जर्मनी में रह रहे डोल्कन ईसा ने भारत में होने वाले एक सम्मेलन में हिस्सा लेने के लिए वीजा दिया गया था. ईसा भारत आने के लिए तैयार हो गया था उसने भारत सरकार से अपनी सुरक्षा को लेकर गारंटी मांगी थी.
भारत के इस फैसले के बाद चीन के विदेश मंत्रालय की प्रवक्ता ने कहा था कि मुझे इस संबंध में विस्तार से जानकारी नही है. अखबार में छपी खबरों के अनुसार डोल्कन ईसा को भारत में होने वाले सम्मेलन में हिस्सा लेने के लिए वीजा दिया जा रहा है. मैं यह जानकारी देना चाहती हूं कि इंटरपोल और चीन की पुलिस ने ईसा के खिलाफ रेड कॉर्नर नोटिस जारी किया है. सभी देशों की जिम्मेदारी बनती है कि वो इसकी गिरफ्तारी में मदद करें. भारत ने ईसा को वीजा देने का दांव पठानकोट हमले के मास्टरमाइंड मौलाना मसूद अजहर को यूएन में आतंकी करार देने की कोशिशों में चीन के अड़ंगे के बाद खेला था. भारत ने यूएन में आतंकी मसूद अजहर पर बैन की मांग की थी लेकिन चीन ने अपनी ताकत का इस्तेमाल करते हुए भारत की इस मांग को मानने से इनकार कर दिया था. चीन के इस कदम पर भारत ने कड़ी आपत्ति जतायी थी. विदेश मंत्री सुषमा स्वराज ने भी इस मामले में चीन के सामने अपना विरोध दर्ज कराया था.
भारत चीन के साथ संबंधों को अभी इसलिए भी खराब नहीं करना चाहता क्योंकि भारत चीन के साथ सीमा विवाद को सुलझाने पर ध्यान दे रहा है. 20-21 अप्रैल को हुई सीमा वार्ता के संबंध में जारी बयान के अनुसार, ‘‘दोनों पक्ष सहमत हुए कि सीमा मुद्दे पर चीन-भारत वार्ता सकारात्मक गति से चल रही है और सीमा विवाद प्रभावी रूप से नियंत्रण में हैं तथा सीमावर्ती क्षेत्र सामान्य तौर पर शांतिपूर्ण और स्थिर है.’
विदेश मंत्रालय की वेबसाइट पर डाले गये बयान में कहा गया है, ‘‘पुराने सीमा विवाद को लेकर चीन बिरले ही भारत से ‘‘बीच में मिलने’ की बात करता है. दोनों देशों के राजनीतिक हल के पटरी पर बने रहने के हवाले को महत्वपूर्ण विकास के रूप में देखा जा रहा है, क्योंकि दोनों पक्षों के अधिकारियों का कहना है कि बातचीत ऐसे स्तर पर पहुंच गयी है जहां दोनों पक्षों के राजनीतिक नेतृत्व एक नतीजे पर पहुंचने के लिए फैसला ले सकते हैं. सीमा वार्ता के विभिन्न दौर में भारत का प्रतिनिधित्व करने वाले डोभाल के पूर्ववर्तीशिवशंकर मेनन ने 2014 में एक बैठक के दौरान कहा था कि सभी तकनीकी काम पूरे हो चुके हैं और अब फैसला लेने की बारी दोनों देशों के नेताओं की है.