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भारत जिगरी दोस्त, पाकिस्तान जानी दुश्मन… अफगानिस्तान से 1 पन्ने का समझौता, इस ‘लाइन’ से फूटी POK हथियाने वाले पड़ोसी की किस्मत


अफगानिस्तान में तालिबान शासन के विदेश मंत्री आमिर खान मुत्ताकी इन दिनों भारत दौरे पर आए। उनके यहां आते ही पाकिस्तान, चीन और अमेरिका तक के पेट में दर्द उठना शुरू हो गया। अफगानिस्तान एक और जहां भारत को अपना जिगरी दोस्त मानता है, वहीं पाकिस्तान को वह जानी दुश्मन मानता आया है। मुत्ताकी भी भारत को अफगानिस्तान का बेहद करीबी दोस्त बता चुके हैं। वहीं, पाकिस्तान से इस खूनी दुश्मनी की शुरुआत एक लाइन से शुरू हुई थी। ब्रिटिश भारत के दौर में अफगानिस्तान-पाकिस्तान सीमा को बांटने वाली डूरंड लाइन खींची गई थी। यह दोनों देशों के बीच 2,640 किलोमीटर (1,640 मील) लंबी अंतरराष्ट्रीय सीमा है। इसका पश्चिमी सिरा ईरान की सीमा और पूर्वी सिरा चीन की सीमा तक जाता है। कुछ हिस्सा भारत से भी जुड़ता है। मुत्ताकी के भारत दौरे पर आने से तिलमिलाए पाकिस्तान ने काबुल पर एयर स्ट्राइक कर दी। इसके बाद तहरीक-ए-तालिबान पाकिस्तान (टीटीपी) ने पाकिस्तान के खैबर पख्तूनख्वा पर बड़ा आत्मघाती हमला कर दिया। आइए-समझते हैं कि कैसे यह लाइन पाकिस्तान के लिए भस्मासुर बन गई?
अफगानिस्तान-पाकिस्तान में किसने खींची सीमारेखा – डूरंड रेखा की स्थापना 1893 में अफगानिस्तान अमीरात और ब्रिटिश भारतीय साम्राज्य के बीच अंतरराष्ट्रीय सीमा के रूप में की गई थी। भारतीय सिविल सेवा के एक ब्रिटिश राजनयिक मोर्टिमर डूरंड और अफगानिस्तान के अमीर अब्दुर रहमान खान ने अपने-अपने प्रभाव क्षेत्रों की सीमा तय करने और राजनयिक संबंधों और व्यापार को बेहतर बनाने के लिए यह रेखा तय की थी। उस समय ब्रिटेन अफगानिस्तान को एक स्वतंत्र राज्य मानता था, हालांकि उसके विदेशी मामलों और राजनयिक संबंधों पर उसका नियंत्रण था।