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भारतीयों के लिए क्यों मुश्किल होगा कनाडा जाना? जस्टिन ट्रूडो ने वर्क परमिट में किया बदलाव का ऐलान, समझें असर


कनाडा के प्रधानमंत्री जस्टिन ट्रूडो ने घोषणा की है कि उनकी सरकार देश में कम वेतन वाले अस्थायी विदेशी श्रमिकों की संख्या को कम कर रही है या फिर उनके काम की अवधि को छोटा बनाने की योजना है। इसके लिए कनाडा का लिबरल सरकार अंतरराष्ट्रीय वर्क परमिट प्रणाली में बदलाव करेगी।
कनाडाई प्रधानमंत्री जस्टिन ट्रूडो ने देश में अंतरराष्ट्रीय वर्क परमिट में भारी कमी करने की घोषणा की है। कनाडा की ट्रूडो सरकार ने देश में अप्रवासी श्रमिकों की संख्या को करने के इरादे की वजह से ये फैसला लिया है। गुरुवार 19 सितम्बर को एक्स पर एक पोस्ट में ट्रूडो ने बताया कि दो सालों में कनाडा अंतरराष्ट्रीय छात्र परमिट की संख्या में 45 प्रतिशत की कटौती करने जा रहा है। इस साल 35 प्रतिशत की कमी की जाएगी, जबकि अगले साल इसमें 10 प्रतिशत की और कमी की जाएगी। बड़े अप्रवासी समुदाय के रूप में भारतीयों पर इसका मुख्य रूप से असर होगा।
ट्रूडो ने कहा, ‘हम कम वेतन वाले अस्थायी विदेशी श्रमिकों की संख्या कम कर रहे हैं और उनकी कार्य अवधि को छोटा कर रहे हैं।’ उन्होंने आगे कहा, ‘हमने महामारी के बाद कार्यक्रम को समायोजित किया, लेकिन श्रम बाजार बदल गया है। हमें कनाडा के श्रमिकों में निवेश करने के लिए व्यवसायों की आवश्यकता है।’
वर्क परमिट में कटौती की वजह – कनाडा ने साल 2024 में 4,85,000 छात्र परमिट जारी किए। 2023 में यह संख्या 5,00,000 से अधिक थी। 2025 में यह संख्या और घटकर 437,000 होने की उम्मीद है। दरअसल, कनाडा में इस समय शहरों के बुनियादी ढांचे पर दबाव बढ़ रहा है। देश में घरों के बढ़ते किराए के लिए अप्रवासियों को जिम्मेदार बताया जा रहा है। यह भी पाया गया है कि कुछ छात्रों ने कनाडा पहुंचने के बाद स्थायी निवास के लिए स्टूटेंड परमिट का इस्तेमाल किया है।
ट्रूडो ने अपने पोस्ट में कहा, आव्रजन (इमिग्रेशन) हमारी अर्थव्यवस्था के लिए फायदे की चीज है, लेकिन जब बुरे लोग इस प्रणाली का दुरुपयोग करते हैं और छात्रों का फायदा उठाते हैं तो हम उन पर कार्रवाई करते हैं।
पोस्ट ग्रेजुएट वर्क परमिट पर प्रतिबंध – कनाडा में अंतरराष्ट्रीय स्नातकों, स्नातकोत्तरों, मास्टर और डॉक्टरेट कार्यक्रम के छात्रों के लिए स्नातकोत्तर कार्य परमिट (PGWP) तीन साल के लिए वैध हैं। कनाडा सरकार इसमें भी कमी करने जा रही है। अगले तीन साल में पीजीडब्ल्यूपी की संख्या को 1.75 लाख तक कम करना है। इसके साथ ही जीवनसाथी के वर्क परमिट में भी 50,000 की कमी की जाएगी। जीवनसाथी को वर्क परमिट तब ही दिया जाएगा, जब उसका साथी कम से कम 16 महीने लिए मास्टर प्रोग्राम कर रहा हो।