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 जमात का किंगमेकर बनने का सपना टूटा, दोस्त से ‘दुश्मन’ बने तारिक रहमान


बांग्लादेश की पूर्व पीएम जिया परिवार के बेटे तारिक रहमान के देश लौटने के साथ ही चुनावी माहौल में गरमाहट आ गई है। तारिक की ढाका वापसी से बीएनपी के नेताओं और समर्थकों में जोश है। शेख हसीना की गैरमौजूदगी ने रहमान और उनकी पार्टी बीएनपी के लिए चुनावी मुकाबला आसान कर दिया है। एक तरफ बीएनपी बांग्लादेश में फरवरी में होने वाले चुनाव के लिए उत्साहित है। पार्टी तारिक को अगले पीएम के तौर पर देख रही है। दूसरी ओर जमात-ए-इस्लामी को चीजें अपने हाथ से निकलती हुई लग रही है।
एक इंटेलिजेंस असेसमेंट नोट के हवाले से बताया है कि चुनाव से ठीक पहले जमात-ए-इस्लामी की फिक्र बढ़ गई है। कट्टरपंथी रुख वाली जमात के नेताओं को लगता है कि फरवरी के चुनाव में बांग्लादेश नेशनलिस्ट पार्टी (BNP) बहुमत के साथ सरकार बना सकती है। ऐसे में किंगमेकर बनने का ख्वाब देख रही जमात हाशिए पर आ जाएगी और बांग्लादेश की राजनीति में वापसी का उसका सपना टूट जाएगा। वह चुनाव बाद किसी सौदेबाजी की स्थिति में नहीं होगी।
जमात हो जाएगी साइडलाइन – जमात के नेताओं का कहना है कि उनकी पार्टी पॉलिटिकल किंगमेकर के तौर पर अपना पारंपरिक दबदब खो रही है। तारिक रहमान की वापसी के बाद BNP का नेशनल वोट शेयर 42-45 प्रतिशत तक पहुंचने का अनुमान है। यह बढ़त जमात-ए-इस्लामी के 8-10 प्रतिशत के सपोर्ट बेस से अलग है, जो सिलहट और उत्तरी रंगपुर में केंद्रित है। इससे जमात राष्ट्रीय मंच पर कमजोर पड़ रही है।