सावन के महीने में केवल भगवान शिव की कृपा ही प्राप्त नहीं होती बल्कि शनि देव से भी आशीर्वाद प्राप्त किया जा सकता है। माना जाता है की भगवान शिव शनि देव के गुरु हैं। उनके कहने पर ही शनि देव को न्यायाधीश बनाया गया है। सावन के शनिवार शिवपुराण में बताए गए कुछ खास उपाय कर लेने से भगवान शिव प्रसन्न होते हैं और शनिदेव कभी परेशान नहीं करते। सावन में शनिवार के व्रत भी रखने चाहिए। इससे शनि संबंधित चल रहे साढ़ेसाती, ढैय्या, पनौती अथवा कंटक सभी तरह के अशुभ प्रभावों से छुटकारा मिलता है। सुबह शिव मंदिर जाकर जलाभिषेक करना चाहिए और शाम को शनि मंदिर या पीपल के पेड़ पर सरसों के तेल का दीपदान करना चाहिए।
भगवान शिव को चावल चढ़ाने से धन की प्राप्ति होती है।
तिल चढ़ाने से पापों का नाश हो जाता है।
जौ अर्पित करने से हर सुख में वृद्धि होती है।
गेहूं चढ़ाने से संतान वृद्धि होती है।
(उपरोक्त लिखे अन्न भगवान शिव को अर्पण करने के बाद गरीबों में बांट देने चाहिए।)
बुखार होने पर भगवान शिव को जल चढ़ाने से शीघ्र लाभ मिलता है। सुख एवं संतान की वृद्धि के लिए भी जल द्वारा शिव की पूजा उत्तम बताई गई है।
तेज दिमाग के लिए शक्कर मिला दूध भगवान शिव को चढ़ाएं।
शिवलिंग पर गन्ने का रस चढ़ाया जाए तो सभी प्रकार के आनंद की प्राप्ति होती है।
शिव को गंगाजल चढ़ाने से भोग व मोक्ष दोनों की प्राप्ति होती है।
शहद से भगवान शिव का अभिषेक करने से टी.बी. रोग में आराम मिलता है।
यदि शारीरिक रूप से कमजोर कोई व्यक्ति भगवान शिव का अभिषेक गाय के शुद्ध घी से करे तो उसकी कमजोरी दूर हो सकती है।
भगवान शंकर के पंचाक्षरी मन्त्र का जाप करें और शनि के बीज मंत्र का जाप करें।
सुबह और शाम रावण द्वारा रचित शिव तांडव स्त्रोत्र का पाठ करें।
सावन के शनिवार छाया पात्र का दान जरुर करें, इससे शनि बहुत जल्दी प्रसन्न होते हैं।