
चीन के बारे में ज्यादा जानकारी दुनिया तक नहीं पहुंच पाती है। ऐसा ही कुछ यहां मौजूद पिरामिड के बारे में कहा जा रहा है। दरअसल, चीन में बड़ी संख्या में ऐसे रहस्यमय पिरामिड हैं जिनके अंदर क्या है, यह किसी को नहीं पता। खास बात यह है कि इन पिरामिड की रखवाली मिलिट्री करती है। माना जा रहा है कि यहां चीन के इतिहास से जुड़े अहम राज हो सकते हैं जिन्हें चीन छिपाकर रखे है।
मिस्र के ग्रेट पिरामिड से भी ऊंचा
शियान से 100 किमी दूर जंगलों के बीच में पिरामिड के आकार में टीले बने हैं जिन्हें लेकर सदियों से रहस्य बरकरार है। 1912 में जब अमेरिकी व्यापारी फ्रेड मेयर श्रोडर वहां पहुंचे, तब इसके बारे में जानकारी दूनिया को मिली। उन्होंने अपनी डायरी में 1000 फीट ऊंचा और उससे भी ज्यादा लंबा पिरामिड देखने की बात कही थी जिसके पास छोटे-छोटे पिरामिड थे। 30 साल बाद अमेरिकी एयरफोर्स के पायलट जेम्स गॉजमन ने इलाके के ऊपर से गुजरते हुए मिस्र के ग्रेट पिरामिड से भी ऊंचा पिरामिड देखा था। उनके मुताबिक उसके ऊपर क्रिस्टल जैसा कोई रत्न लगा था।
सेना करती रहती है रखवाली
90 के दशक में जर्मन इन्वेस्टिगेटर हार्टविग हॉसडॉर्फ ने इन्हें खोजने की कोशिश की लेकिन उन्हें नहीं मिला। हालांकि, रिपोर्ट्स के मुताबिक उन्हें पता चला कि चीन की मिलिट्री उसे इलाके में गहन पट्रोलिंग कर रही थी। बताया जाता है कि ये पिरामिड 8,000 साल पुराने हैं और अब इन पर पेड़ और घास उग आई है। इसलिए सिर्फ नजदीक से ही पहचाना जा सकता है, वरना ये पहाड़ी जैसे ही दिखते हैं। यह भी कहा जाता है कि इन पिरामिड में शाही लोग दफन हैं जिसकी वजह से इन्हें इतना सुरक्षित रखा जाता है।
छिपाकर रखा है इतिहास?
पश्चिम के पुरातत्वविदों को इसे देखने की इजाजत कम ही मिलती है और उन्हें जो फोटो मिलते हैं, दावा किया गया है कि उन पर जानबूझकर झाड़ियां लगाई गई हैं ताकि उन्हें छिपाया जा सके। ज्यादातर एक्सपर्ट्स का मानना है कि यहां शासकों और मूल्यवान चीजों को छिपाकर रखा गया है। इससे पहले 1974 में ऐसे ही चीन के पहले शासक क्विन शी ह्वांग की टेराकोटा सेना जब खोजी गई थी, तब भी पूरी दुनिया ऐसे ही हैरान रह गई थी। भले ही वहां कुछ हद तक पर्यटकों को जाने की इजाजत हो, ह्वांग का मकबरा अभी तक अनछुआ है।
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