
पराग्वे: दुनिया भर में जिस तेजी से पानी की किल्लत बढ़ रही है, उसे देखते हुए इस कयास से इंकार नहीं किया जा सकता कि अगला वर्ल्ड वॉर पानी को लेकर हो सकता है। इसका एक जीता-जागता उदाहरण पराग्वे भी है, जहां की सबसे बड़ी पिक्लेमायो नदी सूख चुकी है। यहां इतने भयानक हालात हैं कि इसका अंदाजा लगाना भी मुश्किल है। नदी में रहने वाले घड़ियाल, मगरमच्छ से लेकर अनेक जीव-जंतुओं के कंकाल नजर आ रहे हैं।
करीब 1000 किमी लंबी पिक्लेमायो नदी पराग्वे और अर्जेंटीना की बॉर्डर को एक-दूसरे से जोड़ती है। नदी में 20 प्रतिशत ही पानी बचा है। कई जगह तो नदी का नामोनिशान ही नहीं रहा। यह नदी लाखों लोगों के जीवन का मुख्य स्रोत थी, इसके सूख जाने से किनारे बसे दोनों देशों के गांव खाली हो रहे हैं।
इसकी सबसे बुरी मार वन्य जीव-जंतुओं पर पड़ रही है। यह नदी विशेषकर विशालकाय मगरमच्छ-घड़ियालों से भरी रहती थी। अब हालात ये हैं कि जगह-जगह नदी में और किनारों पर मगरमच्छों से लेकर जंगली जीव-जंतुओं की लाशें ही नजर आ रही हैं।
पिक्लेमायो नदी में तीन और नदियां पिल्कू रेड, मायू और उसुरू अरागाय मिलती हैं। इन नदियों का जलस्तर भी बहुत कम हो गया है, जिसके चलते पिक्लेमायो तेजी से दम तोड़ रही है। इस साल यहां मई महीने में बहुत कम बारिश हुई थी, इससे हालात और बुरे होते चले गए। हालांकि ऐसे हालात अब से 20 साल पहले भी बने थे, लेकिन नदी का जल स्तर इस लेवल तक नहीं पहुंचा था। पराग्वे के मौसम विभाग के अनुसार यहां बारिश दिसंबर में हो सकती है, लेकिन उतनी नहीं होगी कि नदी फिर से जीवित हो सके। पिक्लेमायो से लगा एक ग्रैन चाको नाम का एक बड़ा इलाका सबसे ज्यादा प्रभावित हुआ है। यहां से हजारों लोग शहरों की ओर पलायन कर गए हैं।
IndianZ Xpress NZ's first and only Hindi news website