नई दिल्ली.बाबा रामदेव के शिष्य और पतंजलि आयुर्वेद के प्रमोटर आचार्य बालकृष्ण देश के टॉप अमीरों में शामिल हो गए हैं। चीनी मैगजीन हुरुन ने दावा किया है कि बालकृष्ण के पास 25 हजार 600 करोड़ की प्रॉपर्टी है। 339 भारतीयों की ‘इंडिया रिच लिस्ट-2016’ में उन्हें 25वें नंबर पर रखा है। बालकृष्ण पर यह दावा चौंकाता है, क्योंकि कुछ समय पहले रामदेव ने पतंजलि का टर्नओवर 5 हजार करोड़ रु. बताया था। 5 साल पहले बालकृष्ण ने कहा था कि उनके पास बैंक अकाउंट तक नहीं है। मुताबिक एफएमसीजी सेक्टर में डाबर के आनंद बर्मन पहले नंबर पर हैं। उनकी प्रॉपर्टी 41,800 करोड़ है। पतंजलि के 94% शेयर होल्डर हैं बालकृष्ण…
– HuRun की हाल ही में जारी रिपोर्ट में कहा गया है, ”पतंजलि भारत का सबसे तेजी से बढ़ता FMCG ब्रॉन्ड है। 2015-16 में इंडियन मार्केट में इसकी ग्रोथ 150% रही है।”
– ”फिलहाल पतंजलि का सालाना टर्नओवर 5000 करोड़ है। 2017 में दोगुना होने का अनुमान है।”
– HuRun मैगजीन हर साल चीन के अमीर लोगों की लिस्ट जारी करती है। 2012 से इसने अमीर भारतीय सीईओ की लिस्ट जारी करना शुरू किया था।
– मिनिस्ट्री ऑफ कॉर्पोरेट अफेयर्स (MCA) के मुताबिक, पतंजलि आयुर्वेद में बालकृष्ण की शेयर होल्डिंग 94% है। बाबा रामदेव ब्रांड प्रमोटर हैं।
तीन साल में ऐसे हुई ग्रोथ
– रजिस्ट्रार ऑफ कंपनीज (RoC) के आंकड़ों के मुताबिक पतंजलि आयुर्वेद का 2013-14 में कुल मुनाफा 95.19 करोड़ रुपए था। 2014-15 में यह 196.31 करोड़ हो गया। यानी सालभर में 108 फीसदी से ज्यादा की बढ़ोतरी हुई।
– कंपनी ने 2015-16 में टैक्स चुकाने के बाद करीब 316.60 करोड़ रुपए का मुनाफा कमाया। यानी पिछले तीन साल में पतंजलि के मुनाफे में 233 फीसदी की बढ़ोतरी हुई है।
– पतंजली का 2015-16 में टर्नओवर 5000 करोड़ रुपए रहा। कंपनी ने 2017-18 में इसे 10000 करोड़ पहुंचाने का टारगेट रखा है।
बालकृष्ण ने कहा था- मेरे पास बैंक अकाउंट तक नहीं
– बालकृष्ण ने 2011 में कहा था, ”मैंने 50-60 करोड़ का पर्सनल लोन लिया है। इसके अलावा मेरे पास कोई पर्सनल बैंक अकाउंट नहीं है।”
– 1995 में जब रामदेव इतने पॉप्युलर नहीं थे, तब बालकृष्ण ने रामदेव के गुरु शंकरदेव के आश्रम में दिव्य फार्मेसी शुरू की। इसे ट्रस्ट के तहत रजिस्टर्ड कराया गया।
– बालकृष्ण के माता-पिता नेपाली मूल के थे। उन्होंने वाराणसी के संस्कृत विश्वविद्यालय में पढ़ाई की। हरियाणा में बाबा रामदेव से मिले।
– 2011 में यूपीए सरकार के दौरान सीबीआई ने बालकृष्ण के खिलाफ धोखाधड़ी और फर्जीवाड़े का केस दर्ज किया।
– सीबीआई का कहना था कि बालकृष्ण ने जाली डॉक्युमेंट्स से पासपोर्ट हासिल किया। सिटिजनशिप पर भी सवाल उठे।
– दो साल जांच चलती रही और बाद में सबूत न मिलने पर बालकृष्ण को क्लीन चिट मिल गई।