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उत्तर कोरिया के तानाशाह Kim Jong Un को क्यों लगता है इन गुब्बारों से डर?


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प्योंगयांग
दुनिया के सबसे खतरनाक देशों में से एक उत्तर कोरिया के तानाशाह किम-जोंग-उन की नींद गुब्बारों ने उठा रखी है। दरअसल, उत्तर कोरिया की आलोचना करने के लिए ये गुब्बारे दक्षिण कोरियाई ऐक्टिविस्ट उड़ाया करते हैं। इस पर नाराज होकर किम यो जोंग ने दक्षिण कोरिया के साथ संबंध सुधारने को बनाए गए ऑफिस को ही उड़ा डाला ताकि सिओल को इन ऐक्टिविस्ट्स पर कार्रवाई को मजबूर होना पड़े।

क्यों भेजे जाते हैं गुब्बारे
कई साल से उत्तर कोरिया के कार्यकर्ता किम जोंग उन की परमाणु महत्वाकांक्षाओं और मानवाधिकारों के उल्लंघन को लेकर आलोचना करते हुए गुब्बारों के जरिए संदेश भेजते आ रहे हैं। देश के नेतृत्व के ऊपर सवाल उठाया जाना उत्तर कोरिया को बर्दाश्त नहीं होता है। सिओल कभी पुलिस को भेजकर ऐक्टिविस्ट्स को रोकता है लेकिन पहले इसे पूरी तरह बैन करने से इनकार कर चुका है। उसका कहना है कि यह उसके नागरिकों का लोकतांत्रिक अधिकार है।

‘लोगों की आजादी का संघर्ष’
उत्तर कोरिया इस तरह की कार्रवाइयों पर जवाबी र्कारवाई की लगातार चेतावनी देता रहा है। दक्षिण कोरिया के एक कार्यकर्ता पार्क सांग-हाक ने मंगलवार को बताया कि इसके बावजूद गुब्बारे से 5,00,000 पर्चे, 1 डॉलर के 2000 नोट और छोटी किताबें उत्तर कोरिया भेजी गई हैं। उत्तर कोरिया से भागकर दक्षिण कोरिया में शरण लेने वाले पार्क ने कहा कि पर्चे भेजना उत्तर कोरियाई लोगों की स्वतंत्रता के लिए न्याय का संघर्ष है।
गुब्बारों में लगे आते हैं पर्चे

भेजते रहेंगे पर्चे
उत्तर कोरियाई नेता किम जोंग-उन को ‘एक दुष्ट’ और उनके शासन को ‘बर्बर’ करार देते हुए पार्क ने कहा कि वह अपनी जान की परवाह किए बिना किम को यह पर्चे भेजते रहेंगे। उन्होंने कहा, ‘उत्तर कोरियाई लोग जब बिना किसी मौलिक अधिकार के आधुनिक गुलाम बन गए हैं तो क्या उन्हें सच जानने का भी अधिकार नहीं है।’ वहीं, दक्षिण कोरियाई सीमा पर स्थित पाजून शहर की पुलिस पर्चे भेजे जाने के संबंध में जांच कर रही है।

