
भारत के दशकों से दोस्त रूस के राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन 4 दिसंबर को 2 दिवसीय दौरे पर दिल्ली आ रहे हैं। साल 2022 में यूक्रेन युद्ध शुरू होने के बाद ऐसा पहली बार हो रहा है कि पुतिन भारत की यात्रा पर आ रहे हैं। इससे पहले रूस और भारत के नेता एक-दूसरे के यहां लगभग हर साल जाते थे। विश्लेषकों का कहना है कि इस यात्रा को केवल एक राजनयिक यात्रा के रूप में देखना बड़ी गलती होगा। अमेरिका और यूरोप के देशों की ओर से भारत पर बहुत ज्यादा दबाव है और धमकियां दी जा रही हैं। अमेरिका ने तो भारत पर भारी भरकम टैरिफ लगा दिया है। इसके बाद भी मोदी सरकार ने पुतिन को बुलाकर ट्रंप से लेकर यूरोपीय संघ तक को कड़ा संदेश दे दिया है। अमेरिकी विश्लेषक माइकल कुगलमैन का मानना है कि पुतिन इस यात्रा ने भारत को एक बड़ा मौका दिया है। आइए समझते हैं पूरा मामला…
माइकल कुगलमैन ने रायटर्स से बातचीत में कहा, ‘पुतिन की यह यात्रा हालिया घटनाक्रम के बाद भी भारत को मौका देती है कि वह मास्को के साथ अपने खास रिश्ते की मजबूती को फिर से साबित कर सके। साथ ही नए हथियार सौदों में आगे बढ़ने का भी मौका देता है। भारत और रूस के बीच शिखर सम्मेलन कभी भी दिखावे के लिए नहीं होते हैं। इससे साबित होता है कि दोनों के बीच रिश्ते कितने अहम हैं।’ इस दौरे पर भारत और रूस के बीच 23वां शिखर सम्मेलन होने जा रहा है। भारत ने अमेरिका के पश्चिमी गठबंधन बनाम रूस में रणनीतिक स्वायत्तता को प्राथमिकता दी है।
रूस ने दिया भारत को बड़ा ऑफर – पुतिन ऐसे समय पर भारत आ रहे हैं जब 50 फीसदी अमेरिकी टैरिफ की वजह से वॉशिंगटन और दिल्ली के बीच तनाव काफी बढ़ा हुआ है। रूस ने भारत को चीन की तरह से ही ‘नो लिमिट’ वाली पार्टनरशिप का ऑफर दिया है। अमेरिका ने तो 25 फीसदी टैरिफ केवल भारत के रूस से तेल लेने की वजह से लगाया है। वहीं पाकिस्तान पर केवल 19 फीसदी का ही टैरिफ है। पीएम मोदी और पुतिन के बीच व्यापार, मजदूरों, ऊर्जा, बैंकिंग, रक्षा, स्पेस, परमाणु ऊर्जा और विमानन क्षेत्र में रिश्तों को आगे बढ़ाने पर बातचीत होगी।
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