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मेरे पिता ने मुझे सिखाया गिरकर फिर से उठना और आगे बढ़ते जाना


पिता की दी सीख वो होती है, जो बच्चे को इतना मजबूत बना देती है कि वह अपने दम पर जिंदगी में आने वाली मुश्किलों का सामना करने के लिए तैयार हो जाता है। पिता भले ही अपनी भावनाओं को जाहिर नहीं करते हैं, लेकिन उनसे ज्यादा अपने बच्चे की फिक्र कोई और नहीं कर सकता है।
“पिता वह इंसान है, जो कभी प्यार नहीं दिखाता। मां आसानी से अपनी भावनाएं जाहिर कर देती हैं, लेकिन पिता हमेशा सख्त दिखाई देते हैं। वह एक नारियल की तरह होते हैं यानी बाहर से जितने सख्त अंदर से उतने ही कोमल। मेरे पिता भी कुछ इसी तरह के हैं। एक सरकारी नौकरी में होने के कारण वह चौबीसों घंटे और सातों दिन काम करते हैं, जिस वजह से घर में भी ऑफिस जैसा माहौल बना रहता है। इस वजह से उन्हें हमारे साथ समय बिताने का समय ही नहीं मिलता, जिससे मैं काफी नाराज रहता था।
वह जब ऑफिस से आते थे, तब तक मैं सो चुका होता था और जब मैं सुबह उठता था, तब वह सो रहे होते थे। इसके चलते एक लंबा समय ऐसा आया जब हमारी बात होना ही बंद हो गई। शायद उस वक्त मुझे इस बात का अंदाजा नहीं था कि वो इतनी मेहनत कर किसके लिए है। पिता को लेकर सबके मन में कहीं न कहीं डर छिपा रहता है। मेरे साथ भी कुछ ऐसा ही था। नया मोबाइल लेना हो या बाइक, पापा से कुछ बोला ही नहीं जाता था। मम्मी को हमने एक-दूसरे से बात करने का जरिया बना लिया था। हालांकि, हर बार उन्होंने बिना बोले मेरी सारी फरमाइशें पूरी कीं।
रिजल्ट आया तो मैं डिप्रेस हो गया : मेरा बारहवीं का रिजल्ट आया, जिसमें मुझे कम नंबर्स मिले थे। इससे मैं डिप्रेस हो गया और कमरे में खुद को बंद कर लिया। मेरे मन में पापा का डर भी था और खुद से निराशा भी। पूरा दिन कमरे में बंद रहने के बाद जब अगले दिन बहार निकला, तब जो मैंने देखा वह मुझे थोड़ा अजीब लगा। उस दिन पापा अपने ऑफिस नहीं गए थे। वह मेरा ही इंतजार कर रहे थे और हैरानी की बात तो ये थी कि उनके चेहरे पर गुस्सा नहीं बल्कि एक हलकी सी मुस्कान थी।
पापा ने सिखाया गिरकर फिर से उठ खड़े होना : उन्होंने मुझे अपने पास बुलाया और अच्छे से समझाया कि इतनी छोटी सी बात को लेकर अगर इतना तनाव में आ जाओगे तो आगे कैसे पहुंच पाओगे? उन्होंने मुझसे बोला कि जिंदगी एक खेल है और हर बार जरूरी नहीं है कि आपकी ही जीत हो। कभी-कभी हारना भी जरूरी होता है। जो इंसान गिरकर उठता है, उस इंसान से ताकतवर और कोई नहीं होता। इसीलिए गिरना जरूरी है और इसके बाद फिर से उठ खड़े होना उससे भी ज्यादा जरूरी। गिरने के बाद आप डर के मारे भागना नहीं छोड़ सकते। पापा की इन बातों की मैंने उस दिन से गांठ बांध ली और आगे बढ़ता चला गया।
पिता से ज्यादा प्यार कोई नहीं कर सकता : हमें कई बार लगता है कि पिता जो कर रहें है, आखिर क्यों कर रहे है? वह कई बार हमें बुरे भी लगते हैं। उन पर गुस्सा भी आता है और डर भी लगता है। हम बस ये नहीं समझ पाते कि वह जो भी कर रहे हैं, वो हमारी जिंदगी और उज्जवल भविष्य के लिए ही तो है। वह भी हमारे साथ समय बिताना चाहते हैं, लेकिन काम के चलते ऐसा संभव नहीं हो पाता। पिता अपनी परेशानियों को अपने अंदर ही छिपा लेते हैं और हमें सिर्फ खुशी देते हैं।
बोला जाता है कि मां ने अपने बच्चे को 9 महीने पेट में रखा है, इसलिए उनसे अच्छा हमें कोई नहीं जान सकता। लेकिन अगर पिता नहीं होते तो उन 9 महीनों के बाद हमें जीना कैसे आता? जीने का एक सलीका अगर किसी ने सिखाया है तो वो हमारे पिता ही हैं। अपने परिवार को छांव देने के लिए एक पिता धूप में जलता है। अपने बच्चे को उनसे ज्यादा प्यार और कोई नहीं कर सकता है।”