जस्टिस हेमा कमेटी की रिपोर्ट के आने के बाद से ही तमाम लोग यौन शोषण के बारे में खुलकर बोल रहे हैं। आरोप लगा रहे हैं। जिनमें से कुछ पर एक्शन भी हुआ है और केस दर्ज हुआ है। वहीं, कुछ ने किसी न किसी पद से इस्तीफा भी दिया है। इस रिपोर्ट से लोगों को बॉलीवुड के मीटू मूवमेंट की याद आ रही है, जो कहीं न कहीं कमजोर पड़ गया था।
हिम्मत-ए-मर्दा तो मदद-ए-खुदा… यानी मर्द हिम्मत करे तभी खुदा उसकी मदद करता है। हमारे पुरुष प्रधान समाज में भले ही कहावतों तक में हिम्मत को मर्द से जोड़ा गया है, मगर इन दिनों पूरे देश में चर्चा है मलयालम सिनेमा की उन निडर नायिकाओं की हिम्मत, जिन्होंने पूरी कायनात के खिलाफ जाकर अपने साथ होने वाले शोषण के विरोध में आवाज उठाई, जो अंजाम की परवाह किए बिना अपने और अपनी साथियों के सम्मान की खातिर खड़ी रही और तब तक लड़ी, जब तक जीत नहीं गईं। यह इन औरतों का हौसला ही है, जिनकी वजह से मलयालम फिल्म इंडस्ट्री की काली करतूतें सामने आ सकीं। दरअसल, जस्टिस हेमा कमिटी को अस्तित्व में लाने का श्रेय मलयालम सिनेमा की महिला कलाकारों की संस्था विमन इन सिनेमा कलेक्टिव (WCC) को जाता है, जिनकी अपील पर केरल सरकार ने साल 2017 में यह कमिटी बनाई थी। अपनी एक साथी अदाकारा को न्याय दिलाने के लिए एकजुट हुईं डब्ल्यूसीसी की इन महिला सदस्यों ने आज पूरे मॉलिवुड को अपने काले गिरेबान में झांकने को मजबूर कर दिया है।
मुट्ठीभर औरतों ने हिला दी मॉलिवुड की साख – विमन इन सिनेमा कलेक्टिव (WCC) की नींव साल 2017 में तब पड़ी, जब एक मशहूर मलयाली एक्ट्रेस का चार लोगों ने कार में यौन उत्पीड़न किया था और इस मामले में ताकतवर अभिनेता दिलीप का हाथ होने की बात सामने आई थी। तब दिलीप को गिरफ्तार भी किया गया पर बाद में जमानत पर रिहा कर दिया गया। वह अब भी इस मामले में जमानत पर हैं। इसके बावजूद, दिलीप को जमानत मिलते ही मलयालम आर्टिस्ट असोसिएशन (अम्मा) ने उनको गाजे-बाजे के साथ संगठन में शामिल कर लिया, जो एक तरह से पीड़ित एक्ट्रेस के अपमान से कम नहीं था। तब अम्मा की कई महिला सदस्यों ने इस फैसले का विरोध किया और रेवती, अंजली मेनन, रीमा कलिगल, पार्वती थिरूवोथु, मंजू वॉरियर जैसी चर्चित मलयालम कलाकारों, फिल्मकारों, टैक्निशियंस ने एकजुट होकर एक्ट्रेस को न्याय दिलाने के लिए विमन इन सिनेमा कलेक्टिव संस्था शुरू की। यह संस्था मॉलिवुड में औरतों की की मूलभूत जरूरतों, हरैसमेंट जैसे मुद्दों पर पुरजोर आवाज उठाती है। इस वजह से इन महिला कलाकारों, तकनीशियंस को काम से हाथ भी धोना पड़ा, एक अघोषित बैन का शिकार भी होना पड़ा। इंडस्ट्री का एक बड़ा तबका इनके साथ काम करने से कतराने लगा। फिर भी ये एक-दूसरे का हाथ थाम डटी रहीं। उन्होंने केरल हाई कोर्ट से यह सुनिश्चित करवाया कि हर मलयालम फिल्म प्रॉडक्शन यूनिट में प्रोटेक्शन ऑफ विमन सेक्सुअल हरैसमेंट ऐट वर्कप्लेस (पॉश) ऐक्ट को सख्ती से पालन हो और शिकायतों की सुनवाई के लिए आंतरिक शिकायत समिति बनाई जाए। वहीं, इन्होंने मुख्यमंत्री पिनाराई विजयन से एक्ट्रेस के यौन शोषण की जांच कराने की अपील की, जिस पर साल 2017 में केरल राज्य सरकार ने तीन सदस्यीय जस्टिस हेमा कमिटी गठित की, जिसकी रिपोर्ट ने मॉलिवुड में #MeToo 2.0 का नया चैप्टर खोल दिया है।
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