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दुनिया के सबसे कीमती दुर्लभ खनिज के लिए भारत के पड़ोस में छिड़ी जंग, चीन के खिलाफ QUAD की एंट्री, इंडिया कैसे बना पावर प्लेयर?

ट्रंप प्रशासन ने म्यांमार की सेना से संपर्क बढ़ा दिए हैं और सेना को कई तरह की राहतें दी गई हैं। इसके अलावा उत्तरी थाईलैंड के चियांग माई कांसुलेट के रास्ते अमेरिकी खुफिया एजेंसियां काफी तेजी से म्यांमार में एक्टिव हो चुकी हैं। लेकिन अमेरिका के लिए अभी भी रास्ता आसान नहीं है।
दुनिया में दुर्लभ खनिजों के लिए वैश्विक शक्तियों के बीच पॉवर गेम तेज होता जा रहा है। अमेरिका और चीन की दुश्मनी जैसे जैसे बढ़ती जा रही है, इसका दायरा भी बढ़ता जा रहा है। खासकर ऐसे देशों में, जहां राजनीतिक सिस्टम कमजोर है, वो जियो-पॉलिटिकल अखाड़ा बन रहे हैं। जैसे म्यांमार… भारत, चीन और दक्षिण-पूर्व एशिया के ट्राइजंक्शन पर बसा म्यांमार, जो दक्षिण-पूर्व एशिया के लिए भारत का गेटवे भी है, वो इस मुकाबले में नया जंग का मैदान बन गया है। क्वाड… यानि भारत, अमेरिका, ऑस्ट्रेलिया और जापान की एंट्री ने चीन के साथ ‘खेल’ को दिलचस्प और आक्रामक बना दिया है।
म्यांमार में दुनिया की सबसे दुर्लभ खनिज संपदा हैं और इसीलिए, जब म्यांमार हिंसक गृहयुद्ध से जूझ रहा है, देश में कई हथियारबंद संगठन एक्टिव हैं और सेना से लड़ रहे हैं, उस वक्त वैश्विक शक्तियां उस लड़ाई में घी डाल रही हैं और खनिज संपदा पर कब्जे के लिए अपनी अपनी चालें चल रही हैं। म्यांमार की उत्तरी सीमा पर दुनिया के तीसरे सबसे बड़े रेयर अर्थ डिपॉजिट हैं, जिसमें डिस्प्रोसियम भी शामिल है। यह एक ऐसा मिनरल है जो प्रिसिजन-गाइडेड हथियारों, इलेक्ट्रिक गाड़ियों और एडवांस इलेक्ट्रॉनिक्स के लिए बेहद जरूरी है। इसीलिए जिसका इसपर कंट्रोल होगा, वो लंबे समय तक दुनिया में अपना वर्चस्व बनाए रखेगा, क्योंकि इसी से वो एडवांस हथियार बना सकेगा और अपनी टेक्नोलॉजी को विस्तार दे पाएगा।