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क्या, लिंग परीक्षण एवं कन्या भ्रूण ह्त्या बिना माँ व परिवार की जानकारी व इच्छा के हो सकती है ?

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डॉ. अशोक मित्तल

बेटी बचाओ अभियान की सफलता के लिए चिकित्सा जगत में डर के साथ साथ जन सामान्य में भी पीसीपीएनडीटी क़ानून का किसी न किसी रूप में भय होना अनिवार्य है!! 

कन्या भ्रूण ह्त्या रोकने के अभियानों में पहले तो मीडिया व अब सरकारी विभागों द्वारा स्टिंग ऑपरेशन द्वारा नाटकीय मरीज बन बन के डॉक्टरों को सबक सिखाने के बावजूद भी इस दुष्कर्म में आये दिन डॉक्टरों का रंगेहाथों पकडे जाना बहुत ही दुर्भाग्यपूर्ण है. इसी क्रम में Tribune के अनुसार 20 अप्रेल को भारत हॉस्पिटल, अमृतसर की महिला चिकित्सक डॉ. शुपला शर्मा को PCPnDT विभाग द्वारा संचालित एक  स्टिंग ऑपरेशन के बाद पुलिस ने कैद किया है जबकि डॉ. शुपला ने उसे जिस सोनोग्राफी सेण्टर पर लिंग परिक्षण हेतु भेजा था उस ने इनकार करके क़ानून की पालना के साथ समझदारी भी दिखाई . पिछले वर्ष भी जयपुर की एक महिला डॉक्टर राष्ट्रीय राज मार्ग पर चलती वेंन में लिंग परिक्षण हेतु सोनोग्राफी करते पकड़ी गयी थी जिसे अगले दिन ही खुद के बेटे की शादी में शामिल होने अमेरिका जाना था.

डॉक्टरों को यह समझना चाहिए की मरीजों द्वारा उनकी भावनात्मक समस्याओं, गरीबी का हवाला, सास बहु के झगडे का हवाला, बेटा न होने पर पति से तलाक की धमकियों व लड़के की असीम चाहत आदि बातें यदि वास्तव में सच भी हो तो भी उनके चक्कर में नहीं आना चाहिय साथ ही कुछ अतिरिक्त फीस के लालच में इस घ्रणित व अपराधिक कृत्य में लिप्त नहीं होना चाहिए.

ये सच है की डॉक्टरों को PCPnDT Act का पूरा सम्मान करते हुए इसमें सरकार का सहयोग करना चाहिए.

लेकिन इस पूरे कानून का अब तक का एक रोचक पहलू ये भी है की भ्रूण ह्त्या के जो जो भी मुख्य अपराधी होते हैं जैसे माँ, सास, पति आदि उनमें से एक को भी न तो आज तक कोई पहचान पाया है, चिन्हित कर पाया है और उन पर सजा तो छोड़ कोई अपराधिक मुकदमा तक दर्ज नहीं हुआ है.

क्या ये संभव है की बिना माँ व परिवार की जानकारी (इच्छा या अनिच्छा, दबाव या मजबूरी) के कोई कन्या भ्रूण ह्त्या हो जाय ??? तो फिर सवाल ये उठता है की क्यों इनमें से एक भी अपराधी या उनके सहयोगी, उकसाने वाले, ताने देने वाले अब तक कानून की गिरफ्त में नहीं आये हैं.

याने कन्या भ्रूण से छुटकारा पाने वाले सोचते हैं की “फंसेगा तो डॉक्टर फंसेगा, वरना अपना तो काम हो गया तो भी ठीक वरना नहीं हुआ तो कहीं और कोशिश करेगे”. लाख कोशिशों के बाद भी यदि उन्हें कामयाबी नहीं मिली तो क्या उस अनचाही कन्या को ऐसे माँ-बाप, दादा-दादी जनम उपरांत भी जीने देंगे या जीने लायक वातावरण देंगे, या जीने लायक छोड़ेंगे?? जबकि ये लोग जन्म पूर्व ही उसकी जान के दुश्मन बने हुए हैं??? इस बात की क्या गारंटी की जन्म के बाद यदि वो कन्या हो तो उसका लालन पोषण सही प्रकार होगा जिससे की वो स्वस्थ रहे व ज़िंदा रहे, और ज़िंदा रही तो एक सम्मानित व परिपूर्ण महिला के रूप में जी सके???

क्या कभी कोई ऐसी संभावित माँ जिसके पहले से ही 2 या 3 बेटियाँ हों और वो ऐसी अवस्था में बार बार डॉक्टर बदल रही हो, उस पर नज़र रखी जा सकती है ??? क्या कोई स्टिंग टाइप के सवाल जवाब उससे किये जा सकते हैं, जिससे ये निकल कर आ सके की वो बार बार नए डॉक्टर या नया सोनोग्राफी सेंटर क्यों ढूंढ रही है? जिसमें प्रश्न करता भी महिला ही हो, और वो पूरी सहानुभूति व मित्रतापूर्ण व्यवहार से उस संभावित माँ का मन जीत ले ???

सरकारी महकमा सिर्फ सोनोग्राफी केंद्र या डॉक्टरों पर ही यदि अपना ध्यान केन्द्रित रखे और कन्या के जन्म उपरान्त उनकी सेहत को नज़र अंदाज़ करे तो एक तो इस अपराध के मुख्य अभियुक्तों (कन्या का परिवार) को खुली छूट मिलती रहेगी दूसरा मेल:फीमेल अनुपात भी सुधारना तो दूर और बदतर होता जायेगा. PCPnDT  विभाग की तरह ही Post Delivery Female Child Welfare विभाग भी यदि हो, जो सुनिश्चित करे की जनम उपरांत कन्या की सेहत ठीक रहे तो मेल फीमेल अनुपात में इजाफा होने की संभावना बढेगी.

याने बेटी बचाओ अभियान तभी सफल हो सकता है जब इस समस्या के सभी पहलूओं पर गौर किया जाए जैसे की मेडिकल, सोनोग्राफी, एबॉर्शन से लेकर जनम पश्चात उनका लालन पोषण, सामाजिक व  आर्थिक पहलू, उन्हें शिक्षित करना, लड़कियों में सुरक्षा व आत्म विश्वास पैदा करना एवं उनको स्वावलंबी बनाना और उनको आत्मा रक्षा के गुर सिखाना आदि. साथ ही ऐसे परिवारों को भी शिक्षित करना जो सिर्फ बेटे की ही चाहत हो या जो पहली के बाद दूसरी या दूसरी बेटी के बाद तो यदि तीसरी आ जाए या संभावना बन जाए तो उसके दुश्मन बन जाते हैं. बेटी बचाओ अभियान की सफलता के लिए चिकित्सा जगत के साथ साथ जन सामान्य में भी इस क़ानून का किसी न किसी रूप में भय होना अनिवार्य है.

डॉ. अशोक मित्तल,

मेडिकल जर्नलिस्ट,

drashokmittal.blogspot.in

21 April, 2016

Dr. Ashok Mittal
Director & Chief Orthopedic Surgeon
Old Mittal Hospital
249 A, Main Road, Vaishali Nagar, Ajmer 305006
Ph. 0145 2970272

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