
गूगल की ओर से असली वेबसाइट को ब्लू टिक मार्क देने का ऐलान किया गया है, जिससे फर्जी वेबसाइट पर लगाम लगाने में मदद मिल सके। दरअसल ऐसी रिपोर्ट्स मिल रही थीं, कि असली वेबसाइट की जैसा नकली वेबसाइट बनाकर लोगों को ठगा जा रहा है, जिसके बाद गूगल ने वेबसाइट वेरिफिकेशन प्रॉसेस शुरू किया था।
Google एक पॉपुलर सर्च प्लेटफॉर्म है। अगर गूगल अपनी पॉलिसी में कुछ भी बदलाव करता है, तो उसका असर पूरी इंटरनेट की दुनिया में होता है। ऐसा ही एक नया बदलाव गूगल कर रहा है, जिसमें गूगल वेबसाइट को वेरिफाई कर रहा है। मतलब अगर आप ऐपल वेबसाइट को सर्च करते हैं, तो रियल ऐपल वेबसाइट के आगे ब्लू टिक मार्क आएगा। ऐसे में आप फर्जी वेबसाइट को पहचान सकते हैं।
गगूल नहीं कर रहा अपनी सर्विस पेड – बता दें कि एलन मस्क की तरफ से भी ट्विटर को वेरिफाई करना शुरू किया था, जिसे आज के वक्त में एक्स के नाम से जाना जाता है। एलन मस्क का कहना था कि इससे फर्जी एक्स हैंडल की पहचान हो सकेगी। हालांकि इसके लिए यूजर्स से चार्ज किया जाने लगा। ऐसे में गूगल के वेरिफिकेशन को पेड वर्जन से जोड़कर देखा जा रहा है। लेकिन गूगल अपनी सर्विस को पेड नहीं कर रहा है। गूगल की तरफ से केवल चुनिंदा वेबसाइट को वेरिफाई किया जा रहा है, जिससे लोग ऐपल, माइक्रोसॉफ्ट जैसी वेबसाइट के नाम पर ठगी न कर सकें।
फर्जी वेबसाइट से बचाएगा गूगल – गूगल की ओर से सर्च के लिए नया वेरिफिकेशन फीचर पेश किया गया है। इसकी मदद से यूजर्स को फर्जी वेबसाइट पर क्लिक करने से बचाया जा सकेगा। गूगल की ओर से शुरुआत में ऐपल, मेटा और माइक्रोसॉफ्ट जैसी वेबसाइट को ब्लूटिक मार्क दिया जा रहा है। रिपोर्ट के मुताबिक इस चेकमार्क के साथ एक मैसेज दिखेगा, जो बताएगा कि गूगल इंडिकेट करता है कि यह वेबसाइट इस्तेमाल के लिए सुरक्षित है।
कैसे मिलेगा ब्लूटिक मार्क? – हालांकि किसी वेबसाइट के ब्लूटिक मार्क के लिए क्या करना होगा, फिलहाल इस बारे में कोई जानकारी मौजूद नहीं है। एक्स के वेरिफिकेशन के दौरान देखा गया था कि कुछ फर्जी एक्स हैंडल ने खुद को वेरिफाई कर लिया था। ऐसे में अगर गूगल के मामले में ऐसा होता है, तो यह चिंता की वजह बन सकती है। बता दें कि गूगल पर फर्जी वेबसाइट पर लगाम लगाने को लेकर काफी दबाव था। सरकार की ओर से चुनाव के दौरान फर्जी वेबसाइट के जरिए मुद्दों को भटकाने के आरोप लगते रहे हैं।
Home / Business & Tech / Google चलाने के देने होंगे पैसे! जानें Website वेरिफिकेशन और ब्लू टिक के पीछे की वजह?
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