिलाओं को अक्सर राउंड लिगामेंट पेन की शिकायत रहती है। ग्रोइन हिस्से से गर्भाशय के सामने वाले हिस्से को जोड़ने वाले फाइब्रस टिश्यू कॉर्ड के जोड़े को राउंड लिगामेंट कहा जाता है। प्रेगनेंसी में गर्भाशय के बढ़ने के साथ ही राउंड लिगामेंट पर भी दबाव पड़ सकता है और इसमें चलने पर तेज दर्द हो सकता है।
प्रेगनेंसी की दूसरी तिमाही शुरू होने पर कभी भी राउंड लिगामेंट पेन हो सकता है। इसमें पसलियों, कमर और पेल्विस में दर्द महसूस हो सकता है।
पथरी
गर्भवती महिलाओं में पथरी का अत्यधिक खतरा होता है। एस्ट्रोजन लेवल बढ़ने और मूत्राशय को पूरी तरह से खाली न कर पाने की वजह से पथरी बनती है। एक अध्ययन के मुताबिक, लगभग 12 फीसदी महिलाएं पथरी की समस्या से ग्रस्त होती हैं। इसमें लक्षण दिख भी सकते हैं और नहीं। इसमें पेट के ऊपर दाएं हिस्से में तेज दर्द उठता है। गर्भावस्था में कभी भी पथरी हो सकती है। कुछ महिलाओं को प्रेगनेंसी के बाद पथरी निकालने के लिए सर्जरी करवानी पड़ सकती है।
मूत्र मार्ग में संक्रमण
प्रेगनेंसी खासतौर पर गर्भावस्था की तीसरी तिमाही में यूटीआई का खतरा रहता है। प्रेगनेंसी में मूत्र मार्ग में मौजूद बैक्टीरिया में बदलाव आ सकता है और इस पर भ्रूण के दबाव के कारण पेशाब करने में दिक्कत हो सकती है। यदि इलाज न किया जाए तो किडन में दर्द हो सकता है जो कि पसली में दर्द जैसा महसूस हो सकता है। पेशाब करते समय जलन, बार-बार पेशाब आना, पेशाब की मात्रा कम होना, बुखार या ठंड लगना और मूत्राशय या किडनी के आसपास दर्द हो तो डॉक्टर को जरूर दिखाएं।
अन्य कारण
इसके अलावा प्रीक्लैंप्सिया, HELLP सिंड्रोम के कारण प्रेगनेंसी की दूसरी तिमाही में पसली में दर्द हो सकता है। कब्ज और सीने में जलन भी पसलियों में दर्द का कारण बन सकती है।
पसली में दर्द का इलाज
शिशु के पसली पर लात मारने या दबाव बनने पर पसली में उठने वाले दर्द को नजरअंदाज नहीं किया जा सकता है। ऐसी स्थिति में गर्म पानी से नहाने और दर्द निवारक दवाओं की मदद ली जा सकती है। हल्के व्यायाम से भी दर्द से छुटकारा मिल सकता है।
पसली में दर्द के कारण के आधार पर ही उसका इलाज निर्भर करता है। उदाहरण के तौर पर, अगर किसी महिला को यूटीआई की वजह से पसली में दर्द हो रहा है तो उसे एंटीबायोटिक दी जाएगी। पथरी होने पर डिलीवरी के बाद सर्जरी से पथरी को निकाला जाएगा।