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तीसरे विश्‍वयुद्ध की ओर दुनिया? डॉनल्‍ड ट्रंप बोले-हम ईरान के साथ युद्ध शुरू नहीं करना चाहते


ईरान के सबसे ताकतवर जनरल कासिम सुलेमानी के बगदाद में अमेरिकी ड्रोन हमले में मारे जाने के बाद पूरे पश्चिम एशिया में तनाव अपने चरम पर है। इस हत्‍याकांड के बाद विश्‍व की 13वीं सबसे बड़ी सैन्‍य शक्ति ईरान और सुपर पावर अमेरिका के बीच जुबानी जंग तेज हो गई है और दुनिया के तीसरे विश्‍वयुद्ध की ओर बढ़ने की आशंका जाने लगी हैं। इस बीच खाड़ी देशों में बढ़ते तनाव को देखते हुए अमेरिका ने 3 हजार अतिरिक्‍त सैनिक भेजने का फैसला किया है। उधर, अमेरिकी राष्‍ट्रपति डॉनल्‍ड ट्रंप ने कहा है कि उनका देश ईरान के साथ युद्ध शुरू नहीं करना चाहता है, लेकिन अगर इस्‍लामिक देश ने कोई जवाबी कार्रवाई की तो अमेरिका इससे निपटने के लिए पूरी तरह से तैयार है।
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सभी कॉमेंट्स देखैंअपना कॉमेंट लिखेंफ्लोरिडा में छुट्टियां बिता रहे ट्रंप ने ड्रोन हमले के बाद पहली बार मीडिया से बातचीत में कहा, ‘कासिम सुलेमानी की हत्‍या ईरान के साथ विवाद बढ़ाने के लिए नहीं की गई है। हमने बीती रात एक युद्ध को खत्‍म करने के लिए कार्रवाई की। हमने एक युद्ध शुरू करने के लिए कार्रवाई नहीं की।’ ट्रंप ने कहा कि हम ईरान में सत्‍ता परिवर्तन नहीं चाहते हैं लेकिन ईरानी सरकार ‘छद्म लड़ाकुओं का इस्‍तेमाल अपने पड़ोसियों को अस्थिर करने के लिए कर रही है और इसे अब बंद होना होगा।
‘हमले की साजिश रच रहे थे सुलेमानी’
ट्रंप ने कहा कि सुलेमानी अमेरिकी राजनयिकों और सैन्‍यकर्मियों पर हमले की साजिश रच रहे थे और इसी वजह से उन्‍हें निशाना बनाया गया। उन्‍होंने कहा क‍ि ईरान अगर कोई जवाबी कार्रवाई करता है तो हमने उससे निपटने के लिए लक्ष्‍यों की पहचान कर ली है और मैं किसी भी जरूरी कदम को उठाने के लिए पूरी तरह से तैयार हूं। बता दें कि ट्रंप ने ही सोलेमानी पर हमले का आदेश दिया था। इस बीच तनावपूर्ण हालात को देखते हुए अमेरिकी प्रशासन पश्चिम एशिया में तीन हजार सैनिक और भेज रहा है। रक्षा अधिकारियों ने शुक्रवार को यह जानकारी दी।
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अधिकारियों के अनुसार ये सैनिक उत्तरी कैरोलिना के फोर्ट ब्रैग की 82वीं एयरबोर्न डिवीजन से हैं। ये सैनिक 82वीं एयरबोर्न डिवीजन के उन करीब 700 सैनिकों के अतिरिक्त होंगे जिन्हें ईरान समर्थित मिलिशिया के लोगों और उनके समर्थकों द्वारा बगदाग में अमेरिकी दूतावास पर हमला करने के बाद इस सप्ताह के प्रारंभ में कुवैत में तैनात किया गया था। इस सप्ताह सैनिकों की तैनाती से पहले ट्रंप प्रशासन ने मई से 14 हजार अतिरिक्त सैनिकों को पश्चिम एशिया भेजा है। यही नहीं अमेरिकी विदेश मंत्री ने चीन, सऊदी अरब समेत कई देशों के नेताओं के साथ बातचीत की है। अमेरिकी विदेश मंत्री ने पाकिस्‍तान के सेना प्रमुख से भी फोन पर बातकर अपना पक्ष रखा है।
हम लेंगे हत्‍या का बदला: ईरान
बता दें कि ट्रंप का यह बयान ऐसे समय पर आया है जब ईरान ने कहा है कि वह इस हत्‍याकांड का बदला लेगा। सुलेमानी की मौत के बाद ईरान में तीन दिन का राष्‍ट्रीय शोक घोषित किया गया है और उन्‍हें एक राष्‍ट्रीय हीरो का दर्जा दिया गया है। पूरे ईरान में कई जगह पर प्रदर्शन हुए हैं। प्रदर्शनकारियों ने अमेरिका से बदला लेने की मांग की है। इस बीच ईरान के राष्‍ट्रीय सुरक्षा काउंसिल की राजधानी तेहरान में बैठक हुई है जिसकी अध्‍यक्षता ईरान के सर्वोच्‍च नेता अयातुल्‍ला खामेनेई ने स्‍वयं की है। ऐसा पहली बार है जब खामेनेई ने किसी बैठक की अध्‍यक्षता की है।
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तीसरे विश्‍वयुद्ध की आशंका बढ़ी
पश्चिम एशिया में बढ़ते तनाव को देखते हुए सोशल मीडिया से लेकर राजनयिक हलके तक में तीसरे विश्‍वयुद्ध के शुरुआत की अटकलें तेज हो गई हैं। सोशल मीडिया पर तीसरा विश्‍वयुद्ध ट्रेंड कर रहा है। माना जा रहा है कि ईरान जवाबी कार्रवाई में पश्चिम एशिया में स्थित अमेरिकी सैन्‍य ठिकानों और अमेरिकी सैनिकों को निशाना बना सकता है। यही नहीं आशंका यह भी जताई जा रही है कि ईरान अमेरिका के सहयोगी इजरायल के सुरक्षाकर्मियों, होरमुज की खाड़ी में तेल टैंकरों और सऊदी अरब के तेल ठिकानों पर हमले कर सकता है। उसके इस कदम में हिज्‍बुल्‍ला, हूती विद्रोही और सीरिया के राष्‍ट्रपति बशर अल असद मदद कर सकते हैं।
‘सुलेमानी की हत्‍या खुली चुनौती’
विशेषज्ञों के मुताबिक अमेरिका और ईरान के बीच किसी भी संघर्ष की शुरुआत के बाद पूरा इलाका इसकी चपेट में आ सकता है। पश्चिम एशिया मामलों के व‍िशेषज्ञ मोहनाद हागे अली ने कहा, ‘सुलेमानी की सीधे अमेरिका द्वारा हत्‍या किया जाना एक खुली चुनौती है और जवाबी कार्रवाई में ईरान को किसी बड़ी घटना को अंजाम देना होगा। इसके बाद यह यहीं पर खत्‍म नहीं हो जाएगा। इसकी चपेट में पूरा इलाका आ सकता है।’