देवी लक्ष्मी चंचला हैं, वह एक स्थान पर कभी नहीं रहती बल्कि सदा चलायमान रहती हैं। कुछ विशेष लोगों पर उनकी कृपा सदैव बनी रहती है और उनके घर कभी भी अलक्ष्मी का प्रवेश नहीं होता। ऐसे लोग मां लक्ष्मी के लाडले होते हैं, आप भी उनका लाड-दुलार चाहते हैं तो करें ये काम, बिल्ली जब बच्चे को जन्म देती है तब बच्चे के साथ-साथ एक झिल्लीनुमा वस्तु भी बाहर आती है जो गर्भावस्था के मध्य बच्चे का पोषण करती है। इसे ही बिल्ली की जेर कहा जाता है। यह तांत्रिक सामग्री बेचने वालों के पास मिल जाती है लेकिन अधिकतर लोग नकली ही बेचते हैं। इस जेर को प्राप्त कर सिंदूर के साथ लाल कपड़े में बांध कर रखने से उस घर में लक्ष्मी का स्थायी निवास होता है।
प्रात:काल उठकर सर्वप्रथम दोनों हाथों की हथेलियों को कुछ पल देखकर चेहरे पर फेरें।
भोजन के लिए बनाई जा रही प्रथम रोटी गौ माता को खिलाएं।
आटा के लिए गेहूं शनिवार को ही पिसवाने का नियम बना लें, संभव हो तो उसमें दशांश काला चना (छोटा चना) अवश्य मिलाएं। शनिवार को काला चना किसी न किसी रूप में खाने का क्रम बनाएं।
किसी भी कार्य के लिए घर से निकलना पड़े, घर में झाड़ू अवश्य लगवा लें। खाली पेट भी न निकलें, अगर मीठा दही उपलब्ध हो तो अवश्य ग्रहण करें।
वीरवार के दिन किसी भी सुहागिन महिला को सुहाग सामग्री दान में देने का क्रम बनाए रखना चाहिए।
घर में हों या बाहर, सुपात्र महिलाएं तथा कुंआरी कन्याओं को देवी स्वरूपा मानकर प्रसन्न करने से सुख सम्पत्ति की वृद्धि होती है।
हत्था जोड़ी एवं सियार सिंगी को चांदी की डिब्बी में अभिमंत्रित कर सिंदूर, लौंग के साथ किसी शुभ मुहूर्त में रखने पर लक्ष्मी का वास रहता है।
किसी शुभ मुहूर्त में सात गोमती चक्रों को मुख्य द्वार की चौखट पर लाल कपड़े में लपेट कर बांधने से आपके घर में लक्ष्मी निवास करने लगती है। इससे घर बुरी नजरों से भी बचा रहता है।
रसोई में किसी भी दिन काली तुम्बी लाकर टांग देनी चाहिए।
चींटियों को शक्कर मिश्रित आटा अवश्य खिलाएं।
घर में स्थापित या टंगे हुए देवी-देवताओं के चित्रों को कुमकुम, चंदन, पुष्पमाला अवश्य भेंट करें।
प्रात:काल नाश्ता करने से पूर्व घर में झाड़ू अवश्य लगा लें।
संध्या समय घर में झाड़ू-पोंछा न कराएं।
संध्या होने से पूर्व घर का कोई भी सदस्य घर में प्रकाश अवश्य कर दे।