2018 में पहली बार चर्चा में आईं
2018 में पहली बार चर्चा में आईं
किम यो-जोंग पहली बार 2018 में चर्चा में आईं जब उन्होंने दक्षिण कोरिया का दौरा किया। वे किम वंश की पहली ऐसी सदस्य थीं जिन्होंने पहली बार दक्षिण कोरिया की धरती पर कदम रखा था। यहां वे शीतकालीन ओलंपिक में अपनी टीम के साथ आई थीं। इसी साल उन्हें कई बार किम जोंग उन के साथ मिलकर रणनीति बनाते हुए भी देखा गया।
क्रूर हैं किम यो जोंग?
अंग्रेजी अखबर मिरर के मुताबिक एक्सपर्ट्स इस बात की चेतावनी देते हैं कि किम यो जोंग बेहद क्रूर हैं। माना जाता है कि यो जोंग इस बात का फैसला करती थीं कि जोंग उन तक कौन से मुद्दे ले जाए जाने के लिए अहम हैं। कहा जाता है कि यो जोंग पार्टी के लोगों को उन्हें सम्मान और डर से पेश आने के लिए कहती थीं। नॉर्थ कोरिया की मीडिया हमेशा उनका जिक्र करती है क्योंकि वाइस डायरेक्टर का पद भले ही न मिला हो, हैसियत वही है।
कई साल से सत्ता परिवर्तन की तैयारी
ऑर्गनाइजेशन ऐंड गाइडेंस डिपार्टमेंट में किम यो जांग के बढ़ते कद ने उन्हें वर्कर्स पार्टी के ब्यूरोक्रैट्स की नजरों में नॉर्थ कोरिया का नंबर 2 बना दिया। OGD में उन्हें अहमियत मिलना इस बात का भी सबूत है कि कई साल से उन्हें इसके लिए तैयार किया जा रहा था कि जोंग उन को कुछ होता है तो यो जोंग उनकी जगह लेने के लिए ढल चुकी हैं।
हमेशा भाई के पीछे रहीं
एक्सपर्ट्स के मुताबिक किम यो जोंग ने हमेशा अपने भाई के पीछे रहते हुए अपनी खुद की जगह बनाई है। उन्होंने कभी आगे आकर किसी तरह की प्रतियोगिता को पैदा करने की कोशिश नहीं की। जोंग उन ने भी बहन के कद को समय-समय पर बढ़ाया। शायद यही वजह रही कि किम अहम राजनीतिक और डिप्लोमैटिक मुद्दों पर अपनी राय रखती रहीं।
बेबाक बयान, ताकत का नमूना
उत्‍तर कोरिया के लाइव फायर मिलिट्री अभ्‍यास का दक्षिण कोरिया ने विरोध किया तो किम यो जोंग ने कहा था कि ‘डरे हुए कुत्‍ते भौंक रहे हैं।’ इससे पहले मार्च महीने में किम यो जोंग ने सार्वजनिक रूप से अमेरिकी राष्‍ट्रपति डोनाल्‍ड ट्रंप की पत्र भेजने के लिए प्रशंसा की थी। उन्‍होंने आशा जताई थी कि उत्‍तर कोरिया और अमेरिका के बीच संबंध बेहतर होंगे।
भाई के पास सीधी पहुंच
उत्‍तर कोरियाई मामलों के जानकार लिओनिड पेट्रोव कहते हैं, ‘किम यो जोंग की अपने भाई तक सीधी पहुंच है। यही नहीं उत्‍तर कोरियाई शासक पर उनकी बहन का गहरा प्रभाव है। किम यो जोंग को अपने भाई के बारे में सब पता है। किम यो जोंग अपने भाई की सबसे वफादार हैं और विदेशियों और दक्षिण कोरिया से डील करती हैं। किम यो जोंग अपने भाई की सकारात्‍मक छवि दुनिया में बनाने का काम करती हैं।’

बीच में फंसा दक्षिण कोरिया
इससे पहले शनिवार को किम यो जोंग ने गुब्बारे भेजे जाने की घटनाओं पर काबू पाने में असफल रहने पर दक्षिण कोरिया को आड़े हाथों लिया था और सैन्य कार्रवाई की धमकी दी थी। इसके जवाब में दक्षिण कोरिया सरकार ने आश्वासन दिया था कि ऐसे कार्यकर्ताओं और संगठनों पर कार्रवाई की जाएगी और कानून लाकर इस पर बैन लगाया जाएगा लेकिन उत्तर कोरिया के साथ अच्छे संबंध बनाने के लिए देश के लोकतांत्रिक आदर्शों से समझौते को लेकर मून सरकार को आलोचनाओं का सामना करना पड़ रहा है।