
रूस और यूक्रेन में फरवरी, 2022 से लड़ाई चल रही है। इस लड़ाई को रोकने के लिए इस साल डोनाल्ड ट्रंप की ओर से कई कोशिशें की गई हैं। हालांकि उनको इसमें अभी तक कामयाबी नहीं मिल पाई है।
अमेरिकी राष्ट्रपति डॉनल्ड ट्रंप ने पिछले सप्ताह रूस की दो सबसे बड़ी तेल कंपनियों को निशाना बनाते हुए नए प्रतिबंधों की घोषणा की। उन्होंने बुडापेस्ट में रूसी राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन के साथ प्रस्तावित बैठक भी अनिश्चित काल के लिए स्थगित कर दी। यह इस बात का संकेत है कि रूस-अमेरिका संबंध बिगड़े हैं।
डोनाल्ड ट्रंप ने अपने बयान में कहा कि जब भी मैं व्लादिमीर से मिलता हूं तो हमारे बीच बहुत अच्छी बातचीत होती है लेकिन वह कहीं पहुंचती नहीं है। इस बयान से लगता है कि इस बार अमेरिका ने पुतिन की चुनौतियों और जमीनी हकीकत की अच्छी पड़ताल की। ट्रंप ने आखिरकार सीधे रूस को निशाने पर लेने का फैसला किया, जिससे वह अब तक बच रहे थे।
इसी अगस्त में ट्रंप ने अलास्का में रूसी राष्ट्रपति का जोरदार स्वागत किया था। तब उन्हें लग रहा था कि वह पूतिन को शांति के लिए मना लेंगे। इससे दोनों देशों के बीच कूटनीतिक रिश्तों में नए दौर की संभावना बनी थी। मैसेज यह दिया गया कि अमेरिका यूक्रेन को कुछ समय के लिए ही सही, दरकिनार कर सीधे रूस से बातचीत करने को तैयार है।
यूक्रेन और अमेरिका के यूरोपीय मित्र देशों के लिए यह चिंता की बात थी क्योंकि इसमें यूक्रेन की आवाज दब जाने का खतरा था। ट्रंप ने रूस को चेतावनी भी दी थी कि अगर बातचीत में सार्थक प्रगति नहीं हुई तो उसके बेहद गंभीर नतीजे हो सकते हैं। इसके बावजूद उस बैठक में ना तो कोई औपचारिक समझौता हुआ और ना युद्धविराम की घोषणा की जा सकी। पुतिन अपने रुख से जरा भी हिलने को तैयार नहीं हुए।
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