
अक्सर सुनने को मिलता है कि शादी के बाद ही पहली होली नई नवेली को दुल्हन को अपने मायके में मनानी चाहिए। बहुत से लोग इस बात को मानते भी है लेकिन कई लोगों को इसके पीछे का कारण नहीं पता होगा। ऐसे में होली के त्योहार से पहले हम आपको इसके बारे में बताने वाले हैं।
हर साल की तरह इस साल भी भारत में होली का त्योहार धूमधाम से मनाया जाना है। लोग रंग-बिरंगे रंगों में सराबोर होने के लिए बेसब्री से इंतजार कर रहे हैं। रंगों की बोछार के बीच लोग गिले-शिकवे भी भूल जाते हैं। नई नवेली दुल्हन अपने मायके में जाकर होली मनाती हैं यहां तक कि दामाद को भी ससुराल में होली मनाने के लिए कहा जाता है।
लेकिन आपने कभी सोचा है कि आखिर दुल्हन की पहली होली मायके तो दामाद की ससुराल में क्यों होना चाहिए। और, नई नवेली दुल्हन की तरह क्या प्रेग्नेंट महिलाओं को भी मायके में मायके में होली मनानी चाहिए। इसकी वजह सास-बहू और पति-पत्नी की रिश्तों से जुड़ी हुई है। जिसके बारे में कंटेंट क्रिएटर सोनिया चौहान ने भी बताया है।(सभी फोटो सांकेतिक हैं)
सबसे पहले जानें कारण – पौराणिक कथा के अनुसार, होलिका एक दिव्य वस्त्र को ओढ़कर प्रह्लाद को जलाने के लिए आग में बैठी थी, लेकिन जब प्रह्लाद ने भगवान विष्णु के नाम का जाप किय तो, होलिका का अग्निरोधक वस्त्र प्रह्लाद के ऊपर आ गया और वह बच गए, जबकि होलिका भस्म हो गई। कहते हैं कि जिस दिन होलिका आग में बैठी का काम किया, अगले दिन उसका विवाह भी होना था।
उनके होने वाली पति का नाम इलोजी बताया जाता है, इलोजी की मां जब बेटे की बारात लेकर होलिका के घर पहुंची तो उन्होंने उसकी चिता जलते दिखी। बेटे का बसने वाला संसार उजड़ता देख बेसुध हो गईं और प्राण त्याग दिए। बस तभी से प्रथा चला आ रही है कि नई बहू को ससुराल में पहली होली नहीं देखनी चाहिए।
दामाद को भी ससुराल में मनाना चाहिए – दरअसल कटेंट क्रिएटर सोनिया चौहान सोशल मीडिया पर एक वीडियो शेयर पुरानी कथाओं में मौजूद कारण बताया है। साथ ही दामाद को भी अपनी पहली होली मायके में नहीं मनाना चाहिए। कहा जाता है कि इससे उनके रिश्ते बेहतर होते हैं और मनमुटाव भी कम होता है।पहली होली दुल्हन मायके में मनाए तो वैवाहिक जीवन में खुशियां आती हैं। इसलिए ज्यादातर जगह पर बेटी के साथ ही दामाद भी पहली होली पर आते हैं।
सास बहू के झगड़े से जुड़ा कारण -होली और होलिका दहन के वक्त सास-बहू का साथ में रहना ठीक नहीं माना जाता है। नई दुल्हन के लिए कहा जाता है कि उसे अपनी पहली होली ससुराल के जगह मायके में मनाना चाहिए। जब सास -बहू अगर साथ में होलिका दहन देखती हैं तो घर में कलह की शुरुआत हो जाती है। सास-ससुर के साथ रिश्ते खराब होने लगते हैं, बिना बात के झगड़े भी होने लगते हैं। सास-बहू के रिश्तों में यदि तकरार हो तो उससे आने वाले समय में तनाव बढ़ जाता है।
वहीं एक और धारणा है जो कहीं न कहीं सटीक रहती है कि शादी के तुरंत बाद दुल्हन ससुराल में कंफर्टेबल महसूस नहीं करती है, इसलिए मायके में होली मनाने का चलन है जिसे प्रथा का नाम दे दिया गया है।
प्रेग्नेंट महिला को लेकर क्या कहते हैं -वहीं कहीं-कहीं पर यह मान्यता भी है कि जो महिला गर्भवती होती हैं उन्हें भी ससुराल में होली नहीं मनानी चाहिए। अगर प्रेग्नेंट महिला मायके में होली मनाती है तो इससे होने वाला बच्चा बहुत सुंदर और बुद्धिमान पैदा होता है। हालांकि ऐसा सभी जगहों पर नहीं है, कुछ ही जगहों पर इस मान्याता को माना जाता है।
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