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रियो ओलंपिक: 119 में से 117 खिलाड़ी फ्लाप, 2 पदकों के साथ खत्म हुआ भारत का अभियान

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रियो डि जेनेरो: बैडमिंटन स्टार पीवी सिंधू के रजत की चमक, महिला पहलवान साक्षी मलिक के कांस्य की धमक और कई दिग्गजों के सुपर फ्लॉप प्रदर्शन के बीच भारत का रियो ओलंपिक में अभियान रिकॉर्ड 119 सदस्यीय दल उतारने के बावजूद मात्र दो पदकों के साथ समाप्त हो गया।

भारत ने 2012 में पिछले लंदन ओलंपिक में दो रजत और चार कांस्य सहित छह पदक जीते थे जबकि 2008 के बीजिंग ओलंपिक में भारत ने एक स्वर्ण और दो कांस्य सहित तीन पदक जीते। इस बार भारत के लिये भारतीय ओलंपिक संघ (आईओए) ने दस से 15 पदक का दावा किया था जबकि पूर्व खेल मंत्री सर्बानंद सोनोवाल ने दस पदक और उनके बाद कुछ समय के लिये खेल मंत्रालय संभालने वाले जीतेन्द्र सिंह ने लंदन के पदक दोगुने होने का दावा किया था लेकिन सभी दावे धरे के धरे रह गये और भारत दो ही पदक जीत पाया।

यह तो भला हो दो बेटियों सिंधू और साक्षी का, जिन्होंने 24 घंटे के अंतराल में दो पदक जीतकर देश की इज्जत बचा ली वरना पहले 12 दिन तक तो भारत के हाथ एक भी पदक नहीं लगा था और तब ऐसा लग रहा था कि कहीं भारत को खाली हाथ न लौटना पड़े लेकिन पहले हरियाणा की साक्षी ने ऐतिहासिक कांस्य पदक जीता और फिर हैदराबाद की सिंधू ने ऐतिहासिक रजत पदक जीत लिया।

सिंधू और साक्षी के अलावा महिला जिमनास्ट दीपा करमाकर का वॉल्ट फाइनल में चौथा स्थान हासिल करना, निशानेबाज अभिनव बिंद्रा का दस मीटर एयर राइफल स्पर्धा में चौथे स्थान पर रहना, एथलीट ललिता बाबर का 3000 मीटर स्टीपलचेका में दसवें नंबर पर रहना, सानिया मिर्जा और रोहन बोपन्ना का कांस्य पदक मुकाबले में हारना, किदांबी श्रीकांत का बैडमिंटन के पुरुष क्वार्टरफाइनल में हारना, पुरुष तीरंदाज अतानु दास का क्वार्टरफाइनल तक पहुंचना, मुक्केबाज विकास कृष्णन यादव का भी क्वार्टरफाइनल में पहुंचना, 18 वर्षीय महिला गोल्फर अदिति अशोक का 41वां स्थान हासिल करना और युवा निशानेबाज जीतू राय का 10 मीटर एयर पिस्टल में आठवें स्थान पर रहना इस निराशाजनक अभियान के बीच कुछ उल्लेखनीय प्रदर्शन रहे।