
कट्टरपंथी नेता शरीफ उस्मान हादी की मौत के बाद बांग्लादेश में हिंसा की एक नई लहर शुरू हो गई। देश में कट्टरपंथी खुलेआम हिंसा और धमकियां दे रहे हैं। इस सबके बीच देश में हिंदू समुदाय बहुत डरा हुआ है।
मोहम्मद यूनुस के राज में कट्टरपंथियों को खुली छूट के चलते बांग्लादेश में हिंदू बेहद डर में जी रहे हैं। शेख हसीना के खिलाफ आंदोलन के दौरान चर्चा में आए कट्टरपंथी छात्र नेता शरीफ उस्मान हादी की मौत बाद बांग्लादेश में हिंसा फैल गई, जिसके बाद चरमपंथी समूहों ने दूर-दराज के इलाकों में भी हिंदू घरों को निशाना बनाया है। हिंसा में बढ़ोतरी के बीच एक बांग्लादेशी हिंदू ने इंडिया टुडे के साथ इंटरव्यू में बताया है कि अल्पसंख्यक डरे हुए हैं। उसने बताया कि हम जिंदा हैं लेकिन चलते-फिरते मुर्दों की तरह जी रहे हैं।
बांग्लादेश में डर में जी रहे हिंदू – पहचान छिपाने की शर्त पर हिंदू युवक ने बताया कि डर इतना ज्यादा है कि पहचान होने पर उसकी जान जा सकती है। उन्होंने कहा कि ‘अगर मेरा चेहरा या आवाज पहचान ली गई तो शायद कल सुबह मेरी आखिरी सुबह हो।’ पिछले कुछ हफ्तों में बांग्लादेश में अल्पसंख्यकों पर हमलों की घटनाओं में तेजी आई है। चटगांव से लेकर मैमनसिंह तक हमले हुए हैं। इनमें कुछ सबसे गंभीर मामले चटगांव के दूरदराज इलाकों से सामने आए हैं।
हिंदू व्यक्ति ने 20 दिसम्बर को चटगांव में हुए एक घटना के बारे में बताया जिसमें उसकी पहचान के लोगों पर कट्टरपंथियों ने हमला किया था। उन्होंने कहा कि इलाके में इलाके में हिंदुओं के खिलाफ भड़काऊ बयानबाजी हो रही थी और खुलेआम हमलों की धमकी जा रही थी। उसने दावा किया कि धमकी भरे पर्चे मिले थे, जिसमें कथित तौर पर लिखा था कि हिंदुओं को मारने और भगाने की इजाजत दे दी गई है।
हिंदुओं के जलाए जा रहे घर – कट्टरपंथियों ने लोगों के घरों में आग लगा दी। परिवारों को जान बचाने के लिए झाड़ियों के रास्ते भागना पड़ा। घर में मवेशी और सारा सामान तबाह हो गया। हिंदुओं के मौजूदा भयावह हालात के बारे में उन्होंने बताया कि घर जलाए जा रहे हैं। लोगों को लूटा जा रहा है और उनकी हत्या की जा रही है। भीड़ खुलेआम हत्या और हिंसा कर रही है। दुनिया ने ये देखा है। यह भी बताया कि ज्यादातर हिंसा शहरों के बजाय गांवों और दूर-दराज के इलाकों में केंद्रित है।
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